पत्रकार बनना है, तो जान लो ये बाँते फिर ना कहना की हमने समझाया नहीं
यदि आप पत्रकार बनना चाहते हैं, तो आपको ये बांते करनी पड़ेंगी। इसके बाद भी आपको कई बातों का ख्याल रखना होगा, लेकिन जिन जरूरी बातों का आपको ख्याल रखना है वह निम्नलिखित हैं:-
1) एक साल तक खर्च का बजट घर से ही तैयार कर लें। वह आपको कब मिलेगा यह ऊपर बैठा आदमी ही बता सकता है। यहां ऊपर का मतलब भगवान भी हो सकता है या आपके ऊपर आपका मालिक, बॉस भी हो सकता है।
2) दूसरे नंबर पर आपको अपने इगो को किसी नदी में फेंकने होंगे। हालांकि बाद में पत्रकारिता जीवन में फिट होने के बाद आप उसे नदी से निकाल कर वापस ले सकते हैं, लेकिन कैरियर के शुरूआत में इसे पानी में ही रहने दें।
3) तीसरे नंबर पर है कि आप सीनियर को भगवान मान लो। वह जो कुछ कहे उसमें जी हुजूरी मिलाते रहो। वह एक अखबार रोजाना पढ़ता हो तो आप 10 अखबार रोज पढ़ो। वह पानी मांगे तो उसे पानी के बाद चाय बिना मांगे पिला दो। पान, सुपारी और दोहरे की तो गिनती ही मत करो।
4) कुछ समय बचे तो हिन्दी का व्याकरण और लिंग पुलिंग देख लो। सही शब्द लिखना तो शुरू ही कर दो। भाषा को भाशा न लिखें। अखबार पढ़ने से व्याकरण अपने आप भी ठीक हो जाता है।
5) जल्दी तरक्की चाहते हैं, तो नेता मंडली में पकड़ बनाएं। वह आपको अंदर की खबर देंगे। आपका हर स्तर पर मदद कर सकते हैं। चिरकुट टाइप के न हों, तो अच्छा है। नहीं तो वह आपको भी ले डूबेगा।
6) हां इस फिल्ड में पैसा कम या यूँ बोले की मिलें ही नहीं तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
7) पत्रकारिता में मान - सम्मान और इज़्ज़त ठूस - ठूस कर मिलती है भले ही वो किसी काम नहीं आती। क्योंकि उससे घर चलाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
8) ना चाहते हुए भी रिस्क, खतरा और गुंडागर्दी आपको लोट के भाव फ़ोकट में ही मिल जाएगी, जिसकी आपको भले ही कभी ज़रूरत ना हो।
9) शायद एक दिन आपका अच्छा आएगा यह सोचते - सोचते आपका बुढ़ापा ज़रूर आजायेगा।
10) फिर भले ही इधर - उधर से मिलने वाली चवन्नी छाप कमाई से ही ज़िन्दगी क्यों ना बीते।
11) समाज सेवा तुम्हे बिना बताए चुपचाप करनी है भले ही तुम अपने घर वालों की सेवा ना कर पाओं।
यदि आप पत्रकार बनना चाहते हैं, तो आपको ये बांते करनी पड़ेंगी। इसके बाद भी आपको कई बातों का ख्याल रखना होगा, लेकिन जिन जरूरी बातों का आपको ख्याल रखना है वह निम्नलिखित हैं:-
1) एक साल तक खर्च का बजट घर से ही तैयार कर लें। वह आपको कब मिलेगा यह ऊपर बैठा आदमी ही बता सकता है। यहां ऊपर का मतलब भगवान भी हो सकता है या आपके ऊपर आपका मालिक, बॉस भी हो सकता है।
2) दूसरे नंबर पर आपको अपने इगो को किसी नदी में फेंकने होंगे। हालांकि बाद में पत्रकारिता जीवन में फिट होने के बाद आप उसे नदी से निकाल कर वापस ले सकते हैं, लेकिन कैरियर के शुरूआत में इसे पानी में ही रहने दें।
3) तीसरे नंबर पर है कि आप सीनियर को भगवान मान लो। वह जो कुछ कहे उसमें जी हुजूरी मिलाते रहो। वह एक अखबार रोजाना पढ़ता हो तो आप 10 अखबार रोज पढ़ो। वह पानी मांगे तो उसे पानी के बाद चाय बिना मांगे पिला दो। पान, सुपारी और दोहरे की तो गिनती ही मत करो।
4) कुछ समय बचे तो हिन्दी का व्याकरण और लिंग पुलिंग देख लो। सही शब्द लिखना तो शुरू ही कर दो। भाषा को भाशा न लिखें। अखबार पढ़ने से व्याकरण अपने आप भी ठीक हो जाता है।
5) जल्दी तरक्की चाहते हैं, तो नेता मंडली में पकड़ बनाएं। वह आपको अंदर की खबर देंगे। आपका हर स्तर पर मदद कर सकते हैं। चिरकुट टाइप के न हों, तो अच्छा है। नहीं तो वह आपको भी ले डूबेगा।
6) हां इस फिल्ड में पैसा कम या यूँ बोले की मिलें ही नहीं तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
7) पत्रकारिता में मान - सम्मान और इज़्ज़त ठूस - ठूस कर मिलती है भले ही वो किसी काम नहीं आती। क्योंकि उससे घर चलाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
8) ना चाहते हुए भी रिस्क, खतरा और गुंडागर्दी आपको लोट के भाव फ़ोकट में ही मिल जाएगी, जिसकी आपको भले ही कभी ज़रूरत ना हो।
9) शायद एक दिन आपका अच्छा आएगा यह सोचते - सोचते आपका बुढ़ापा ज़रूर आजायेगा।
10) फिर भले ही इधर - उधर से मिलने वाली चवन्नी छाप कमाई से ही ज़िन्दगी क्यों ना बीते।
11) समाज सेवा तुम्हे बिना बताए चुपचाप करनी है भले ही तुम अपने घर वालों की सेवा ना कर पाओं।