जब किसी महिला को करवा चौथ व्रत को करते हुये काफी समय हो जाता है, तो वह अपनी इच्छा अनुसार अपने करवा चौथ व्रत का उद्यापन कर सकती है।
करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागन स्त्रियो द्वारा किया जाता है। यह व्रत हर विवाहित महिला अपने रिवाजो के अनुसार रखती है और अपने जीवन साथी की अच्छी सेहत तथा अच्छी उम्र की प्रार्थना भगवान से करती है। इस दिन महिलाये सारा दिन व्रत रखती है, यहा तक की वे जल और फल भी ग्रहण नहीं करती। दिन भर की कठोर तपस्या के बाद जब रात्री मे चंद्रमा के दर्शन होते है, तब चंद्रमा की पूजा के बाद यह व्रत पूर्ण होता है।
जब कोई स्त्री एक बार करवा चौथ व्रत करना प्रारंभ कर देती है, तो उसे यह व्रत जीवन पर्यंत करना पड़ता है। इसलिए यह जरूरी नहीं है ,कि हर उम्र मे निर्जला रहकर ही यह व्रत किया जाए। एक बार जब सुहागन महिला इस व्रत का उजन कर देती है, तो वह अपनी सुविधा अनुसार व्रत के समय फल, जल और अन्य चीजे ग्रहण कर सकती है।
करवा चौथ व्रत उध्यापन विधि (Karva Chauth Vrat Udyapan vidhi)
करवा चौथ व्रत उद्धापन के लिए महिलाये अपने घर मे पूड़ी तथा हलवा बनाती है।
अब इन पुड़ियो को एक थाली मे चार-चार के ढेर मे तेरह जगह रखते है।
अब इन पुड़ियो के उप्पर थोड़ा थोड़ा हलवा रखते है। अब इसके उप्पर साडी ब्लाउस अपनी इच्छा अनुसार रूपय रखकर तथा उसके आसपास कुमकुम चावल लगाते है।
अब इसे अपनी सासु माँ के चरण स्पर्श कराकर उन्हे देते है ।
अब इन सब के बाद तेरह ब्राह्मणो को भोजन कराते है और उनका पूजन करके तथा दक्षिणा देकर बिदा करते है।
कुछ स्त्रीया इस दिन उद्यापन के लिए अन्य सुहागन स्त्रियो को भोजन भी कराती है।
इसके लिए जो भी स्त्रिया करवा चौथ का व्रत करती है, उन्हे उद्ध्यापन की सुपारी उद्यापन करने वाली महिला द्वारा पहले ही दे दी जाती है। करवा चौथ व्रत वाले दिन सारी महिलाये अपनी अपनी पूजा कर udyapan वाली महिला के घर जाकर अपना भोजन करती है
भोजन के बाद इन सभी महिलाओ को बिंदी लगाकरऔर सुहाग की सामग्री देकर बिदा किया जाता है।
इस प्रकार करवा चौथ व्रत की उद्यापन विधि संपन्न होती है।
तो अगर आपसे अब करवा चौथ का व्रत किसी भी कारण से नही हो पा रहा हो तो आप इस Karva Chauth Vrat Udyapan vidhi (करवा चौथ व्रत उध्यापन विधि) से अपने व्रत छोड सकती हैं।
करवा चौथ व्रत की पूजा विधि :
करवा चौथ व्रत पूजा को करते वक़्त एक पटे पर जल से भरा लोटा एवं एक करवे मे गेहु भरकर रखते है। इस दिन पूजन के लिए दीवार पर या कागज पर चंद्रमा तथा उसके नीचे भगवान शिव और कार्तिकेय की प्रतिमा बनाई जाती है और इसी प्रतिमा की पूजा स्त्रियो द्वारा की जाती है।
इस दिन महिलाये सारा दिन व्रत रखती है, यहा तक की वे जल और फल भी ग्रहण नहीं करती।
दिन भर की कठोर तपस्या के बाद जब रात्री मे चंद्रमा के दर्शन होते है, तब चंद्रमा की पूजा के बाद यह व्रत पूर्ण होता है।
करवा चौथ व्रत मे रात्री की पूजा मे चंद्रमा को अर्द्ध देना, महत्वपूर्ण है| हर वो स्त्री जो व्रत करती है वो चंद्रमा को अर्द्ध जरूर देती है और फिर व्रत पूर्ण होता है। अब अपने करवा चौथ व्रत को पूर्ण कर स्त्रिया रात्री मे जल तथा भोजन गृहण करती है।
जब कोई स्त्री एक बार करवा चौथ व्रत करना प्रारंभ कर देती है, तो उसे यह व्रत जीवन पर्यंत करना पड़ता है। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि हर उम्र मे निर्जला रहकर ही यह व्रत किया जाए।
एक बार जब सुहागन महिला इस व्रत का उजन कर देती है, तो वह अपनी सुविधा अनुसार व्रत के समय फल, जल और अन्य चीजे ग्रहण कर सकती है। शेयर करे और अपनी सहेलियो को भी बताएं इस आसान करवा चौथ व्रत उद्धापन के बारे में।