निर्भीक पत्रकारिता के चलते जगेंद्र सिंह की चल रही मंत्री से तनातनी
निष्पक्ष जाँच होने पर पूरा मामला हो जायेगा साफ़
शाहजहाँपुर।। सोशल मीडिया में बेबाक खबरों के लिए पहचाने जाने वाले ईमानदार पत्रकार जगेंद्र सिंह को सूबे के मंत्री राममूर्ती सिंह वर्मा के खिलाफ सच खबरे छापना महगा पड़ गया। नर्भिक पत्रकारिता के चलते पहले उनके ऊपर हमला किया गया फिर फर्जी रिपोर्ट दर्ज की गई और फिर दबिश देने के बहाने पुलिस ने पैट्रोल डालकर उन्हें जला दिया। आज दोपहर लखनऊ में इलाज के दौरान पत्रकार जगेंद्र सिंह ने अंतिम साँस ली और यहाँ मंत्री राममूर्ती सिंह वर्मा के खेमे में ख़ुशी की लहर दौड़ गई।
मूलतः खुटार के मोहल्ला कोट निवासी जगेंद्र सिंह ने करीब 15 साल पहले पत्रकारिता जगत में पदार्पण किया था। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में जो कदम बढ़ाया तो कभी मुड़कर नही देखा। अपनी निर्भीक पत्रकारिता के बल पर उन्होंने अमर उजाला, हिंदुस्तान, स्वतन्त्र भारत जैसे नामी गिरामी अखबारों में काम किया। अद् भुत समाचार के लिए भी जगेन्द्र सिंह ने काफी लिखा है। अखबारों के साथ ही जगेंद्र सिंह फेसबुक पर निष्पक्ष और निर्भीक होकर खबरों पोस्ट करने लगे। उन्होंने इलेक्ट्रिक मीडिया से पहले ही खबरों को जनता के बीच पहुचाया। अपनी इसी छवि के चलते जगेंद्र सिंह का विवादों से नाता भी गहराता चला गया। पिछले कुछ माह से जगेंद्र सिंह द्वारा सूबे के पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री राममूर्ती सिंह वर्मा के खिलाफ खूब खबरे लिखीं गई। यह खबरे उन्होंने सपा नेता और पूर्व विधायक देवेन्द्र पाल सिंह के द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र के आधार पर लिखी थीं। मंत्री के खिलाफ खबरे छापने को लेकर उनके ऊपर 28 अप्रैल को देर शाम कार्यालय से घर जाते समय जानलेवा हमला किया गया जिसमे वह बाल बाल बच गए, मगर उनके पैर में फैक्चर हो गया था। इस घटना की उन्होंने रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी, लेकिन हमले के पीछे मंत्रीके गुर्गो का हाथ होने के शक में पुलिस ने हमलावरों को भी पकड़ा। इस बीच एक युवक द्वारा जगेंद्र सिंह के ऊपर झूठी 307 की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। इस मामले के पीछे भी मंत्री का नाम चर्चा में आया। इसके बाद तो पुलिस जगेंद्र सिंह के पीछे ऐसी पड़ी की जैसे किसी चम्बल के डाकू को पकड़ना हो। 1 जून को तत्कालीन शहर कोतवाल श्रीप्रकाश राय ने उनके घर दबिश दी। इस बीच गिरफ़्तारी में नाकाम कोतवाल ने जगेंद्र सिंह के ऊपर पेट्रोल डालकर उन्हें आग लगा दी। यह बात जगेंद्र सिंह ने अपने बयानों में कही थी। करीब 65 प्रतिशत जले जगेंद्र सिंह को जिला अस्पताल से लखनऊ रेफर किया गया। जहाँ आज आठवे दिन उन्होंने दम तोड़ दिया।
जगेंद्र सिंह को मंत्री से भिड़ने की कीमत चुकानी पड़ी है। यदि वह मंत्री के खिलाफ खबरे न डालते या फिर आर्थिक समझौता कर लेते तो आज उनको यह दिन नही देखना पड़ता। अगर जगेंद्र सिंह की मौत की निष्पक्ष जाँच हुई तो मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा भी कानून के शिकंजे में होंगे। हलाकि मरने से पहले जगेंद्र सिंह जो बयान मजिस्ट्रेट को दर्ज करवाये थे उसमे तत्कालीन कोतवाल श्रीप्रकाश समेत अन्य की गर्दन फसना तय है। अब देखना यह होगा कि जगेंद्र सिंह को असली इंसाफ मिलेगा या फिर इंसाफ के नाम पर उनके साथ ही सिर्फ मजाक ही किया जायेगा।
निष्पक्ष जाँच होने पर पूरा मामला हो जायेगा साफ़
शाहजहाँपुर।। सोशल मीडिया में बेबाक खबरों के लिए पहचाने जाने वाले ईमानदार पत्रकार जगेंद्र सिंह को सूबे के मंत्री राममूर्ती सिंह वर्मा के खिलाफ सच खबरे छापना महगा पड़ गया। नर्भिक पत्रकारिता के चलते पहले उनके ऊपर हमला किया गया फिर फर्जी रिपोर्ट दर्ज की गई और फिर दबिश देने के बहाने पुलिस ने पैट्रोल डालकर उन्हें जला दिया। आज दोपहर लखनऊ में इलाज के दौरान पत्रकार जगेंद्र सिंह ने अंतिम साँस ली और यहाँ मंत्री राममूर्ती सिंह वर्मा के खेमे में ख़ुशी की लहर दौड़ गई।
मूलतः खुटार के मोहल्ला कोट निवासी जगेंद्र सिंह ने करीब 15 साल पहले पत्रकारिता जगत में पदार्पण किया था। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में जो कदम बढ़ाया तो कभी मुड़कर नही देखा। अपनी निर्भीक पत्रकारिता के बल पर उन्होंने अमर उजाला, हिंदुस्तान, स्वतन्त्र भारत जैसे नामी गिरामी अखबारों में काम किया। अद् भुत समाचार के लिए भी जगेन्द्र सिंह ने काफी लिखा है। अखबारों के साथ ही जगेंद्र सिंह फेसबुक पर निष्पक्ष और निर्भीक होकर खबरों पोस्ट करने लगे। उन्होंने इलेक्ट्रिक मीडिया से पहले ही खबरों को जनता के बीच पहुचाया। अपनी इसी छवि के चलते जगेंद्र सिंह का विवादों से नाता भी गहराता चला गया। पिछले कुछ माह से जगेंद्र सिंह द्वारा सूबे के पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री राममूर्ती सिंह वर्मा के खिलाफ खूब खबरे लिखीं गई। यह खबरे उन्होंने सपा नेता और पूर्व विधायक देवेन्द्र पाल सिंह के द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र के आधार पर लिखी थीं। मंत्री के खिलाफ खबरे छापने को लेकर उनके ऊपर 28 अप्रैल को देर शाम कार्यालय से घर जाते समय जानलेवा हमला किया गया जिसमे वह बाल बाल बच गए, मगर उनके पैर में फैक्चर हो गया था। इस घटना की उन्होंने रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी, लेकिन हमले के पीछे मंत्रीके गुर्गो का हाथ होने के शक में पुलिस ने हमलावरों को भी पकड़ा। इस बीच एक युवक द्वारा जगेंद्र सिंह के ऊपर झूठी 307 की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। इस मामले के पीछे भी मंत्री का नाम चर्चा में आया। इसके बाद तो पुलिस जगेंद्र सिंह के पीछे ऐसी पड़ी की जैसे किसी चम्बल के डाकू को पकड़ना हो। 1 जून को तत्कालीन शहर कोतवाल श्रीप्रकाश राय ने उनके घर दबिश दी। इस बीच गिरफ़्तारी में नाकाम कोतवाल ने जगेंद्र सिंह के ऊपर पेट्रोल डालकर उन्हें आग लगा दी। यह बात जगेंद्र सिंह ने अपने बयानों में कही थी। करीब 65 प्रतिशत जले जगेंद्र सिंह को जिला अस्पताल से लखनऊ रेफर किया गया। जहाँ आज आठवे दिन उन्होंने दम तोड़ दिया।
जगेंद्र सिंह को मंत्री से भिड़ने की कीमत चुकानी पड़ी है। यदि वह मंत्री के खिलाफ खबरे न डालते या फिर आर्थिक समझौता कर लेते तो आज उनको यह दिन नही देखना पड़ता। अगर जगेंद्र सिंह की मौत की निष्पक्ष जाँच हुई तो मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा भी कानून के शिकंजे में होंगे। हलाकि मरने से पहले जगेंद्र सिंह जो बयान मजिस्ट्रेट को दर्ज करवाये थे उसमे तत्कालीन कोतवाल श्रीप्रकाश समेत अन्य की गर्दन फसना तय है। अब देखना यह होगा कि जगेंद्र सिंह को असली इंसाफ मिलेगा या फिर इंसाफ के नाम पर उनके साथ ही सिर्फ मजाक ही किया जायेगा।