नई दिल्ली।। किरण बेदी को
सीएम कैंडिडेट चुनकर बीजेपी भले ही नए जोश का अनुभव कर रही हो, लेकिन यहां
के जिला अदालतों के वकीलों में खासी नाराजगी है। उनका कहना है कि बेदी जब
तक 1988 में वकीलों के साथ किए गए अपने बर्ताव पर माफी नहीं मांगतीं, तब तक
वकील उनका विरोध जारी रखेंगे। बीजेपी द्वारा किरण बेदी को अपना सीएम
कैंडिडेट घोषित करने के बाद दिल्ली की सभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार
असोसिएशन्स की कोऑर्डिनेशन कमिटी ने मंगलवार को हाई लेवल मीटिंग बुलाई।
कोऑर्डिनेशन कमिटी के चेयरमैन आर. के. वाधवा ने बताया कि मीटिंग में यह
फैसला लिया गया कि वकील समुदाय बेदी को सीएम कैंडिडेट बनाने का विरोध करता
रहेगा और अन्य लोगों से भी उन्हें समर्थन न देने की अपील करेगा।
कोऑर्डिनेशन कमिटी के साथ दिल्ली बार असोसिएशन के सेक्रेटरी दिव्य दर्शन
शर्मा ने कहा कि वकील किसी पार्टी के खिलाफ नहीं हैं, न ही उन्हें मोदी से
किसी तरह की नाराजगी है।
वे बस बेदी से अपने उस बर्ताव पर सफाई चाहते हैं।
इसीलिए मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि जब तक बेदी वकीलों से अपने
बर्ताव के लिए माफी नहीं मांगतीं, वे उनका विरोध करते रहेंगे। इसके लिए
वकीलों को एसएमएस और नोटिस के जरिए साथ जुड़ने की अपील की जाएगी। दिल्ली
बार असोसिएशन के प्रेजिडेंट और कोऑर्डिनेशन कमिटी के कन्वीनर संजीव नसियार
ने कहा कि 1988 की घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी। किरण बेदी को अपना पक्ष साफ
करना चाहिए। उस वक्त वह सर्विस में थीं और अब वह एक पब्लिक रिप्रेंजेटेटिव
बन गई हैं। उस मुद्दे पर सफाई दिए बिना तो उन्हें रिप्रजेंटेशन का हक नहीं
दिया जा सकता। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के पूर्व सेक्रेटरी एडवोकेट मुरारी
तिवारी बताते हैं कि किस तरह बेदी के निर्देश पर दिल्ली पुलिस ने वकीलों के
साथ बर्बरता की थी। तीस हजारी कोर्ट में लाठीचार्ज से बचने के लिए जो वकील
कमरों या बेंचों के नीचे छिप रहे थे, उन्हें वहां से निकाल-निकाल कर पीटा
गया था। बेदी के सीएम कैंडिडेट चुने जाने से वकीलों का वह दर्द फिर उभर आया
है और उस दर्द को कम किए बिना तो बेदी को यहां के करीब 80 हजार वकीलों का
समर्थन नहीं मिल सकता।