ढाका।। कल बंगालदेश के अमरीका मे रहने वाले ह्यूमन राइट कार्यकर्ता, लेखक अभिजीत रॉय की उस समय हत्या कर दी गयी जब वह बंगालदेश के शहर ढाका मे अपने परिवार से मिले के लिए आए थे| उस के साथ उन की मुस्लिम पत्नी भी साथ थी|
राय ऐसे इंसान थे कि शादी के बाद भी उन्होने अपनी पत्नी रफ़ीदा का नाम और धर्म परिवर्तन नही किया| वह हमेशा बंगालदेश मे लोगो के साथ हो रहे ह्यूमन राइट की घटना को अपने ब्लॉग से लिखते थे| उस के ब्लॉग से उन को कई बार धमकी भी मिलती थी| उन का ब्लॉग इतना प्रसिद्ध था कि कई देशो ने उन की मौत की खबर को प्रमुखता से छापा है और कई देशो के ह्यूमन राइट कार्यकर्ताओं ने शौक व्यक्त किया है|
उन की पत्नी अभी भी घायल और अस्पताल मे है| जिस समय उन लोग कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम लोगो ने हमला किया, उस समय उस की पत्नी पर भी उन लोगो ने जानलेवा हमला किया था|
सूत्रों से ज्ञात हुआ है की उनकी हत्या के लिए पूरी तरह से प्लान बनाया गया था और उन के बारे मे पूरी जानकारी जुटाई गयी थी| दुख इस बात का है कि उनकी पत्नी मदद के लिए लोगो से गुहार लगती रही परंतु कोई भी उन की मदद के लिए नही आया.
पोस्ट किए गए फोटो किसी ने अनजाने मे ले लिए है नही तो पाकिस्तान और बंगालदेश मे आए दिन हिन्दू लोगो को ऐसे ही मार दिया जाता है, जिसके लिए कोई भी इंटरनेशनल संस्था आवाज़ नही उठाती है फिर वह United Nation ही क्यों ना हो।
(सुमित चौधरी)
राय ऐसे इंसान थे कि शादी के बाद भी उन्होने अपनी पत्नी रफ़ीदा का नाम और धर्म परिवर्तन नही किया| वह हमेशा बंगालदेश मे लोगो के साथ हो रहे ह्यूमन राइट की घटना को अपने ब्लॉग से लिखते थे| उस के ब्लॉग से उन को कई बार धमकी भी मिलती थी| उन का ब्लॉग इतना प्रसिद्ध था कि कई देशो ने उन की मौत की खबर को प्रमुखता से छापा है और कई देशो के ह्यूमन राइट कार्यकर्ताओं ने शौक व्यक्त किया है|
उन की पत्नी अभी भी घायल और अस्पताल मे है| जिस समय उन लोग कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम लोगो ने हमला किया, उस समय उस की पत्नी पर भी उन लोगो ने जानलेवा हमला किया था|
सूत्रों से ज्ञात हुआ है की उनकी हत्या के लिए पूरी तरह से प्लान बनाया गया था और उन के बारे मे पूरी जानकारी जुटाई गयी थी| दुख इस बात का है कि उनकी पत्नी मदद के लिए लोगो से गुहार लगती रही परंतु कोई भी उन की मदद के लिए नही आया.
पोस्ट किए गए फोटो किसी ने अनजाने मे ले लिए है नही तो पाकिस्तान और बंगालदेश मे आए दिन हिन्दू लोगो को ऐसे ही मार दिया जाता है, जिसके लिए कोई भी इंटरनेशनल संस्था आवाज़ नही उठाती है फिर वह United Nation ही क्यों ना हो।
(सुमित चौधरी)