मध्य प्रदेश में राजनैतिक नेतृत्व इन दिनों संकट के दौर से गुज़र रहा है।व्यापम घोटाले से जुड़े मामले उजागर होने एवम् सिलसिलेवार हत्याओं ने इस मामले को राष्ट्रिय स्तर तक चर्चित कर दिया है। आज तक के पत्रकार अक्षय की संदिग्ध मौत ने इस मामलों को नई हवा दे दी है। अब इस मुद्दे को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सख्ती से निपटाने के संकेत दे दिए हैं। बिहार उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में आगामी समय में विधानसभा चुनावों की स्थिति को देखते हुए केंद्रीय कार्यसमिति ने इस मामले को गम्भीरता से लिया है। सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश और बिहार में कांग्रेस सहित समस्त विपक्षी दल व्यापम घोटाले को मुख्य मुद्दा बनाने की रणनीति बना रहे हैं। जिससे चिंतित केंद्रीय कार्यसमिति ने प्रदेश में अपनी छवि बचाने के लिए प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के संकेत दिए हैं। ताजा समाचारों के अनुसार नये CM की घोषणा आगामी दिनो में की जा सकती है।
उल्लेखनीय है की प्रदेश में भाजपा सरकार की तीसरी पारी शिवराजसिंह चौहान के कारण ही सम्भव हुई थी। लेकिन पिछले दो कार्यकालों की तुलना में तीसरे कार्यकाल के प्रदर्शन में काफी गिरावट पाई जा रही है। शासन पर प्रशासन ज्यादा हावी होता नज़र आ रहा है।मंत्रियों एवम् विधायकों की तुलना में अफसरशाही ज्यादा तगड़े रूप में सामने आई है।कुछ मंत्री भी इस व्यवस्था को लेकर अपनी नाराजी जाहिर कर चुके हैं।हाल ही में डी मेट एवम् एरिया एजुकेशन ऑफिसर की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके अभ्यर्थियों ने भी नियुक्तियों में अफसरों की अड़ंगेबाजी की शिकायत मुख्यमंत्री प्रधानमन्त्री एवम् भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष को को थी। प्रदेश में शिक्षा विभाग में निजीकरण एवम् शिक्षा सेवा आयोग के क्रियान्वयन में देरी के चलते शिक्षा मंत्री पारस जैन की अक्षमता जग जाहिर हो चुकी है। इन दोनों मामलों में शिवराज सिंह चौहान को खुद सामने आकर स्थिति संभालनी पड़ी थी। नए घटनाक्रम के अंतर्गत केंद्रीय महासचिव के पद पर चुने जाने के बाद कैलाश विजयवर्गीय का कद अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। एवम् भोपाल में उनकी धमाकेदार वापसी को एक शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। सोमवार को केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में शिवराजसिंह चौहान को अपना पक्ष रखने को कहा गया है।लेकिन अंदरुनी खबरों के अनुसार स्थिति सी एम् के पक्ष में नहीं लग रही है एवम् यह एक औपचारिकता मात्र है।अगले दिनों में नए मुख्यमंत्री की घोषणा सम्भव है।
सम्भवत : 15 जुलाई को मध्यप्रदेश, छत्तीशगढ़, राजस्थान में बीजेपी में बड़ा बदलाव होने की संभावना। तीनो मुख्यमंत्री को बदलने की पूरी संभावना।
यह हो सकते है सिंहासन के नए सरताज़
उल्लेखनीय है की प्रदेश में भाजपा सरकार की तीसरी पारी शिवराजसिंह चौहान के कारण ही सम्भव हुई थी। लेकिन पिछले दो कार्यकालों की तुलना में तीसरे कार्यकाल के प्रदर्शन में काफी गिरावट पाई जा रही है। शासन पर प्रशासन ज्यादा हावी होता नज़र आ रहा है।मंत्रियों एवम् विधायकों की तुलना में अफसरशाही ज्यादा तगड़े रूप में सामने आई है।कुछ मंत्री भी इस व्यवस्था को लेकर अपनी नाराजी जाहिर कर चुके हैं।हाल ही में डी मेट एवम् एरिया एजुकेशन ऑफिसर की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके अभ्यर्थियों ने भी नियुक्तियों में अफसरों की अड़ंगेबाजी की शिकायत मुख्यमंत्री प्रधानमन्त्री एवम् भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष को को थी। प्रदेश में शिक्षा विभाग में निजीकरण एवम् शिक्षा सेवा आयोग के क्रियान्वयन में देरी के चलते शिक्षा मंत्री पारस जैन की अक्षमता जग जाहिर हो चुकी है। इन दोनों मामलों में शिवराज सिंह चौहान को खुद सामने आकर स्थिति संभालनी पड़ी थी। नए घटनाक्रम के अंतर्गत केंद्रीय महासचिव के पद पर चुने जाने के बाद कैलाश विजयवर्गीय का कद अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। एवम् भोपाल में उनकी धमाकेदार वापसी को एक शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। सोमवार को केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में शिवराजसिंह चौहान को अपना पक्ष रखने को कहा गया है।लेकिन अंदरुनी खबरों के अनुसार स्थिति सी एम् के पक्ष में नहीं लग रही है एवम् यह एक औपचारिकता मात्र है।अगले दिनों में नए मुख्यमंत्री की घोषणा सम्भव है।
सम्भवत : 15 जुलाई को मध्यप्रदेश, छत्तीशगढ़, राजस्थान में बीजेपी में बड़ा बदलाव होने की संभावना। तीनो मुख्यमंत्री को बदलने की पूरी संभावना।
यह हो सकते है सिंहासन के नए सरताज़
मध्यप्रदेश मे थावरचंद गहलोत
राजस्थान मे ओम माथुर
छत्तीशगढ़ मे बृजमोहन अग्रवाल.
(Jitendra Pratap Singh)
राजस्थान मे ओम माथुर
छत्तीशगढ़ मे बृजमोहन अग्रवाल.
(Jitendra Pratap Singh)