गुमनामी बाबा ही थे सुभाष चन्द्र बोस ?
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गुमनामी बाबा ही थे सुभाष चन्द्र बोस ?

   नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जी की मौत का रहस्य उनके जीवन की तरह ही रहस्यमयी रहा. अधिकतर लोगों का मानना था कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु 1945 में प्लेन हादसे में हो गई थी लेकिन इसके बाद आए एक सच ने सभी के होश उड़ा दिए और वह सच था गुमनामी बाबा का.
आखिर कौन थे गुमनामी बाबा
    नेताजी की मौत का रहस्य उस समय और भी गहरा गया जब दुनिया के सामने आए गुमनामी बाबा. 1985 में फैजाबाद, उत्तर प्रदेश में रहने वाले भगवान जी उर्फ गुमनामी बाबा को कई लोग नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मानते थे. हालांकि कई लोगों का मानना था कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के करीबी होने की वजह से गुमनामी बाबा की हरकतें और भाव नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे थे. खुद गुमनामी बाबा ने भी कई बार खुद के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस होने का दावा भी किया. एक जांच में तो यह भी सामने आया कि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस और गुमनामी बाबा की राइटिंग मिलती है. हालांकि मुखर्जी आयोग ने यह मानने से साफ इंकार किया कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चन्द्र हैं पर मुखर्जी आयोग ने भारत सरकार के इस दावे का भी खंडन किया कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मौत 1945 में हो गई थी. इसी वजह से गुमनामी बाबा को आज भी लोग रहस्य ही मानते हैं.
    गुमनामी बाबा को कई लोग नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मानते थे तो कुछ लोग ऐसे भी थे जो इसे कांग्रेस की चाल मानते थे. हालांकि ऐसे लोग की सोच कि गुमनामी बाबा कांग्रेस द्वारा रचा गया एक किरदार था यह मात्र फैंटसी ही कही जाएगी.
    लेकिन जो बात सभी को हिलाती है वह यह है कि मुखर्जी आयोग के अध्यक्ष जस्टिस मनोज मुखर्जी ने ऑफ रिकॉर्ड एक बार यह भी कहा था कि उन्हें 100 % यकीन है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चन्द्र बोस थे. हालांकि ऑफ रिकॉर्ड ऐसी बात कहना नैतिकता तो नहीं है लेकिन इसने उन लोगों को अवश्य गुमनामी बाबा की तरफ मोड़ा हो जो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को अपना हीरो मानते थे.
   हालांकि जो बातें गुमनामी बाबा को बेहद रहस्यमयी बनाती हैं वह है कि गुमनामी बाबा के पास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कागजात और बोस परिवार की तस्वीरों से भरे 40 बक्से थे. यह कागजात और तस्वीरें नेताजी के अलावा किसी और के पास नहीं हो सकते थे.