विश्व में मुस्लिम अपने कर्मों की वजह से बदहाल हैं
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विश्व में मुस्लिम अपने कर्मों की वजह से बदहाल हैं

    उपराष्ट्रपति अंसारी का मुस्लिमों की बदहाली पर बयान क्या आया, टीवी चैनलों पर बहस छिड़ गई, और उन बहसो में मुस्लिम नेता और मौलाना अपना वही राग अलापने लगे कि "इस देश में पिछले साठ साल से हमको बदहाल रखा गया हैं"..."सच्चर कमेटी लागू करो क्योंकि सरकार ने हमारे विकास के लिए कुछ नहीं किया"....."हम पिछड़े रह गये"...वगैरह-वगैरह ! 
    हालाँकि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में Higher Education तक 98% यहूदी पहुंचते है, ईसाई 42%, हिन्दू 23% और मुसलमान मात्र 2 % तक ही पहुंचते है। जबकि आबादी के अनुसार मुस्लिम विश्व मे दूसरे नम्बर पर है...
    अब आप खुद ही बताओ जब आप लोग खुद पढ़ने के लिए ,सुधरने के लिए तैयार नहीं हो, दुनिया भर में रिसर्च, विज्ञान, शिक्षा के क्षेत्र में आपकी 3% भी भागीदारी नहीं है, जबकि दुनिया भर में होने वाले आतंकवाद, दंगे फसाद, हिंसा के 98% मामलों में मुस्लिमों को भागीदारी होती हैं तो आपका भला तो उपरवाला भी नहीं कर सकता....
    खुद आप पढ़ते नहीं, खुद आप किसी काबिल हो नहीं और अपनी नाकाबिलयत का ठीकरा दुनिया भर पर फोडते हो...
    आपकी ये बदहाली की कहानी भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हैं, इसलिए दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी होते हुए आप दुनिया में यहूदियों, ईसाइयों, हिन्दुओं, बौद्धो, सिखो आदि से बहुत पीछे हो....
     कुछ तेल वाले देशो को छोड़ ज्यादातर मुस्लिम देशों जैसे पाक, इराक, अफगानिस्तान, बान्गलादेश, सीरिया, लीबिया, सूड़ान, सोमालिया वगैरह मे मुस्लिम इतने खस्ताहाल और बरबाद क्यो है ?
  आपके पचपन मुस्लिम मुल्को का रिसर्च मे, विज्ञान मे, टैक्नोलोजी मे मेडिकल मे, अंतरिक्ष अभियान मे और दूसरे मामलो मे रिकार्ड बेहद शर्मनाक क्यों है?
   आपके सारे पचपन मुस्लिम देशों से ज्यादा यूनिवर्सिटिया तो अकेले भारत और अमेरिका में है .......उपलब्धि के नाम पर आपके पास बस ले देकर तेल हैं, लेकिन जैसे ही ये तेल खत्म होगा तो ये खेल भी खत्म हो जाएगा.. .
    इसलिए मुस्लिम चाहे भारत में बदहाल हो या बाकी मुस्लिम देशों में बदहाल हो, वो अपने कर्मों की वजह से बदहाल हैं, क्योंकि खुद आप पढ़ते हो नहीं, खुद आप किसी काबिल हो नहीं और अपनी नाकाबिलयत का ठीकरा दूसरों पर फोडते रहते हो...
   इसलिए अगर वाकई आपको अपनी हालत की चिंता है तो आत्मनिरीक्षण कीजिये, खुद को सुधारिये और दूसरों को दोष देना बंद कीजिए।
(Vimal J. Soni)