नई दिल्ली।। अब तक हमने यही सुना है कि दूध सेहत के लिए फायदेमंद होता है लेकिन अब ये सामने आया है कि एक ऐसा दूध भी है जो इंसान के लिए खतरनाक हो सकता है।
जी हां आपने सही सुना। ऑनलाइन बिक रहा इंसानी दूध नुकसानदेह हो सकता है। विशेष वेबसाइट और सोशल मीडिया समूह महिलाओं के स्तन से उतरे अतिरिक्त दूध को ज़रूरतमंद लोगों तक पहुंचाते हैं।
इस प्रोडक्ट का नाम ‘लिक्विड गोल्ड’ रखा गया है। लंदन की क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी की टीम का दावा है कि ये दूध पाश्चरीकृत नहीं है इसलिए इसमें बैक्टीरिया के पनपने की आशंका होती है।
इस दूध का कारोबार करने वालों का दावा है कि इससे इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होती है और रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ती है। इस बारे में यूनिवर्सिटी टीम का कहना है कि ये दावा गुमराह करने वाला है और ये कैंसर रोगियों के लिए खतरनाक हो सकता है।
दो पार्टियों के बीच आपसी सहमति से ख़रीदे जाने के कारण फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कि इंसानी दूध को बेचने की क्या प्रक्रिया है। बार्ट्स एंड द लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड डेंटिस्ट्री की डॉक्टर सारा स्टील ने बीबीसी को जानकारी दी कि इंसानी दूध का बाज़ार दुनिया भर में लगातार बढ़ रहा है।
द रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडीसिन की पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गलत तरीके से दूध निकालने और उसे इकट्ठा करने के कारण ऑनलाइन बेचे जाने वाले 93 फीसदी इंसानी दूध में बैक्टीरिया पाया गया है।इसलिए इस दूध से हेपिटाइटिस बी और सी, एचआईवी और सिफ़लिस जैसी बीमारियों के होने का अंदेशा होता है। जिन महिलाओं के स्तनों से पर्याप्त दूध नहीं उतरता उनके बच्चों के लिए दूध के इस कारोबार की शुरुआत की गई थी। बाद में इसके सेहत से जुड़े फ़ायदे को देखते हुए दूसरे लोग भी इसका इस्तेमाल करने लगे।
जी हां आपने सही सुना। ऑनलाइन बिक रहा इंसानी दूध नुकसानदेह हो सकता है। विशेष वेबसाइट और सोशल मीडिया समूह महिलाओं के स्तन से उतरे अतिरिक्त दूध को ज़रूरतमंद लोगों तक पहुंचाते हैं।
इस प्रोडक्ट का नाम ‘लिक्विड गोल्ड’ रखा गया है। लंदन की क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी की टीम का दावा है कि ये दूध पाश्चरीकृत नहीं है इसलिए इसमें बैक्टीरिया के पनपने की आशंका होती है।
इस दूध का कारोबार करने वालों का दावा है कि इससे इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होती है और रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ती है। इस बारे में यूनिवर्सिटी टीम का कहना है कि ये दावा गुमराह करने वाला है और ये कैंसर रोगियों के लिए खतरनाक हो सकता है।
दो पार्टियों के बीच आपसी सहमति से ख़रीदे जाने के कारण फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कि इंसानी दूध को बेचने की क्या प्रक्रिया है। बार्ट्स एंड द लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड डेंटिस्ट्री की डॉक्टर सारा स्टील ने बीबीसी को जानकारी दी कि इंसानी दूध का बाज़ार दुनिया भर में लगातार बढ़ रहा है।
द रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडीसिन की पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गलत तरीके से दूध निकालने और उसे इकट्ठा करने के कारण ऑनलाइन बेचे जाने वाले 93 फीसदी इंसानी दूध में बैक्टीरिया पाया गया है।इसलिए इस दूध से हेपिटाइटिस बी और सी, एचआईवी और सिफ़लिस जैसी बीमारियों के होने का अंदेशा होता है। जिन महिलाओं के स्तनों से पर्याप्त दूध नहीं उतरता उनके बच्चों के लिए दूध के इस कारोबार की शुरुआत की गई थी। बाद में इसके सेहत से जुड़े फ़ायदे को देखते हुए दूसरे लोग भी इसका इस्तेमाल करने लगे।