प्राप्त जानकारी के अनुसार मेनका गाँधी के मंत्रालय ने एक करोड़ तेईस लाख रूपए में जिस कम्पनी को सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार का ठेका दिया है, उसके कर्ताधर्ता दिलीप चेरियन धुर मोदी विरोधी रहे हैं. सूत्रों के अनुसार 2004 के चुनावों में दिलीप चेरियन ने काँग्रेस के लिए जमकर प्रचार किया था और संघ-भाजपा-वाजपेयी के खिलाफ जमकर ज़हर उगला था.
चेरियन साहब "Political Lobbyist" कहलाते हैं और अक्सर विभिन्न चैनलों पर सेकुलरिज़्म बघारते हुए दिखाई दे जाते हैं... इससे आप समझ सकते हैं कि भाजपा सरकारें "विचारधारा" के लिए कैसे काम करती हैं, और प्रत्येक सरकार की तरह, इस सरकार में भी "सेकुलरों-वामपंथियों" की घुसपैठ कितनी आसान है.
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नोट :- ठेका उन्हीं को मिलता है, काम उन्हीं के होते हैं... जो "उचित" जुगाड़ कर सकें, सही स्थान पर, सही लोगों तक अपनी पैठ बना सकें, "निर्धारित दाम" चुका सकें.... और इस काम में "राष्ट्रवादी" लोग अक्सर गधे साबित हुए हैं. क्योंकि - १) सत्ता मिलने के बाद, "विचारधारा" किस चिड़िया का नाम है? और २) ऐसे समर्पित लोगों की जरूरत है भी किसे??
(Suresh Chiplunkar)