498A व दहेज कानून क्या इसलिये है ?
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498A व दहेज कानून क्या इसलिये है ?


     आधुनिक तकनीकी युग के आने से काफी पहले मध्यमवर्गीय परिवार के पास आधुनिकतम सुख सुविधायें मौजूद नहीं थी| गैस की जगह चूल्हे पर खाना बनाया जाता था, फ्रिज की जगह मटके का ठण्डा पानी पीना पड़ता था, कार की जगह सायकिलों पर आना-जाना पड़ता था, वाशिंग मशीन की जगह हेण्डपंप पर जाकर कपड़े धोने पड़ते थे| कुछ तब्दीली आई, कुछ लोगों ने पढ़ाई करके अच्छी नौकरियाँ हासिल की तब कम पढाई-लिखाई पर भी अच्छी नौकरी प्राप्त हो जाती थी तो रहन-सहन भी बदल जाता था| जब Y2K का समय था कम्प्यूटर में वर्ष 2000 के बाद की तारीख नहीं थी, सॉफ्टवेयर में बहुत काम करना था इसलिये कंपनियों को अधिक से अधिक कामगारों की जरूरत थी, तब 10वीं पास 3 से 6 महीने की कम्प्यूटर की ट्रेनिंग लेकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन रहे थे मगर जैसे ही काम पूरा हुआ, मांग खत्म हो गई| हमारे देश की भेड़चाल ने लाखों की तादाद में बेरोजगार कम्प्यूटर इंजीनियर की फौज खड़ी कर दी मतलब जहाँ पहले एक दसवीं पास 6 माह के कम्प्यूटर का कोर्स करके अच्छा वेतन पा रहा था| हमारी सरकारी व्यवस्था व भेड़चाल ने B.Tech किये हुये को चपरासी की नौकरी की लाईन में लगा दिया| ऐसे में अगर कोई अच्छी नौकरी पर लग चुका है तो उसे देखकर दूसरे भी यही सोचते हैं कि मेरा पति ऐसा क्यों नहीं कर सकता? शादी से पहले ही आज की नवयुवतियाँ अपने आस-पास की कामयाबी को देखकर सपने बुनने लगती है कि उसका पति भी दूसरे के समान कामयाब ही होगा मगर जब शादी के बाद उसके सपने टूटते हैं तो वह सारा दोष पति व उसके परिवार को देने लगती है और मौका मिलने पर प्रताड़ित करने के काम शुरू कर देती है|
    संगठन के पास ऐसा ही एक मामला गुड़गांव, हरयाणा से आया है जिसमें एक बेटी सपनों के उड़नखटोले में बैठकर एक परिवार में बहु बनकर गई(मगर वह मध्यमवर्गीय परिवार जिसने दो-दो बेटियों की शादी की थी व जहाँ पिता का देहांत किराये के मकान में बेटे की पढाई पूर्ण होने से पहले ही हो गया) जहाँ पहुँचकर उसके सपने चूर-चूर हो गये|
     आखिर इस बेटी द्वारा अपने टूटे सपनों का गुस्सा पति व उसके परिवार पर उतारा जाने लगा जिस परिवार में वह शादी होकर आई और आने के बाद उसे पति व उसकी अविवाहित बड़ी बहन (जिसने पिता की मृत्यु के बाद परिवार को खड़ा करने के लिये अपनी खुद की शादी को तिलांजली दी और अपने मेहनत की पाई-पाई इस परिवार में लगाई) से निर्मित करीने से संजोई हुई साधारण सी गृहस्थी मिली जहाँ 20 वर्ष पुराने अटैची का भी उपयोग होता था जिसे देख कर वह काफी गुस्सा हुई| फिर भी उसने नवाबों जैसी जिन्दगी जीने की कोशिश की मगर पति द्वारा उसकी मनमानी को रोका गया जिसके परिणामस्वरूप वह बिफर पड़ी और उल्टे-सीधे इल्जामों के साथ वह उस घर से महज 50 दिन के बाद ही निकल गई जबकि इतने दिनों तक भी वह ससुराल में एक मेहमान के समान ही रही| घरेलू काम बहुत ही कम किये, कपडे लॉड्री से ही धुलवाये जायेंगे, ऐसी उसकी सोच थी और इन सभी के लिये उसके आदर्श थे उसके जीजा जी जो 50000/- रु. महीना कमाते थे और उनके पास महंगी गाड़ी भी थी जबकि इस बेटी का खुद का परिवार(मायका) वह मध्यमवर्गीय परिवार था जो अभावों में जीता रहा है और जिस परिवार की माँ ने खुद अपने हाथों से कपडे धोये हैं व आज भी खुद ही सारे काम करती हैं मगर आज वह भी 'अपने सपनों के महल की ख्वाहिश रखने वाली बेटी' की बातों में आकर उसे समझाने की जगह उसका साथ दे रही हैं|
    नासमझी व भटकाव इंसान के सोचने-समझने की क्षमता खत्म कर देता है वह इस बेटी की तरफ से की गई शिकायत में साफ नजर आ रहा है| बेटी की तरफ से कहा जा रहा है कि "शादी में 12 लाख रुपये खर्च किये गये, देखा जाये तो आज यह खर्चा सामान्य है मगर इनकी शादी की वीडियो और फोटोग्राफी देखेंगे तो साफ नजर आ जायेगा कि कितना बड़ा झूठ बोला गया जिस प्रकार से सामान की लिस्ट दी गई, उसके सबूत बनाने में ही बेटी व उनके मायकेवालों के पसीने छूट जायेंगे 1000 बारातियों को खाना खिलाया गया, वीडियो से साफ पता चल जायेगा कि बाराती 1000 थे या 150 के आसपास, जिसकी पुष्टि उस हॉल से की जा सकती है जहाँ यह शादी हुई| अगर 1000 आदमी उस हॉल में खडे होंगे तो हिलने के लिये भी शायद जगह ना मिले इसके अलावा 12 लाख खर्च करने के लिये यह पैसा कहाँ-कहाँ से लिया गया यह दिखाना तो बहुत ही मुश्किल होगा|
    इसके अलावा खरीदे गये सामान जहाँ से भी खरीदे गये होंगे उस दुकान के बहीखाते की जाँच से सच-झूठ का पता चल जायेगा| ठीक है, हो सकता है कि पति झूठ बोले कि "मैंने किसी भी प्रकार से अपनी पत्नी को प्रताड़ित नहीं किया" मगर सच बहार लाने के लिये वह नार्को टेस्ट करने के लिये तैयार है जो वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित भी माना जाता है जिसके लिये बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2012 में ऑर्डर दिया था कि "अगर आरोपी सच्चाई को सामने लाने के लिये नार्को टेस्ट की मांग करता है तो उसे मौका देना चाहिये अन्यथा मौका ना देनेवाले अपराधी माने जायेंगे और उन्हें सजा होगी"|
    बेटी ने अपने टूटते सपनों का कहर पति के ऊपर डालकर और उसे मजबूत करने के लिये ऐसे-ऐसे आरोप लगाये जिन्हें कहना बहुत मुश्किल है, पीड़ित पति के शपथ-पत्र में पूरी जानकारी दी गई है|
    संगठन कोशिश कर रहा है कि, यह शादी ना टूटे व पत्नि भी सपनों की दुनिया से धरातल पर उतरे, इसके लिये एक राजीनामे के साथ संबंधित विभागों में शिकायत-पत्र भेज रहा है| संगठन चाहता है कि, मैट्रो ट्रेन जैसी आधुनिकतम सुविधायें ऐसे परिवारों में भी हो जिससे बदमाश से बदमाश व्यक्ति भी जुर्म करने से पहले 10 बार सोचे|
 
 


(सोनिका क्रांतिवीर)
भ्रष्टाचार विरूद्ध जागृति अभियान