खत्म होने के बाद भी दहेज प्रताड़ना की धारा 498ए पर चल रहे हजारों केस
Headline News
Loading...

Ads Area

खत्म होने के बाद भी दहेज प्रताड़ना की धारा 498ए पर चल रहे हजारों केस


    नई दिल्ली।। क्या दहेज के लिए प्रताड़ित करने को अपराध बताने वाली आइपीसी की धारा 498ए छब्बीस साल पहले निरस्त हो चुकी है? अगर ऐसा है तो फिर देशभर में इस धारा के तहत हजारों मुकदमे कैसे चल रहे हैं? दहेज प्रताड़ना का मुकदमा झेल रहा एक आरोपी यह सवाल लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।
   उसका कहना है कि धारा 498ए तो 1988 में ही अपराध संशोधन कानून के जरिये निरस्त कर दी गई थी। अब इस धारा के तहत मुकदमा नहीं चल सकता। सुप्रीम कोर्ट इसे समाप्त हो चुका कानून घोषित करे। शीर्ष अदालत ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल से जवाब मांगा है। दहेज प्रताड़ना में भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 498ए के तहत मुकदमा झेल रहे उत्तर प्रदेश में मथुरा के रहने वाले रविन्द्र उर्फ रवि ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर यह मामला उठाया है।
    गत सोमवार को वरिष्ठ वकील परमानंद कटारा और कुसुम लता शर्मा ने न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ से कहा कि दहेज के लिए क्रूरता को अपराध बताने वाली धारा 498ए तो 1988 में ही निरस्त हो चुकी है। ऐसे में इस धारा के तहत किसी पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने कोर्ट के समक्ष 31 मार्च, 1988 को पास हुआ एक्ट संख्या 19, रिपीलिंग एंड एमेंडमेंट एक्ट (निरस्त और संशोधन कानून 1988) पेश किया।
    जिसमें एक्ट संख्या 46 का क्रिमिनल लॉ सेकेंड एमेंडमेंट एक्ट, 1983 पूरी तरह निरस्त किए जाने की बात कही गई है। 1983 के इसी कानून के जरिये आइपीसी में संशोधन कर धारा 498ए जोड़ी गई थी। जिसमें दहेज के लिए विवाहिता के साथ क्रूरता करने पर पति और उसके रिश्तेदारों को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। पीठ ने कटारा की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है और हम चाहते हैं कि सॉलिसिटर जनरल इसमें कोर्ट की मदद करें।
     सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने इस परजवाब देने के लिए कोर्ट से दो सप्ताह का समय मांगा। इस पर पीठ ने उन्हें समय देते हुए सुनवाई 14 अगस्त तक टाल दी। रवि ने अपनी याचिका में कहा है कि उसके खिलाफ धारा 498ए में लंबित मुकदमा निरस्त किया जाए और सुप्रीम कोर्ट सरकार को निरस्त व संशोधन कानून लागू करने का आदेश दे। 
 
 
[माला दीक्षित]