नई दिल्ली।।
ध्वनि प्रदूषण कम होने से न केवल आपकी कार्य क्षमता बढ़ती है। ध्वनि
प्रदूषण 20 डेसिबेल तक कम हो तो कार्यालयों में काम करने वाले व्यक्तियों
की कार्यक्षमता बढ़ती है। आमतौर पर लोगों में यह धारण है कि ध्वनि प्रदूषण
से कान की समस्याएं उत्पन्न होती है लेकिन अनेक शोध और अनुसंधानों से यह
बात साबित हो चुकी है कि इससे स्नायु तनाव, दिल की बीमारी, रक्तचाप की
समस्या आदि भी होती है। रक्तचाप बढ़ने के कारण मस्तिष्क और जिगर का कामकाज
भी प्रभावित होता है।
ध्वनि प्रदूषण से सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और
उत्तेजनापूर्ण व्यवहार, अनिद्रा और पढ़ाई-लिखाई की समस्या तो उत्पन्न होती
ही है। साथ ही आंखों की भी समस्याएं पैदा होती है। ध्वनि प्रदूषण के कारण
आंखों की पुतलियों का विस्तार हो जाता है। रात में देखने की क्षमता
प्रभावित होती है तथा रंग की पहचान की दर में गिरावट आती है। कान की
संवेदनशीलता अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न हो सकती है। संभव है कि
उम्र बढ़ने के साथ सुनने की क्षमता भी घट जाए।