हक़ हमारा मांग रहे भीख नहीं मांग रहे
बांसवाड़ा/राजस्थान।। जी हां! कुछ इसी तरह के धमाकेदार नारों के साथ किसान संघर्ष समिति के गरीब और दु:खी ग्रामीणों ने बीजेपी के पूर्व राज्यमंत्री दलीचंद मईड़ा के नेतृत्व में हज़ारों की संख्या में पुरुष ने अर्धनग्न होकर हाथों में लाठियां लिए हुए एवं महिलाओं ने हांथों में झाड़ू लेकर जिले के मुख्य मार्गों पर एक आक्रोशात्मक जुलुस निकाला।
सर्वविदित है की कई वर्षों से बांसवाड़ा में लगने वाले न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन के प्रोजेक्ट हेतु भूमि अधिग्रहण के लिए ग्रामीणों एवं सरकार में उचित समझोते के अभाव कार्यवाही लंबित है, जिसे लेकर ग्रामीणों ने समय - समय पर प्रशासन को ज्ञापन एवं परिवेदना के माध्यम से अवगत भी कराया किन्तु कोई उचित कार्यवाही नहीं हो पाई इससे नारज़ ग्रामीणो का गुस्सा आज़ जिले की सड़कों पर उग्र जुलुस के रूप में दिखा। वही ग्रामीणो का कहना है यदि हमारी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो आगे और भी उग्र आंदोलन किया जायेगा जिसके लिए प्रशासन ही जिम्मेदार रहेगा। अभी तक का सारा घटनाक्रम कुछ इस तरह है-
लाख बार पत्र व्यवहार करने के बाद भी कुछ यूँ बिगड़ती चली गई बात :-
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परिवेदना - पत्र
सेवामें,
श्रीमति मुख्यमंत्री महोदया,
राजस्थान सरकार, जयपुर
और से - न्यूक्लियर पाॅवर प्लांट लगने से प्रभावित समस्त ग्रामिणवासी।
सन्दर्भ - न्यूक्लियर पाॅवर प्लांट लगने से प्रभावित ग्रामिणों की सहायता कर न्याय दिलाने बाबत्।
माननीया,
उपरोक्त विषयान्तर्गन निवेदन है कि राजस्थान के बासंवाड़ा जिले में केन्द्र सरकार द्वारा लगाये जाने वाले न्यूक्लियर पाॅवर प्लांट से प्रभावित समस्त ग्रामिणवासी स्वेच्छा से कई समय से अपनी भूमि उक्त न्यूक्लियर प्लांट को स्थापित करने हेतु देने के लिए सहर्ष सहमत है। इस हेतु बीजेपी के पूर्व नेता श्री दलीचन्द मईड़ा के नेतृत्व में हजारों की संख्या में ग्रामीणों द्वारा तत्कालिन जिला कलेक्टर श्री कुंजबिहारी गुप्ता को राजस्थान सरकार को सूचित करने हेतु अपना बीस सूत्रीय मांग पत्र भी सहमति पूर्वक पूर्व में प्रस्तुत किया जा चुका है।
महोदया आपको उक्त प्लांट लगने से प्रभावित अबोध ग्रामीणवासियों द्वारा यह सूचित करते हुए बडे क”ट की अनुभूति हो रही है कि मोदी सरकार के विकास के एजेण्डे में जब ग्रामीण सरकार के साथ कदमताल करने के लिये तैंयार है फिर भी न्यूक्लियर पाॅवर प्लांट के चुनिंदा स्वहित रखने वाले कर्मचारियों एवं हठधर्मी जिला प्र’ाासन के चलते भूमि अधिग्रहण के बदले दिये जाने वाले मुआवजे के लिये सर्वे का या अन्य कोई भी कार्य जिले के स्थानिय संस्था या फर्म एवं टीएसपी क्षैत्र की जनता के माध्यम से नहीं किया जा रहा है, अपितु खानापूर्ति हेतु उत्तर प्रदेश की स्वयं सेवी संस्था के माध्यम से करवाया जा रहा है, जो पूरी तरह से अवैध है, क्योकी सर्वें हेतु भरी जा रही साक्षातकार अनुसूची स्वयं जिला प्रशासन के दबाव के चलते सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपने निजि ज्ञान के आधार पर अपने कार्यालय में बैठकर भरी जा रही है तथा इस हेतु अधिकृत सरकारी कर्मचारी या यूपी की संस्था के एक भी कार्मिक ने उक्त प्रभावित क्षैत्र में जाकर ना तो व्यवस्थित एवं आधारभूत आंकडों संकलन किया है ना ही ग्रामीणों को वि’वास में लेकर वास्तविक साक्षात्कार सूची भरी जा रही हैै। सभी ग्रामीणों को यह पूर्ण वि’वास है कि जितनी भी साक्षात्कार सूची भरी गई है वह मिथ्या रूप से भरी गई है एवं उसमें ग्रामीणों से सम्बन्धित जो भी दर्ज जानकारी एवं सहमति दर्ज की गई है वह पूर्णतया फर्जी है।
यही नहीं अपितु कई बार ग्रामीणों द्वारा प्रशासन को सूचित करने के बाद भी ग्रामीणों की कोई सकारात्मक सुनवाई नही की गई है। न्यूक्लियर पाॅवर प्लांट के कर्मचारियों द्वारा कुछ मौका परस्त ग्रामीणों को चन्द पैसों का लौभ एवं लालच देकर उनसे गलत तरिके से कार्य लिया जा रहा है, जिससे हमारे ग्रामीण अचंल की एकता अखण्डता एवं सौहार्द पूर्ण वातावरण का सत्यानाश हो रहा है, साथ ही उक्त सर्वें से ग्रामीणों को मिलने वाला यथोचित मुआवजा भी सं’ाय के घेरे में पहुंच गया है।
अतः उक्त परिवेदना पत्र के माध्यम से आप माननीया से सानुरोध है कि आप तुरन्त प्रभाव से उक्त फर्जी सर्वें को रूकवायें एवं ग्रामीणों की सहमति के अनुसार भूमि अधिग्रहण एवं अन्य कार्य करें। अन्यथा ग्रामीणों द्वारा सरकार एवं जिला प्र’ाासन व न्यूक्लियर पाॅर प्लांट के उक्त हठधर्मी कार्यों के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जायेंगा और उक्त कार्यो के विरूद्ध वैधानिक स्टे लाया जावेंगा। इसके बाद भी सरकार, जिला प्रशासन एवं न्यूक्लियर पाॅवर प्रोजेक्ट के अधिकारीयों ने अपनी मनमानी नहीं छोडी तो बहुत बडे स्तर का जन आंदोलन किया जावेंगा, यही नहीं अपितु कुछ अत्यधिक व्यथित लोगो का कहना है कि सरकार ने ग्रामीणों से सहोगात्मक रवैया नहीं अपनाया गया तो मानसिक एवं आर्थिक रूप से प्रताडि़त कुछ ग्रामीण आत्महत्या जैसे गंभीर कदम को भी उठाने से नही हिचकेंगे जिसकी पूरी तरह से जवाबदारी सरकार, प्रशासन एवं न्यूक्लियर पाॅवर प्रोजेक्ट वालों की होगी।
चूँकि उक्त पत्र के माध्यम से आप सभी को यह सूचित कर दिया जा रहा है की समस्त ग्रामीणों द्वारा उक्त संघर्ष में सफलता अर्जित करने व न्याय दिलाने हेतु बीजेपी के पूर्व सहयोंगी व पूर्व मंत्री श्री दलीचन्द मईडा को सर्वसम्मति से अधिकृत किया गया है, और यह हाल ही में हुए पंचायत चुनावों के परिणामों से भी जगजाहिर हो चुका है कि उक्त क्षैत्र की जनता सिर्फ और सिर्फ अपने अधिकारों की रक्षा के लिये एक मात्र विश्वसनिय जननेता दलीचन्द मईडा पर ही वि’वास करती है। अतः उन्हें उक्त प्लांट हेतु भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित समस्त कार्य हेतु सर्वसम्मति से ग्रामीणों द्वारा अधोलिखित हस्ताक्षर सहित मनोनित किया गया है। इसी आशा के साथ की सरकार, प्रशासन व न्यूक्लियर प्लांट के समस्त प्रतिनिधि उक्त सूचना को गम्भिरता से लेते हुए तुरन्त प्रभाव से 5 मई 2015 से पूर्व सकारात्मक एवं यथोचित निर्णय लेंगे। उक्त नियत तिथी तक उचित एवं सकारात्मक कार्यवाही के अभाव में उक्त परिवेदना पत्र जनहितेशी व जनमानस के प्रिय नेता माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को न्याय हेतु भेज दिया जावेंगा इसी आ’ाा के साथ इतिश्री।
नोटः-
इस सम्बन्ध में पूर्व में दिये गये सभी ज्ञापन, दस्तावेज छाया चित्र, विडियों सीडी प्रशासन एवं न्यूक्लियर पाॅवर काॅरपोरेशन के अधिकारियों से सत्यापन हेतु प्राप्त किये जा सकते है।
सूचनार्थ प्रतिलिपिः-
1. माननीय प्रधानमंत्री महोदय, भारत सरकार नई दिल्ली।
2. माननीया मुख्यमंत्री महोदया, राजस्थान सरकार जयपुर।
3. माननीय जिला कलेक्टर बांसवाड़ा, राजस्थान।
4. मुख्य प्रबन्धक न्यूक्लियर पाॅवर काॅरपोरेशन मुम्बई।
हस्ताक्षर प्रार्थीगण
अध्यक्ष वरिष्ठ उपाध्यक्ष
दलीचन्द मईड़ा धिरजमल गणावा
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परिवेदना - पत्र
सेवामें,
श्रीमति मुख्यमंत्री महोदया,
राजस्थान सरकार, जयपुर
और से - न्यूक्लियर पाॅवर प्लांट लगने से प्रभावित समस्त ग्रामिणवासी।
सन्दर्भ - न्यूक्लियर पाॅवर प्लांट लगने से प्रभावित ग्रामिणों की सहायता कर न्याय दिलाने बाबत्।
माननीया,
उपरोक्त विषयान्तर्गन निवेदन है कि राजस्थान के बासंवाड़ा जिले में केन्द्र सरकार द्वारा लगाये जाने वाले न्यूक्लियर पाॅवर प्लांट से प्रभावित समस्त ग्रामिणवासी स्वेच्छा से कई समय से अपनी भूमि उक्त न्यूक्लियर प्लांट को स्थापित करने हेतु देने के लिए सहर्ष सहमत है। इस हेतु बीजेपी के पूर्व नेता श्री दलीचन्द मईड़ा के नेतृत्व में हजारों की संख्या में ग्रामीणों द्वारा तत्कालिन जिला कलेक्टर श्री कुंजबिहारी गुप्ता को राजस्थान सरकार को सूचित करने हेतु अपना बीस सूत्रीय मांग पत्र भी सहमति पूर्वक पूर्व में प्रस्तुत किया जा चुका है।
महोदया आपको उक्त प्लांट लगने से प्रभावित अबोध ग्रामीणवासियों द्वारा यह सूचित करते हुए बडे क”ट की अनुभूति हो रही है कि मोदी सरकार के विकास के एजेण्डे में जब ग्रामीण सरकार के साथ कदमताल करने के लिये तैंयार है फिर भी न्यूक्लियर पाॅवर प्लांट के चुनिंदा स्वहित रखने वाले कर्मचारियों एवं हठधर्मी जिला प्र’ाासन के चलते भूमि अधिग्रहण के बदले दिये जाने वाले मुआवजे के लिये सर्वे का या अन्य कोई भी कार्य जिले के स्थानिय संस्था या फर्म एवं टीएसपी क्षैत्र की जनता के माध्यम से नहीं किया जा रहा है, अपितु खानापूर्ति हेतु उत्तर प्रदेश की स्वयं सेवी संस्था के माध्यम से करवाया जा रहा है, जो पूरी तरह से अवैध है, क्योकी सर्वें हेतु भरी जा रही साक्षातकार अनुसूची स्वयं जिला प्रशासन के दबाव के चलते सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपने निजि ज्ञान के आधार पर अपने कार्यालय में बैठकर भरी जा रही है तथा इस हेतु अधिकृत सरकारी कर्मचारी या यूपी की संस्था के एक भी कार्मिक ने उक्त प्रभावित क्षैत्र में जाकर ना तो व्यवस्थित एवं आधारभूत आंकडों संकलन किया है ना ही ग्रामीणों को वि’वास में लेकर वास्तविक साक्षात्कार सूची भरी जा रही हैै। सभी ग्रामीणों को यह पूर्ण वि’वास है कि जितनी भी साक्षात्कार सूची भरी गई है वह मिथ्या रूप से भरी गई है एवं उसमें ग्रामीणों से सम्बन्धित जो भी दर्ज जानकारी एवं सहमति दर्ज की गई है वह पूर्णतया फर्जी है।
यही नहीं अपितु कई बार ग्रामीणों द्वारा प्रशासन को सूचित करने के बाद भी ग्रामीणों की कोई सकारात्मक सुनवाई नही की गई है। न्यूक्लियर पाॅवर प्लांट के कर्मचारियों द्वारा कुछ मौका परस्त ग्रामीणों को चन्द पैसों का लौभ एवं लालच देकर उनसे गलत तरिके से कार्य लिया जा रहा है, जिससे हमारे ग्रामीण अचंल की एकता अखण्डता एवं सौहार्द पूर्ण वातावरण का सत्यानाश हो रहा है, साथ ही उक्त सर्वें से ग्रामीणों को मिलने वाला यथोचित मुआवजा भी सं’ाय के घेरे में पहुंच गया है।
अतः उक्त परिवेदना पत्र के माध्यम से आप माननीया से सानुरोध है कि आप तुरन्त प्रभाव से उक्त फर्जी सर्वें को रूकवायें एवं ग्रामीणों की सहमति के अनुसार भूमि अधिग्रहण एवं अन्य कार्य करें। अन्यथा ग्रामीणों द्वारा सरकार एवं जिला प्र’ाासन व न्यूक्लियर पाॅर प्लांट के उक्त हठधर्मी कार्यों के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जायेंगा और उक्त कार्यो के विरूद्ध वैधानिक स्टे लाया जावेंगा। इसके बाद भी सरकार, जिला प्रशासन एवं न्यूक्लियर पाॅवर प्रोजेक्ट के अधिकारीयों ने अपनी मनमानी नहीं छोडी तो बहुत बडे स्तर का जन आंदोलन किया जावेंगा, यही नहीं अपितु कुछ अत्यधिक व्यथित लोगो का कहना है कि सरकार ने ग्रामीणों से सहोगात्मक रवैया नहीं अपनाया गया तो मानसिक एवं आर्थिक रूप से प्रताडि़त कुछ ग्रामीण आत्महत्या जैसे गंभीर कदम को भी उठाने से नही हिचकेंगे जिसकी पूरी तरह से जवाबदारी सरकार, प्रशासन एवं न्यूक्लियर पाॅवर प्रोजेक्ट वालों की होगी।
चूँकि उक्त पत्र के माध्यम से आप सभी को यह सूचित कर दिया जा रहा है की समस्त ग्रामीणों द्वारा उक्त संघर्ष में सफलता अर्जित करने व न्याय दिलाने हेतु बीजेपी के पूर्व सहयोंगी व पूर्व मंत्री श्री दलीचन्द मईडा को सर्वसम्मति से अधिकृत किया गया है, और यह हाल ही में हुए पंचायत चुनावों के परिणामों से भी जगजाहिर हो चुका है कि उक्त क्षैत्र की जनता सिर्फ और सिर्फ अपने अधिकारों की रक्षा के लिये एक मात्र विश्वसनिय जननेता दलीचन्द मईडा पर ही वि’वास करती है। अतः उन्हें उक्त प्लांट हेतु भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित समस्त कार्य हेतु सर्वसम्मति से ग्रामीणों द्वारा अधोलिखित हस्ताक्षर सहित मनोनित किया गया है। इसी आशा के साथ की सरकार, प्रशासन व न्यूक्लियर प्लांट के समस्त प्रतिनिधि उक्त सूचना को गम्भिरता से लेते हुए तुरन्त प्रभाव से 5 मई 2015 से पूर्व सकारात्मक एवं यथोचित निर्णय लेंगे। उक्त नियत तिथी तक उचित एवं सकारात्मक कार्यवाही के अभाव में उक्त परिवेदना पत्र जनहितेशी व जनमानस के प्रिय नेता माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को न्याय हेतु भेज दिया जावेंगा इसी आ’ाा के साथ इतिश्री।
नोटः-
इस सम्बन्ध में पूर्व में दिये गये सभी ज्ञापन, दस्तावेज छाया चित्र, विडियों सीडी प्रशासन एवं न्यूक्लियर पाॅवर काॅरपोरेशन के अधिकारियों से सत्यापन हेतु प्राप्त किये जा सकते है।
सूचनार्थ प्रतिलिपिः-
1. माननीय प्रधानमंत्री महोदय, भारत सरकार नई दिल्ली।
2. माननीया मुख्यमंत्री महोदया, राजस्थान सरकार जयपुर।
3. माननीय जिला कलेक्टर बांसवाड़ा, राजस्थान।
4. मुख्य प्रबन्धक न्यूक्लियर पाॅवर काॅरपोरेशन मुम्बई।
हस्ताक्षर प्रार्थीगण
अध्यक्ष वरिष्ठ उपाध्यक्ष
दलीचन्द मईड़ा धिरजमल गणावा
आदिवासी किसान संघर्ष समिति
छोटीसरवन जिला बांसवाड़ा
छोटीसरवन जिला बांसवाड़ा
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आदिवासी किसान संघर्ष समिति, छोटी सरवन, जिला - बांसवाड़ा
माननीय मुख्यमंत्री महोदया,
राजस्थान सरकार जयपुर
द्वारा - जिला कलेक्टर महोदय बांसवाड़ा (राज.)
जिला प्रशासन की हरकतों ने साबित कर दिया ’’झूठ के पांव नहीं होते’’
कब होंगी साहब सुनवाई ’’चक्कर काट-काट कर थके गरिब ग्रामीण’’
मांगों पर सहमति नहीं बनने पर 15 जून 2015 को बडे आन्दोंलन की चेतावनी
बांसवाड़ा।। कुछ समय पुर्व आदिवासी किसान संघर्ष समिति के तत्वावधान में सैकडो की संख्या में पिडि़त ग्रामीणों द्वारा भाजपा के पूर्व मंत्री दलीचन्द मईड़ा के नैतृत्व में जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम न्यूक्लियर पाॅवर काॅरर्पोरेशन के बांसवाड़ा में लगने से विस्थापित होने वाले परिवारों को मिलने वाले मुआवजे हेतु सर्वे में हुए फर्जी दस्तावेजों के सम्बन्ध में परिवेदना पत्र दिया गया था, किन्तु उक्त पत्र में निर्धारित मियाद की अवधि के बित जाने के कई समय बाद भी सरकार, प्रशासन व एनपीसीआईएल के अधिकारियों द्वारा इस पर कोई यथोचित कार्यवाही नहीं की गई है, अपितु आज दिनांक तक भी फर्जी सर्वे रिर्पोट निरन्तर भरी जा रहीं है।
परिवेदना पत्र दिये जाने के उपरान्त जिला प्रशासन के आदेश पर दलीचन्द मईड़ा ने ग्रामीणों के प्रतिनिधि के रूप में कई बार जिला प्रशासन के अधिकारों के समक्ष समय-समय पर उक्त प्रोजेक्ट हेतु भूमि अधिग्रहण को लेकर दोनों पक्षों में सहर्ष सहमति के लिये स्वेच्छा से मिलने भी आये लेकिन प्रशासन द्वारा इस विषय में कोई खास रूची नहीं ली गई अपितु जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित द्वारा सीधें ही यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया गया की भूमि अधिग्रहण के लिये मैं जिम्मेदार नहीं हूं, इसके लिये तो एसडीओ से बात करों।
दुसरी औंर नवनियुक्त एसडीओ श्रीमति रूकमणी रियार के रूतबें एवं गुस्सेल व हठधर्मि मिजाज से डरे व सहमें ग्रामीण अपनी मांगों पर सहमती के लिये महोदया से मिलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है, और यदि ग्रामीण किस तरिके से मिलते भी है तो महोदया सही तरिके से बात भी नहीं करती है। इतर उचित सूचना के पारे”ाण के अभाव में केन्द्र सरकार उक्त सारे घटना क्रम से पूरी तरह बेखर है, अब राज्य सरकार को दे’ा के विकास के उक्त प्रोजेक्ट में गति देने हेतु कुछ सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
क्या चाहते है ग्रामीणः-
1. अपनी मांगों को लेकर ग्रामीण दलीचन्द मईड़ा को प्रतिनिधी नियुक्त कर 100 रू. के स्टाम्प पर समझौंते पूर्वक मानी गई मांगों के सम्बन्ध में द्विपक्षीय हस्ताक्षर मय मोहर व गवाह युक्त नौटरी द्वारा सत्यापित दस्तावेज।
2. दलीचन्द मईड़ा के नेतृत्व में उनके द्वारा निर्धारित व्यक्तियों द्वारा वास्तविक, सत्य तत्थ्यों पर आधारित सर्वे जिससे वास्तविक मुआवजे+ का सही-सही आंकलन किया जा सकें।
3. ग्रामीणों में मित्या भ्रांति फैलाने वाले एनपीसीआईएल के बांसवाड़ा कार्यालय में कई वर्”ाों से बेवजह कार्यरत शांतिलाल चैबिसा को उक्त प्रोजेक्ट से हटाना।
क्यौं नहीं बन पाई अभी तक सहमतिः-
उधर ग्रामीणों के नेता दलीचन्द मईड़ा का कहना है कि जब उक्त प्रोजेक्ट के लिये अपनी जमी+न के लिये ग्रामीण व दुसरी और इसके यथोचित मुआवजे+ के लिये एनपीसीआई के तैयार होने पर भी बात अपने मुकाम तक पहुंचने में इस लिये नाकाम रहीं क्योकि इस प्रोजेक्ट हेतु लगाये गये भू-अवाप्ति अधिकारी के मध्य कम्यूनिकेशन का बहुत बड़ा गेप हैै।
यह हो सकता है इस समस्या का समाधानः-
1. दोनों पक्षों के मध्य एक नियत वैंध मांगों पर सहमति बनाने के लिये एक मध्यस्थ की नियुक्ति की जा सकती है।
2. राज्य सरकार एवं प्रशासन को यह खुलकर बताना पडेंगा की किन मांगों को पुरा किया जा सकता है औंर किन मांगों को नहीं। ताकि दोनो पक्षों के मध्य भ्रम की स्थिति ना रहें।
3. केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं प्रशासन को टाईम आॅरियन्टेड पद्धति को छोड़कर रिजल्ट आॅरियन्टेड पद्धति को अपनाना पडेगा जिससे सभी पक्षों में सहमति बन सकें।
यह है ग्रामीणों की आगे की रणनितिः-
संघर्ष समिति के अध्यक्ष बीजेपी के पूर्व नेता दलीचन्द मईड़ा का कहना है कि हम अपना जायज+ हक मांग रहे है, कोई खैरात तो मांग नहीं रहे है, जो सरकार, प्रशासन औंर एनपीसीआईएल के अधिकारी हमसे बेवजह ही बैंर लिये हुए है। हम भी चाहतें है कि इस समस्या का तुरन्त प्रभाव से उचित निराकरण हो जावें। मईड़ा ने आगे कहां कि यदि सरकार, प्रशासन एवं एनपीसीआईएल के अधिकारियों ने मिलकर यदि कोई छलावा किया या करने का प्रयत्न किया तो इसके गम्भिर परिणाम हो सकते है। साथ ही उन्होंने उक्त सूचना पर अमल कर यथोचित कार्यवाही नहीं की तो 15 जून 2015 को किसान संघर्ष समिति आन्दोंलन के बैनर तले एक बड़े आन्दोलन को करने की बात कहीं जिसकी पूरी जवाबदारी सरकार, प्रशासन एवं एनपीसीआईएल की रहेंगी।
अध्यक्ष
दलीचन्द मईड़ा
माननीय मुख्यमंत्री महोदया,
राजस्थान सरकार जयपुर
द्वारा - जिला कलेक्टर महोदय बांसवाड़ा (राज.)
जिला प्रशासन की हरकतों ने साबित कर दिया ’’झूठ के पांव नहीं होते’’
कब होंगी साहब सुनवाई ’’चक्कर काट-काट कर थके गरिब ग्रामीण’’
मांगों पर सहमति नहीं बनने पर 15 जून 2015 को बडे आन्दोंलन की चेतावनी
बांसवाड़ा।। कुछ समय पुर्व आदिवासी किसान संघर्ष समिति के तत्वावधान में सैकडो की संख्या में पिडि़त ग्रामीणों द्वारा भाजपा के पूर्व मंत्री दलीचन्द मईड़ा के नैतृत्व में जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम न्यूक्लियर पाॅवर काॅरर्पोरेशन के बांसवाड़ा में लगने से विस्थापित होने वाले परिवारों को मिलने वाले मुआवजे हेतु सर्वे में हुए फर्जी दस्तावेजों के सम्बन्ध में परिवेदना पत्र दिया गया था, किन्तु उक्त पत्र में निर्धारित मियाद की अवधि के बित जाने के कई समय बाद भी सरकार, प्रशासन व एनपीसीआईएल के अधिकारियों द्वारा इस पर कोई यथोचित कार्यवाही नहीं की गई है, अपितु आज दिनांक तक भी फर्जी सर्वे रिर्पोट निरन्तर भरी जा रहीं है।
परिवेदना पत्र दिये जाने के उपरान्त जिला प्रशासन के आदेश पर दलीचन्द मईड़ा ने ग्रामीणों के प्रतिनिधि के रूप में कई बार जिला प्रशासन के अधिकारों के समक्ष समय-समय पर उक्त प्रोजेक्ट हेतु भूमि अधिग्रहण को लेकर दोनों पक्षों में सहर्ष सहमति के लिये स्वेच्छा से मिलने भी आये लेकिन प्रशासन द्वारा इस विषय में कोई खास रूची नहीं ली गई अपितु जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित द्वारा सीधें ही यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया गया की भूमि अधिग्रहण के लिये मैं जिम्मेदार नहीं हूं, इसके लिये तो एसडीओ से बात करों।
दुसरी औंर नवनियुक्त एसडीओ श्रीमति रूकमणी रियार के रूतबें एवं गुस्सेल व हठधर्मि मिजाज से डरे व सहमें ग्रामीण अपनी मांगों पर सहमती के लिये महोदया से मिलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है, और यदि ग्रामीण किस तरिके से मिलते भी है तो महोदया सही तरिके से बात भी नहीं करती है। इतर उचित सूचना के पारे”ाण के अभाव में केन्द्र सरकार उक्त सारे घटना क्रम से पूरी तरह बेखर है, अब राज्य सरकार को दे’ा के विकास के उक्त प्रोजेक्ट में गति देने हेतु कुछ सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
क्या चाहते है ग्रामीणः-
1. अपनी मांगों को लेकर ग्रामीण दलीचन्द मईड़ा को प्रतिनिधी नियुक्त कर 100 रू. के स्टाम्प पर समझौंते पूर्वक मानी गई मांगों के सम्बन्ध में द्विपक्षीय हस्ताक्षर मय मोहर व गवाह युक्त नौटरी द्वारा सत्यापित दस्तावेज।
2. दलीचन्द मईड़ा के नेतृत्व में उनके द्वारा निर्धारित व्यक्तियों द्वारा वास्तविक, सत्य तत्थ्यों पर आधारित सर्वे जिससे वास्तविक मुआवजे+ का सही-सही आंकलन किया जा सकें।
3. ग्रामीणों में मित्या भ्रांति फैलाने वाले एनपीसीआईएल के बांसवाड़ा कार्यालय में कई वर्”ाों से बेवजह कार्यरत शांतिलाल चैबिसा को उक्त प्रोजेक्ट से हटाना।
क्यौं नहीं बन पाई अभी तक सहमतिः-
उधर ग्रामीणों के नेता दलीचन्द मईड़ा का कहना है कि जब उक्त प्रोजेक्ट के लिये अपनी जमी+न के लिये ग्रामीण व दुसरी और इसके यथोचित मुआवजे+ के लिये एनपीसीआई के तैयार होने पर भी बात अपने मुकाम तक पहुंचने में इस लिये नाकाम रहीं क्योकि इस प्रोजेक्ट हेतु लगाये गये भू-अवाप्ति अधिकारी के मध्य कम्यूनिकेशन का बहुत बड़ा गेप हैै।
यह हो सकता है इस समस्या का समाधानः-
1. दोनों पक्षों के मध्य एक नियत वैंध मांगों पर सहमति बनाने के लिये एक मध्यस्थ की नियुक्ति की जा सकती है।
2. राज्य सरकार एवं प्रशासन को यह खुलकर बताना पडेंगा की किन मांगों को पुरा किया जा सकता है औंर किन मांगों को नहीं। ताकि दोनो पक्षों के मध्य भ्रम की स्थिति ना रहें।
3. केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं प्रशासन को टाईम आॅरियन्टेड पद्धति को छोड़कर रिजल्ट आॅरियन्टेड पद्धति को अपनाना पडेगा जिससे सभी पक्षों में सहमति बन सकें।
यह है ग्रामीणों की आगे की रणनितिः-
संघर्ष समिति के अध्यक्ष बीजेपी के पूर्व नेता दलीचन्द मईड़ा का कहना है कि हम अपना जायज+ हक मांग रहे है, कोई खैरात तो मांग नहीं रहे है, जो सरकार, प्रशासन औंर एनपीसीआईएल के अधिकारी हमसे बेवजह ही बैंर लिये हुए है। हम भी चाहतें है कि इस समस्या का तुरन्त प्रभाव से उचित निराकरण हो जावें। मईड़ा ने आगे कहां कि यदि सरकार, प्रशासन एवं एनपीसीआईएल के अधिकारियों ने मिलकर यदि कोई छलावा किया या करने का प्रयत्न किया तो इसके गम्भिर परिणाम हो सकते है। साथ ही उन्होंने उक्त सूचना पर अमल कर यथोचित कार्यवाही नहीं की तो 15 जून 2015 को किसान संघर्ष समिति आन्दोंलन के बैनर तले एक बड़े आन्दोलन को करने की बात कहीं जिसकी पूरी जवाबदारी सरकार, प्रशासन एवं एनपीसीआईएल की रहेंगी।
अध्यक्ष
दलीचन्द मईड़ा
ग्रामीण किसान संघर्ष समिति, छोटी सरवन
बांसवाड़ा (राज.)
बांसवाड़ा (राज.)
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सेवामें,
श्रीमान् निदेशक ग्रह मंत्रालय
राजस्थान सरकार जयपुर
सन्दर्भः- आन्दोंलन के सम्बन्ध में विधिक रूप से सूचना प्रेषित करने बाबत!
औंर सेः- आदिवासी किसान संघर्ष समिति छोटी सरवन, जिला बांसवाड़ा (राज.)
महोदयजी,
महोदय उपरोक्त विषयान्तर्गत निवेदन है, कि बांसवाड़ा में लगने वाले न्यूक्लियर पाॅवर काॅपोरेशन के प्लांट को लेकर आदिवासी किसान संघर्ष समिति छोटी सरवन, जिला बांसवाड़ा (राज.) द्वारा बीजेपी के पूर्व मंत्री दलीचन्द मईड़ा के नेतृत्व में हजारों की संख्या में गरीब किसान भाईयों द्वारा अपनी विधिक मांग पर सुनवाई के लिये तथा सरकार, प्रशासन व ग्रामीणों के बीच एक सहयोगात्मक वातारण के निर्माण के लिये मजबूरीवश उग्र आन्दोंलन को दिनांक 18.05.2015 से किया जावेंगा।
आप श्रीमान् के समक्ष उक्त सूचना कानून व्यवस्था को यथोचित बनाये रखने तथा प्र’ाासनिक व आम जनमानस की दैनिक व्यवस्थाओं की कोई वैकल्पिक सुविधाओं व व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिये दिया जा रहा है, जो समय रहते जनहित की दृष्टि से जारी की जावें।
सूचनार्थ प्रेषितः-
1. मुख्य निदेशक ग्रह मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली।
2. मुख्यमंत्री महोदय राजस्थान सरकार, जयपुर।
3. जिला कलेक्टर महोदय, बांसवाड़ा (राज.)
4. संपादक महोदय, सभी दैनिक समाचार पत्र।
5. आव’यक कार्यवाही हेतु अन्य।
सूचनादाता
अध्यक्ष
दलीचन्द मईड़ा,
आदिवासी किसाीन संघर्ष समिति,
छोटी सरवन, जिला बांसवाड़ा (राज.)
श्रीमान् निदेशक ग्रह मंत्रालय
राजस्थान सरकार जयपुर
सन्दर्भः- आन्दोंलन के सम्बन्ध में विधिक रूप से सूचना प्रेषित करने बाबत!
औंर सेः- आदिवासी किसान संघर्ष समिति छोटी सरवन, जिला बांसवाड़ा (राज.)
महोदयजी,
महोदय उपरोक्त विषयान्तर्गत निवेदन है, कि बांसवाड़ा में लगने वाले न्यूक्लियर पाॅवर काॅपोरेशन के प्लांट को लेकर आदिवासी किसान संघर्ष समिति छोटी सरवन, जिला बांसवाड़ा (राज.) द्वारा बीजेपी के पूर्व मंत्री दलीचन्द मईड़ा के नेतृत्व में हजारों की संख्या में गरीब किसान भाईयों द्वारा अपनी विधिक मांग पर सुनवाई के लिये तथा सरकार, प्रशासन व ग्रामीणों के बीच एक सहयोगात्मक वातारण के निर्माण के लिये मजबूरीवश उग्र आन्दोंलन को दिनांक 18.05.2015 से किया जावेंगा।
आप श्रीमान् के समक्ष उक्त सूचना कानून व्यवस्था को यथोचित बनाये रखने तथा प्र’ाासनिक व आम जनमानस की दैनिक व्यवस्थाओं की कोई वैकल्पिक सुविधाओं व व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिये दिया जा रहा है, जो समय रहते जनहित की दृष्टि से जारी की जावें।
सूचनार्थ प्रेषितः-
1. मुख्य निदेशक ग्रह मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली।
2. मुख्यमंत्री महोदय राजस्थान सरकार, जयपुर।
3. जिला कलेक्टर महोदय, बांसवाड़ा (राज.)
4. संपादक महोदय, सभी दैनिक समाचार पत्र।
5. आव’यक कार्यवाही हेतु अन्य।
सूचनादाता
अध्यक्ष
दलीचन्द मईड़ा,
आदिवासी किसाीन संघर्ष समिति,
छोटी सरवन, जिला बांसवाड़ा (राज.)
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माननीया मुख्यमंत्री महोदया
राजस्थान सरकार
जयपुर (राज.)
सन्दर्भः- बारी, कटुम्बी, आड़ीभीत, सजवानिया और रेल में प्रस्तावित परमाणु बिजलीघर के सम्बन्ध में आदिवासी किसान संघर्ष समिति द्वारा पूर्व में दिये गये 21 सूत्रीय मांग पत्र के प्रति गंभीरता नहीं दिखाने वाले एवं षडयंत्र पूर्वक फर्जी सर्वे दस्तावेज तैयार कर ग्रामीणों के साथ छल, कपट कर धोखा करने वाले जिला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित, उपखण्ड अधिकारी श्रीमति रूकमणी रियाड़ एवं मुख्य साजीशकर्ता एनपीसीआईएल के अधिकारी श्री शान्तिलाल चौबिसा का तत्काल प्रभाव से हटाने एवं उचित सुनवाई नहीं होने पर ग्रामीण आदिवासियों द्वारा उग्र जनआन्दोलन करने के सम्बन्ध में।
महोदया,
उपरोक्त विषयान्तर्गत निवेदन है कि बारी, कटुम्बी, आड़ीभीत, सजवानिया और रेल में राज्य सरकार द्वारा परमाणु बिजलीघर बनाया जाना प्रस्तावित है, जिसके लिये सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही कई वर्षों से की जा रही है। सर्वविदित है कि ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा पूर्व राज्य मंत्री दलीचन्द मईड़ा के नैतृत्व में उक्त प्रोजेक्ट हेतु अपनी अधिगृहण होने वाली जमीन के सम्बन्ध में 20 सूत्रीय मांग पत्र सरकार, प्रशासन एवं एनपीसीआईएल को पिछले 3 वर्षों से देते रहे है, लेकिन मांगों में से न तो कोई मांग पूरी हुई औंर ना ही आज दिनांक तक उस पर कोई सकारात्मक चर्चा की गई।
गरीब आदिवासी अनपढ़, बेरोजगार युवाओं एवं किसानों के हित में 20 सूत्रीय मांग पत्र के के सम्बन्ध में जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित, उपखण्ड अधिकारी रूक्मणी रियाड़ एवं मुख्य साजीशकर्ता एनपीसीआईएल के अधिकारी श्री शान्तिलाल चौबिसा ने ग्रामीणों के हित में आज दिनांक तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई है। इसके विपरित इन अधिकारियों द्वारा ने साजीश रचते एवं धोखाधडी करते हुए 72000 रूपये प्रति बिघा के हिसाब से मुआवजे के अवार्ड जारी कर दियें।
यही नहीं अपितु उक्त अधिकारीयों ने अपने एयरकंडीशनर कार्यालयों अपने स्वचयनित दलालों के माध्यम से ग्रामीणों को ड़रा धमकाकर व भय का वातावरण निर्मित कर एवं धन का लालच देकर इन्होने अवाडऱ् जारी करनेत हेतु फर्जी सर्वे के दस्तावेज तैयार करने का कार्य किया है। इन्होनें कभी भी प्रभावित गांवों का दौरा कर खुले मंच पर ग्रामीणों से बात नहीं की, औंर ना ही सरकार की नितियों एवं बिजलीघर को बनाने की कार्यवाही से ग्रामीणों को आज दिनांक तक अवगत कराया है।
गरीब आदिवासियों की मांग है कि जिन लोगों के सर्वे पत्र भरें गये है उन्हें ग्राम पंचायत की आम सभा में प्रस्तुत कर सत्यापित किया जावें क्योंकि सभी सर्वे दस्तावेजों पर धोखे, लालच एवं धमकी देकर व मिथ्या जानकारी देकर दलालों के माध्यम से एवं फर्जी हस्ताक्षर कर व कुटरचित दस्तावेज तैयार कर सर्वें के फार्म भरें गये है।
आज दिनांक तक की समस्त कार्यवही में जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी एवं मुख्य साजीशकर्ता एनपीसीआईएल के अधिकारी श्री शांतिलाल चौबीसा का व्यवहार अमर्यादित एवं गरीबों की दमनकारी निति करने वाला एवं गरीबों का शोषण कर उन पर मनमर्जी थोपने वाला है। यह सारें फैसले अपने एयरकंडीशनर कार्याेलयों में बैठकर लेते है। यह आज दिनांक तक प्रभावित ग्राम पंचायतों की किसी भी बैठक में सम्मिलित नहीं हुए है। इन्हें ग्राम पंचायत में बैठक बुलाकर ग्रामीणों से उक्त सम्बन्ध बात करनी चाहिए जिससे वास्तविकता का पता चल सकें। फर्जी एवं लालच आधारित सर्वें के आधार पर गरीब किसानों की जमींन हथियाना एवं अधिगृहित करना गैंरकानूनी एवं अन्याय पूर्ण है।
ग्रामीणों से बिना वार्ता एवं उनकी मांगों पर आज दिनांक तक कोई विचार नहीं करके सरकार एवं प्र’ाासन इन गरीब आदिवासी किसानों की कृषि भूमि के लिये अवार्ड जारी कर दिये है। इससे ऐसा लगता है कि सरकार इनकी जमीन अधिगृहित करके इन सबको रोड़ पर लाना चाहते है।
सर्वे करनी वाली यूपी की संस्था द्वारा प्रभावित गांवों के कुछ लोगो को लालच देकर उक्त कम्पनी में लगाया गया है, जिन्हें मुख्य साजीशकर्ता एनपीसीआईएल के अधिकारी श्री शान्तिलाल चौबिसा कम्पनी के दलाल बना कर लोगों के बिच में भेजती है, औंर झूठें वायदे, लालच एवं धमकी देकर गुपचुप तरिके से लोगों को आपस में लड़ाने का कार्य करती है। अतः इन लोगों को तत्काल प्रभाव से हटाया जावें।
अतः माननीय महोदया से निवेदन है कि जिला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित, उपखण्ड अधिकारी श्रीमति रूकमणी रियाड़ एवं मुख्य साजीशकर्ता एनपीसीआईएल के अधिकारी श्री शान्तिलाल चौबिसा को तत्काल प्रभाव से हटा कर ग्रामीण आदिवासियों की बीस सूत्रीय मांगों को पूरा किया जावें अन्यथा ग्रामीण आदिवासियों द्वारा आने वाले 2 दिनों के बाद उग्र जनआन्दोलन किया जावेंगा। इसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार, प्रशासन एवं एनपीसीआईएल की रहेंगी।
प्रतिलिपिः-
1. जिला कलेक्टर महोदय, बांसवाड़ा राज.।
2. संपादक महोदय सभी दैनिक समाचार पत्र।
दलीचन्द मईड़ा धीरजमल गणावा छगनलाल चरपोटा
(अध्यक्ष) (वरिष्ठ उपाध्यक्ष) (महामंत्री)
पूर्व राज्य मंत्री पूर्व प्रधान पूर्व सरपंच
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राजस्थान सरकार
जयपुर (राज.)
सन्दर्भः- बारी, कटुम्बी, आड़ीभीत, सजवानिया और रेल में प्रस्तावित परमाणु बिजलीघर के सम्बन्ध में आदिवासी किसान संघर्ष समिति द्वारा पूर्व में दिये गये 21 सूत्रीय मांग पत्र के प्रति गंभीरता नहीं दिखाने वाले एवं षडयंत्र पूर्वक फर्जी सर्वे दस्तावेज तैयार कर ग्रामीणों के साथ छल, कपट कर धोखा करने वाले जिला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित, उपखण्ड अधिकारी श्रीमति रूकमणी रियाड़ एवं मुख्य साजीशकर्ता एनपीसीआईएल के अधिकारी श्री शान्तिलाल चौबिसा का तत्काल प्रभाव से हटाने एवं उचित सुनवाई नहीं होने पर ग्रामीण आदिवासियों द्वारा उग्र जनआन्दोलन करने के सम्बन्ध में।
महोदया,
उपरोक्त विषयान्तर्गत निवेदन है कि बारी, कटुम्बी, आड़ीभीत, सजवानिया और रेल में राज्य सरकार द्वारा परमाणु बिजलीघर बनाया जाना प्रस्तावित है, जिसके लिये सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही कई वर्षों से की जा रही है। सर्वविदित है कि ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा पूर्व राज्य मंत्री दलीचन्द मईड़ा के नैतृत्व में उक्त प्रोजेक्ट हेतु अपनी अधिगृहण होने वाली जमीन के सम्बन्ध में 20 सूत्रीय मांग पत्र सरकार, प्रशासन एवं एनपीसीआईएल को पिछले 3 वर्षों से देते रहे है, लेकिन मांगों में से न तो कोई मांग पूरी हुई औंर ना ही आज दिनांक तक उस पर कोई सकारात्मक चर्चा की गई।
गरीब आदिवासी अनपढ़, बेरोजगार युवाओं एवं किसानों के हित में 20 सूत्रीय मांग पत्र के के सम्बन्ध में जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित, उपखण्ड अधिकारी रूक्मणी रियाड़ एवं मुख्य साजीशकर्ता एनपीसीआईएल के अधिकारी श्री शान्तिलाल चौबिसा ने ग्रामीणों के हित में आज दिनांक तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई है। इसके विपरित इन अधिकारियों द्वारा ने साजीश रचते एवं धोखाधडी करते हुए 72000 रूपये प्रति बिघा के हिसाब से मुआवजे के अवार्ड जारी कर दियें।
यही नहीं अपितु उक्त अधिकारीयों ने अपने एयरकंडीशनर कार्यालयों अपने स्वचयनित दलालों के माध्यम से ग्रामीणों को ड़रा धमकाकर व भय का वातावरण निर्मित कर एवं धन का लालच देकर इन्होने अवाडऱ् जारी करनेत हेतु फर्जी सर्वे के दस्तावेज तैयार करने का कार्य किया है। इन्होनें कभी भी प्रभावित गांवों का दौरा कर खुले मंच पर ग्रामीणों से बात नहीं की, औंर ना ही सरकार की नितियों एवं बिजलीघर को बनाने की कार्यवाही से ग्रामीणों को आज दिनांक तक अवगत कराया है।
गरीब आदिवासियों की मांग है कि जिन लोगों के सर्वे पत्र भरें गये है उन्हें ग्राम पंचायत की आम सभा में प्रस्तुत कर सत्यापित किया जावें क्योंकि सभी सर्वे दस्तावेजों पर धोखे, लालच एवं धमकी देकर व मिथ्या जानकारी देकर दलालों के माध्यम से एवं फर्जी हस्ताक्षर कर व कुटरचित दस्तावेज तैयार कर सर्वें के फार्म भरें गये है।
आज दिनांक तक की समस्त कार्यवही में जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी एवं मुख्य साजीशकर्ता एनपीसीआईएल के अधिकारी श्री शांतिलाल चौबीसा का व्यवहार अमर्यादित एवं गरीबों की दमनकारी निति करने वाला एवं गरीबों का शोषण कर उन पर मनमर्जी थोपने वाला है। यह सारें फैसले अपने एयरकंडीशनर कार्याेलयों में बैठकर लेते है। यह आज दिनांक तक प्रभावित ग्राम पंचायतों की किसी भी बैठक में सम्मिलित नहीं हुए है। इन्हें ग्राम पंचायत में बैठक बुलाकर ग्रामीणों से उक्त सम्बन्ध बात करनी चाहिए जिससे वास्तविकता का पता चल सकें। फर्जी एवं लालच आधारित सर्वें के आधार पर गरीब किसानों की जमींन हथियाना एवं अधिगृहित करना गैंरकानूनी एवं अन्याय पूर्ण है।
ग्रामीणों से बिना वार्ता एवं उनकी मांगों पर आज दिनांक तक कोई विचार नहीं करके सरकार एवं प्र’ाासन इन गरीब आदिवासी किसानों की कृषि भूमि के लिये अवार्ड जारी कर दिये है। इससे ऐसा लगता है कि सरकार इनकी जमीन अधिगृहित करके इन सबको रोड़ पर लाना चाहते है।
सर्वे करनी वाली यूपी की संस्था द्वारा प्रभावित गांवों के कुछ लोगो को लालच देकर उक्त कम्पनी में लगाया गया है, जिन्हें मुख्य साजीशकर्ता एनपीसीआईएल के अधिकारी श्री शान्तिलाल चौबिसा कम्पनी के दलाल बना कर लोगों के बिच में भेजती है, औंर झूठें वायदे, लालच एवं धमकी देकर गुपचुप तरिके से लोगों को आपस में लड़ाने का कार्य करती है। अतः इन लोगों को तत्काल प्रभाव से हटाया जावें।
अतः माननीय महोदया से निवेदन है कि जिला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित, उपखण्ड अधिकारी श्रीमति रूकमणी रियाड़ एवं मुख्य साजीशकर्ता एनपीसीआईएल के अधिकारी श्री शान्तिलाल चौबिसा को तत्काल प्रभाव से हटा कर ग्रामीण आदिवासियों की बीस सूत्रीय मांगों को पूरा किया जावें अन्यथा ग्रामीण आदिवासियों द्वारा आने वाले 2 दिनों के बाद उग्र जनआन्दोलन किया जावेंगा। इसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार, प्रशासन एवं एनपीसीआईएल की रहेंगी।
प्रतिलिपिः-
1. जिला कलेक्टर महोदय, बांसवाड़ा राज.।
2. संपादक महोदय सभी दैनिक समाचार पत्र।
दलीचन्द मईड़ा धीरजमल गणावा छगनलाल चरपोटा
(अध्यक्ष) (वरिष्ठ उपाध्यक्ष) (महामंत्री)
पूर्व राज्य मंत्री पूर्व प्रधान पूर्व सरपंच
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सेवामें,
श्रीमति एसडीएम महोदया,
बांसवाड़ा (राज)
विषयः- न्यूक्लियर पाॅवर काॅरर्पाेरेशन द्वारा पूर्व में किये गये सर्वे को निरस्त करने बाबत।
महोदया,
उपरोक्त विषयान्तर्गत निवेदन है कि आप श्रीमति द्वारा नियुक्ति की गई यू.पी. की संस्था एवं एनपीसीआईएल के अधिकारी शान्तिलाल चौबीसा द्वारा फर्जी सर्वे रिपोर्ट तैंयार कर अटल सेवा केंन्द्रो पर चस्पा की गई थाी जो पूर्णतया मिथ्या एवं फर्जी तरिके से भरी गई थी जो मौके पर गये बिना ही अपने कार्यालय पर बैठ कर बनाई गयी थी, जिस पर ना तो किसी अधिकारी के हस्ताक्षर थे औंर ना ही उसे किसी कर्मचारी द्वारा सत्यापित किया गया था।
आप श्रीमति से निवेदन है कि आज दिनांक तक तैंयार किये गये सर्वे संबन्धित समस्त दस्तावेज पूर्णतया निरस्त किया जावें। आदिवासी किसान संघर्ष समिति की अनुशंषा होने पर ही सर्वे सम्बन्धि कार्य किया जावें इस सम्बन्ध आगामी रूप से वार्तालाप हेतु आप महोदया को विधिवित रूप से सूचना प्रेषित कर दी जावेंगी।
अध्यक्ष
आदिवासी किसान संघर्ष समिति
छोटी सरवन, बांसवाड़ा (राज.)