पत्रकार ______✒ जरुरत सभी को लेकिन उसके काम कोई नहीं आता
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पत्रकार ______✒ जरुरत सभी को लेकिन उसके काम कोई नहीं आता


    कभी बिजली नहीं आती तो पत्रकार को बुलाओ, पानी नहीं आता तो पत्रकार को बुलाओ, नाली नाले भरे हुए है तो पत्रकार को बुलाओ, कोई रिश्वत मांगता है तो पत्रकार को बुलाओ, नेता जी को अगर वोट चहिये तो कहते है बही पत्रकार को बुलाओ हर गम की हर ख़ुशी की खबर पर पत्रकार को 24 घण्टे में कभी भी सर्दी, गर्मी, बरसात बुलाया जाता है।
     तो क्यों जब पत्रकार के साथ बुरा होता है तो उसको बुलानेबाले लोग, नेता, बाबू उसकी मदद को नहीं आते। कल कानपुर में सच के सिपाही दीपक मिश्रा जो दैनिक अख़बार मेरा सच के पत्रकार है उनपर 5 गोली चलाई जिसमे से 2 गोली पत्रकार को लगी लेकिन मारने बाले से बचाने बाला बहुत बड़ा है पत्रकार की अच्छी किस्मत पत्रकार की जान अब खतरे से बाहर है। अब आते है मुद्दे पर गोली क्यों मारी गई इसका जबाब है कानपुर नोबस्ता में काफी समय से बहुत बड़ा जुआ होता आ रहा है जिसको इलाके के कई नेता और पुलिस का सरकछण प्रप्ता है। जिसकी बजह से जुए की न्यूज़ लगाने पर जुआ बंद नहीं हुआ बल्कि जुआ कराने बाले गुंडों ने पत्रकार को ही जान से मारने की हिम्मत कर दी।
     उन गुंडों पर कितने बड़े हाथ है इसका अन्दजा सिर्फ इससे ही लगाया जा सकता है की पत्रकार के दुआरा उनको पहचान लेने के बाद और उनका नाम पता बताने के बाद भी कल से अभी तक पुलिस कुछ नहीं कर पाई इस मामले में अभी तक कोई ठोस कार्यबहि नहीं कर पाई।
      उस पर कानपुर में बड़े बड़े नेता जो बोलते तो बहुत कुछ है लेकिन करते कुछ नहीं चाहे वो सत्ता पछ के हो या विपक्छ के एक भी हॉस्पिटल पत्रकार का हाल जानने नहीं आया । इससे मालूम चलता है की इन लोगो की निगह में हम पत्रकारो की जिंदगी की कीमत क्या है। जबकि हम अपनी जान खतरे में डाल कर न्यूज़ कवर करते है । कोई भी हो सत्ता में सब वोट का खेल है अगर कोई किसी पार्टी का छोटे से छोटा सदस्य भी होता तो पूरा राजनीतिग गलियारा आ जाता। लेकिन अफ़सोस पत्रकार के लिए कोई नहीं।