धड़ से अलग हुआ सिर डॉक्टर ने बचा ली जिंदगी-“जाको राखे साइया मार सके न कोय”
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धड़ से अलग हुआ सिर डॉक्टर ने बचा ली जिंदगी-“जाको राखे साइया मार सके न कोय”

     पटना।। बिहार के सहरसा के सिमरी बक्तियारपुर निवासी नविन पिछले दिनों पेड़ पर कुछ काम कर रहा था तभी अचानक वह 50 फीट की ऊंचाई से जमीन पर गिर गया। लेकिन नवीन जहां गिरा वहां धारदार हसिया रखा था जिससे उसका गला ही पूरा कट गया।नवीन को घायल देख हादसे के समय मौजूद लोगों ने उसे आनन-फानन में सहरसा के एक निजी क्लिनिक में भर्ती कराया। 
    कहते हैं डॉक्टर धरती पर भगवान की तरह होते हैं जो मरते इंसान को अपने हाथों के जादू से एक नया जीवन दे देते हैं। हिन्दू संस्कृति की पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि सबसे पहले भगवान शिवशंकर ने इस तरह की सर्जरी की थी। ऐसा ही कुछ कमाल इस युग में भी कुछ डॉक्टरों ने भी कर दिया। डॉक्टरों ने उसे एक नई जिंदगी दे दी। डॉक्टरों की टीम ने उन्होंने एक कठिन सर्जरी के बाद युवक के सिर को दोबारा जोड़ दिया। डॉक्टरों ने दो 2 घंटे की सर्जरी कर नविन की जान बचा ली नवीन का गला पूरा कट चूका था सिर्फ एक हड्डी के सहारे वह टिका हुआ था। लेकिन डॉक्टरों के अथक प्रयास से सर्जरी सफल हो गई। 
   नवीन के परिजनों का कहना है की अगर चिकित्सा इतनी प्रबल नहीं होती तो नविन की जान बचाना काफी मुस्किल था। ऐसे हादसे पर एक ही कहावत चरितार्थ होती है कि “जाको राखे साइया मार सके न कोय”। यह चिकित्सा का ही कमाल है कि नवीन इतने भयानक हादसे के बाद भी बच गया। अमूमन ऐसे हादसों में जीवन बचा पाना मुश्किल होता है। नवीन के परिजन डॉक्टरों की टीम का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे हैं। 
 
(सयैद फैजुर रहमान सूफी)