जानिए इस दैवीय मंदिर की शक्ति को भी
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जानिए इस दैवीय मंदिर की शक्ति को भी

    दैवीय शक्ति को समर्पित इस स्थान के कुछ रहस्य आज भी बरकरार हैं जो किसी के लिए श्रद्धा तो किसी के लिए खोज का विषय बने हुए हैं।
    लोग इस मंदिर में आते तो 'करणी माता के दर्शन के लिए हैं पर साथ ही नजरें खोजती हैं सफेद चूहे को।
   'चूहे वाला मंदिर' के नाम से भी प्रसिद्ध यह मंदिर बीकानेर से कुछ ही दूरी पर देशनोक नामक स्थान पर बना हुआ है।
   आस्था व विज्ञान का तिलिस्मी तालमेल लिए अपने सीने में राज छुपाए बैठे इस मंदिर की यह पहली विशेषता है।
    इस मंदिर में भक्तों से ज्यादा काले चूहे नजर आते हैं और इनकी खासी तादाद में अगर कहीं सफेद चूहा दिख जाए तो समझें कि मनोकामना पूरी हो जाएगी।
    चूहों की अधिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की मंदिर के अंदर मुख्य प्रतिमा तक पहुंचने के लिए आपको अपने पैर घसीटते हुए जाना पड़ता है। क्योकि यदि आप पैर उठाकर रखते है तो उसके नीचे आकर चूहे घायल हो सकते है जो की अशुभ माना जाता है।
   इस मंदिर में करीब बीस हज़ार काले चूहों के साथ कुछ सफ़ेद चूहे भी रहते है। इस चूहों को ज्यादा पवित्र माना जाता है।
   मंदिर में सुबह 5 बजे होने वाली मंगला आरती और शाम को 7 बजे होने वाली संध्या आरती के वक्त अधिकांश चूहे अपने बिलो से बाहर आ जाते है। इन दो वक्त चूहों की सबसे ज्यादा धामा चौकड़ी होती है।
   असंख्य चूहों से पटे इस मंदिर से बाहर कदम रखते ही एक भी चूहा नजर नहीं आता और न ही मंदिर के भीतर कभी बिल्ली प्रवेश करती है।
  जब प्लेग जैसी बीमारी ने अपना आतंक दिखाया था तब भी यह मंदिर ही नहीं बल्कि पूरा देशनोक इस बीमारी से महफूज था