भगत सिंह ने लिखा था की हिन्दू या सनातन धर्म सिर्फ इसलिए मुझे प्रिय है क्योकि ये विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो मुझे पूरी आज़ादी यहाँ तक की मुझे नास्तिक होने की आज़ादी देता है ..यानी इस अर्थ में मै नास्तिक होने के बाद भी रग रग से हिन्दू हूँ ...मै अपने ईश्वर से इसलिए प्रेम करता हूँ क्योकि वो मुझे मेरे वजूद को भी नकारने की आज़ादी देता है ..
मुझे पता है की मेरे उपर जो मुकदमा चल रहा है उसका क्या फैसला आने वाला है .. मुझे सजाये मौत ही मिलेगी ..एक हप्ते में में मुझे फांसी पर लटका दिया जायेगा ...मै अपने जीवन के एक ध्येय के लिए आहुति दे रहा हूँ ....हिन्दू पूर्वजन्म में विश्वास रखते है .. लेकिन मै पूर्वजन्म लेकर अपने देश को दुबारा गुलाम नही देखना चाहता इसलिए मै चाहता हूँ की जिस पल फांसी की रस्सी मेरे गर्दन में हो और जल्लाद मेरे पैरो के नीचे के मचान को खिसका दे वही पल मेरे वजूद को हमेशा हमेशा के लिए मिटा दे .. इसलिए मै नास्तिक हो रहा हूँ....
(J.P. Singh)