देश ही नहीं विदेशों में भी फैला है कुकर्मी बाबाओं का कारोबार
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देश ही नहीं विदेशों में भी फैला है कुकर्मी बाबाओं का कारोबार

     नई दिल्ली।। धर्म और आस्था में विश्वास रखने वाले भारत जैसे में अभी आसाराम, नारायण साईं और रामपाल जैसे संतो के कारनामे ठण्डे नहीं पड़े थे कि ऑस्ट्रेलिया में एक ऐसे ही बाबा के काले करतूतों की चकित कर देने वाली घटना सामने आई है। बाबा के कारनामों का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकतें है कि अपने कुकर्मों को जायज ठहराने के लिए बाबा ने इसे ईश्वर के करीब आने का जरिया तक बता दिया। जी हां! यह सच है। आश्रम की आड़ में महिलाओं के यौन शोषण के घिनौने वारदात केवल भारत तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि यह विदेशो में भी अपना पांव पसार चुकी है। खुद को साधु-संन्यासी कहनेवाले बाबाओं ने विदेशों में भी अपना आश्रम खोलकर इस तरह की वारदातों को अंजाम दिया है। घटना ऑस्ट्रेलिया की है। जहां यौन दुराचार के ऐसे ही मामले में एक जन सुनवाई हुई। इस जन सुनवाई में कहा गया कि ऑस्ट्रेलिया के सबसे पुराने आश्रम के भारतीय संत ने वहां तीन साल तक की बच्ची से बार बार छेड़छाड़ की। केवल इतना ही नहीं बाबा ने शिकायत करने पर उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी।
     बाबा के कारनामों का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकतें है कि अपने कुकर्मों को जायज ठहराने के लिए इस तथाकथित संत ने इसे ईश्वर के करीब आने का जरिया तक बता डाला। आश्रम और इसके प्रमुख अखंडानंद सरस्वती के खिलाफ आयोग ने जांच करके यह पाया गया कि आश्रम में रहने के दौरान 11 बच्चों से दुराचार किया गया। आश्रम में रहने वाली एक महिला ने बताया कि वह आश्रम में खुद को एक दासी और हाड़-मांस के एक पुतले के रुप में महसूस करती थी। जब वह 16 साल की थी तब उसके साथ रेप किया गया था। रॉयल कमीशन इन टू इंस्टीट्यूशनल रिसपॉंन्स टू चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज को बताया गया कि न्यू साउथ वेल्स के मैंग्रोव पर्वत पर स्थित सत्यनंद योग आश्रम के प्रमुख दिवंगत स्वामी अखंडानंद सरस्वती ने 1970 और 1980 के दशक के दौरान बच्चों का यौन शोषण किया था। दो हफ्तों की सुनवाई के दौरान 25 से अधिक गवाहों के साक्ष्य देने की उम्मीदें हैं। गौरतलब है कि अखंडानंद सरस्वती को 1987 में तब आरोपी बनाया गया था जब एक पीडि़ता पुलिस के पास गई थी। उन्हें 1989 में दोषी ठहराया गया और जेल की सजा सुनाई गई पर 1991 में एक कानून की तकनीकी पेंच पर यह फैसला पलट दिया गया। उनका 1997 में क्रेंस में निधन हो गया। रॉयल कमीशन के सामने पढ़े गए एक बयान के मुताबिक आश्रम के वकील आरोन केरनागन ने संगठन की ओर से माफी मांगी है।