मुंबई।। अनुसंधानकर्ता प्रतिकारकों की सहायता से डेंगू के उपचार
की एक नई पद्धति विकसित करने के थोड़ा और करीब पहुंच गए हैं। वैज्ञानिकों
का कहना है कि दुनिया की करीब आधी जनसंख्या को डेंगू विषाणु के संक्रमण का
खतरा है। इसके बावजूद इस बीमारी का कोई निश्चित उपचार नहीं खोजा गया है। इस
घातक बीमारी से लड़ने के लिए टीके का विकास करना चुनौतीपूर्ण रहा है
क्योंकि डेंगू किसी एक नहीं अपितु चार अलग अलग विषाणुओं के कारण होता है।
डेंगू को काबू करने के लिए प्रत्येक विषाणु को टीके से प्रभावहीन करना
जरूरी है।
एक शोधकर्ता का कहना है कि यदि लोगों को किसी एक विषाणु या चारों में से कुछ विषाणुओं से ही बचाया जाता है और बाद में यदि वे उस विषाणु का शिकार हो जाते हैं जिसके लिए उन्हें रक्षा प्रदान नहीं की गई तो डेंगू और घातक रूप धारण कर सकता है। उनके अनुसार हमारे अनुसंधान की प्रेरणा यही थी कि ऐसा रोग प्रतिकारक विकसित किया जाए जो चारों विषाणुओं के खिलाफ काम करे। डेंगू के लिए रोग प्रतिकारक उपचार पद्धति विकसित करने के लिए विषाणु के एनवलप प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उनका कहना है कि यह काफी जटिल प्रोटीन है जो विषाणु को मरीज तक पहुंचने, उसे संक्रमित करने और फैलने में मदद करता है।
एक शोधकर्ता का कहना है कि यदि लोगों को किसी एक विषाणु या चारों में से कुछ विषाणुओं से ही बचाया जाता है और बाद में यदि वे उस विषाणु का शिकार हो जाते हैं जिसके लिए उन्हें रक्षा प्रदान नहीं की गई तो डेंगू और घातक रूप धारण कर सकता है। उनके अनुसार हमारे अनुसंधान की प्रेरणा यही थी कि ऐसा रोग प्रतिकारक विकसित किया जाए जो चारों विषाणुओं के खिलाफ काम करे। डेंगू के लिए रोग प्रतिकारक उपचार पद्धति विकसित करने के लिए विषाणु के एनवलप प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उनका कहना है कि यह काफी जटिल प्रोटीन है जो विषाणु को मरीज तक पहुंचने, उसे संक्रमित करने और फैलने में मदद करता है।