"पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो" कितना सही ?
Headline News
Loading...

Ads Area

"पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो" कितना सही ?

Related image    व्यापारियों का ये नारा अपनी चीजों को बेचने तक सिमीत रहता तबतक कोइ समस्या नही थी। लेकिन विश्व व्यापारियों ने, धन माफियाओं ने इस का समाज के ढांचे को बदलने के लिए दुरुपयोग किया है।
    उनके प्यादों ने ऐसा कल्चर फैलाया है कि लडके लडकी शादी से पहले मंगनी की समय अवधि में एक साथ घुमने फिरने का रिवाज बनाया। बताया गया एक दुसरे को समझ लो फिर ब्याह करो! साथ घुमेफीरे उस में कोइ दिक्कत नही लेकिन कभी कोइ केस में यौन संबंध भी बन सकते हैं। यौन संबंध बने और शादी होती है तब तक भी समस्या नही लेकिन यौन संबंध के बाद मंगनी तुट जाती है तो समस्या हो जाती है।
     लीव-इन रिलेशन तो "पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो" के आधार से ही बना है। पहले लडका-लडकी एक दुसरे के लिए इस्तेमाल होने लगो फिर एक दुसरे से विश्वास करो। विश्वास नही होता है तो माल वापस करो। दोनो को विश्वास नही हो तो खूशी-खूशी दोनो जुदा हो जाते हैं लेकिन सिर्फ एक को ही अविश्वास होता है तो दुसरा सोचता है मेरे साथ दगा हुआ है।
     दगाखोर दानवों ने फैलाए कल्चर को अपनाना हो तो दगा तो झेलना पडता है। लेकिन नही, वो सोचता है कि मेरा युज किया गया। ऐसा युज्ड माल (पिछले ५० साल से लडके-लडकी को माल समझने लगे हैं) तो लडका या लडकी दोनो बन सकते हैं लेकिन लडके की फरियाद सुनने वाला कोई नही, और कोई सुने भी क्यों, लडकी के लिए सरकारी तंत्र तैयार होता है। लडकी-लडके पर शादी के वचनभंग से लेकर बलात्कार तक के तरह-तरह के आरोप लगा देती है, और समस्याओं का अंबार लग जाता है।
     इस नारे से विश्वास कम हो गया है और इस्तेल और अविश्वास को बढावा मिला है। विश्वास-अविश्वास जाए भाड में जनता को इस्तेमाल में मजा आने लगा है। मजा लूटना कोई गुनाह नही होता है लेकिन ऐसे क्षणिक मजे के बडे-बडे और लंबे-लंबे प्रोल्बेम के कारण ही सभी धर्म के लोगों ने ऐसे मजों पर पाबंदियां लगा दी थी। धर्म की पाबंदियां तोडने के लिए, इस्तेमाल का इस्तेमाल बढाने के लिए ही शैतान प्यादों ने वेलेन्टाईन-डे नाम का दिवस तय किया है और उसे मनाया जाने लगा है।
    क्षणिक मजा, वचन भंग और दगा का करूण अंजाम बताता ताजा किस्सा।
    वेलेन्टाईन-डे की पूर्व संध्या पर लवस्टोरी और उसके अंजाम की ये घटना भावनगर जैसे शहर में बनी है और पूरे शहर को दहला दिया है। ऐसे मामलों के लिए यह शहर पिछडा है तो वहां की जनता को आघात लगा है। एक सैनिक कमांडो ने उसकी पत्नि और मित्र को नंगी अवस्था में गलत हाल में देख लिया तो दोनो पर अपनी रिवोल्वर से फायरिंग कर दिया। पत्नि को दो गोली लगी, लेकिन मरी नही बच गई, प्रेमी नग्न अवस्था में भागकर टोइलेट में घुस गया था। कमांडोने उसे टोइलेट में ही मार दिया। कमांडो अपनी बच्ची को लेकर फरार हो गया है।
    पत्नि चेतना दो गोली लगने के बावजुद जखम पर कपडा बांधकर, चौथी मंजिल से नीचे उतरी, रिक्षा में डी.डिवीजन पुलिस मथक पर गयी और अपने पति के विरुद्ध फरियाद लिखवाई। पुलिस ने अस्पताल में दाखिल कर दिया।
    मरने वाला देवेन्द्र शर्मा दो बच्चों का बाप था और पत्नि के साथ मनमेल नही था तो पत्नि से अगल रहता था। कमांडो की पत्नि से मनमेल करने गया तो मरना पडा।


(साभार - सौरव पाठक)