नई दिल्ली।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्वतारोही मल्ली मस्तान बाबू के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मस्तान का शव कल एंडीज की पहाडि़यों में मिला था। वह 24 मार्च से गायब थे। पर्वतारोहण के क्षेत्र में में अपना नाम बुलंदियों पर लाने वाले मस्तान के परिजनों को भेजे गए एक शोक संदेश में लिखा है कि मस्तान हमेशा अपने काम और अपने बुलंद हौसलों के लिए सभी के दिलों में रहेंगे।
माउंट विनसन मैसिफ पर चढ़ने वाले पहले भारतीय
40 साल के मल्ली मस्तान बाबू अंटार्टिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विनसन मैसिफ पर चढ़ने वाले वो पहले भारतीय थे। इस बार भी वो चिली और अर्जेंटीना के बीच एक पर्वत पर फतह पाने के लिए निकले थे। 24 मार्च को उनसे सभी तरह का संपर्क टूट गया। 4 तारीख को उनकी मौत की खबर ने सभी उम्मीदों को खत्म कर दिया। स्कूल के दौरान उनके एक सीनियर की एवरेस्ट चढ़ते वक्त मौत हो गई थी और तभी से उन्होंने प्रण कर लिया था कि वो हर हाल में माउंट एवरेस्ट की शिखर पर जाएंगे।
दुनियाभर के शिखरों पर फहराया तिरंगा
उनकी मौत ने देशभर के पर्वतारोही को सन्न कर के रख दिया है। दुनिया में कोई शिखर ऐसा नहीं है जो उनके बुलंद हौंसलों के आगे न झुका हो। उन्होंने सिर्फ 172 दिनों में धरती के सात उपमहाद्वीपों के सात सबसे ऊंचे शिखरों पर चढ़ाई करके एक अनोखा कीर्तिमान बनाया और तिरंगा लहराया।
आईआईटी और आईआईएम से पढ़े थे मस्तान
आईआईटी खड़गपुर से से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने आईआईएम कोलकाता से मैनेजमेंट की पढ़ाई भी की, लेकिन मन पर्वतारोहण में रम सा गया। अपने इस शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने शादी भी नहीं की। आज उनका परिवार गमगीन है और उनके साथियों का यही कहना है कि कजिन पहाड़ों से मल्ली मस्तान ने प्यार किया उन्हीं पहाड़ों ने उन्हें सदा के लिए अपने में समा लिया।
ज्यादातर अकेले ही पूरे किए अभियान
मस्तान ज्यादातर अपने मिशन अकेले ही पूरा किया करते थे। उन्हें जानने वाले उनके बुलंद हौसलों को देखकर हैरान भी होते थे। अपने जीवन काल में करीब 90 फीसद अभियान उन्होंने अकेले ही किए। इसके अलावा जो अकेले नहीं किए या जिनमें वह अन्य पर्वतारोहियों के साथ गए उनमें वह एक टीम लीडर की भूमिका में थे। सर्च टीम को उनके शव के पास भारतीय झंडा, एक भागवद गीता मिली।