सोने की चमक में आई इरेडियम की मिलावट...!!
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सोने की चमक में आई इरेडियम की मिलावट...!!

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    लेकिन खरीदने से पहले जरा पता कर लें कि कहीं उसमें इरेडियम या रूथेनियम तो नहीं मिला हुआ है। इस समय दिल्ली समेत देश के तमाम हिस्सों में बिकने वाली गोल्ड जूलरी मिलावटी है। इसकी जानकारी तमाम सरकारी एजंसियों को है लेकिन इस फैक्ट से पब्लिक को अभी तक न तो आगाह किया गया और न ही इसे रोकने के लिए कोई कैंपेन छेड़ा गया।
∆...क्या हैं दोनों मेटल...!
   इरेडियम और रूथेनियम दरअसल चमकदार प्लैटिनम फैमिली के ही मेंबर हैं। इनके मिलाने से गोल्ड की चमक नहीं जाती। वैसे भी प्लेटिनम या उसकी फैमिली के सारे मेटल खासे चमकदार होते हैं।
∆...अलग-अलग पर्सेन्ट में मिलावट...!
    दिल्ली समेत देशभर में गोल्ड जूलरी बनाने वाले जूलर्स एक तोले में अलग-अलग पर्सेन्टेज़ में इरेडियम या रूथेनियम मिलाते हैं। कहीं-कहीं तो यह मिलावट 6 फीसदी तक है। लेकिन अगर कहीं प्योर सोने लेने के लिए ज्यादा टेस्ट होते हैं तो वहां का जूलर कम मिलावट करता है। हालांकि गोल्ड को हार्ड बनाने के लिए चांदी और कॉपर की मिलावट आम है लेकिन इरेडियम और रूथेनियम को इनके बराबर नहीं रखा जा सकता। जूलरी के लिए मशहूर तनिष्क के जनरल मैनिजर (रिटेलिंग) सौमेन भौमिक का कहना है कि इरेडियम और रूथेनियम को मिलाने पर उनकी चमक सोने जैसी होती है।
∆...पब्लिक अंधेरे में....!
    जानकारी के मुताबिक सोने में सबसे ज्यादा मिलावट 2004 और 2006 के बीच की गई। गोल्ड की ट्रेडिंग करने वालों ने जब ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) को इस मिलावट के बारे में बताया तो ब्यूरो नींद से जागा। ब्यूरो के एक अफसर ने बताया कि 2006 में हमने सभी हॉलमार्किन्ग सेंटरों को इरेडियम और रूथेनियम की मिलावट की बाबत सरकुलर भेजा था। मजेदार बात यह है कि तब भी पब्लिक को अंधेरे में रखा गया और इसे लेकर जागरूक नहीं किया गया।
∆...हॉलमार्क जूलरी भी नहीं बच सकी......!!
    यह एक फैक्ट है कि भारत में बनने वाली गोल्ड जूलरी में से सिर्फ 46 फीसदी ही हॉलमार्क वाली होती है। लेकिन गोल्ड की प्योरिटी जांचने के लिए एक्सआरएफ मशीनों में इस तरह का बंदोबस्त नहीं है कि वे इरेडियम और रूथेनियम की पहचान कर लें, इससे हालात बदतर हो रहे हैं। एक हॉलमार्किन्ग सेंटर के सदस्य ने बताया कि 2001 से लेकर 2006 के बीच बिकी हॉलमार्क जूलरी की क्वॉलिटी पर आप विश्वास नहीं कर सकते।
∆...मिलावट का अलग-अलग लेवल....!
    इस संवाददाता ने खुद भी बीआईएस से मंजूरशुदा सेंटरों पर अलग-अलग जूलरी को टेस्ट किया और पाया कि हर एक में इरेडियम और रूथेनियम की मिलावट का लेवल अलग-अलग था। जूलर्स का कहना है कि बहरहाल, जो नुकसान होना था, वह तो हो ही चुका है और लोगों ने अनजाने में ही मिलावटी जूलरी में इनवेस्ट कर दिया है।
∆...कहानी इरेडियम और रूथेनियम की इरेडियम की खोज 1803 में दक्षिण अमेरिका में स्मिथसन टेनांट ने की थी। उन्होंने बताया कि यह इरेडियम फैमिली का ही मेंबर है। इरेडियम का संबंध 65 लाख साल पहले डायनासोर के नाश से भी जोड़ा जाता है। बताया जाता है कि कोई ग्रह जब पृथ्वी से आकर टकराया था तो डायनासोर पूरी तरह नष्ट हो गए थे और वह ग्रह इरेडियम से भरपूर था। इरेडियम के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह हाई डिग्री टेंपरेचर पर मेल्ट होता है। इसका नेचर हार्ड है। कई इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
   रूथेनियम की खोज 1844 में रशियन वैज्ञानिक कॉर्ल क्लौस ने की थी। उन्होंने क्रूड प्लैटिनम से 6 ग्राम रूथेनियम निकालकर दिखाया।
    यह तमाम उपकरणों में रसिस्टेंस के तौर पर काम करता है। जेट एंजिन से लेकर फाउंटेनपेन की निब में इसका इस्तेमाल होता है। 1944 से मशहूर पेन कंपनी पार्कर ने गोल्ड के साथ इसे मिलाकर निब बनाने में इसका इस्तेमाल किया। किसी समय देसी बोलचाल में मशहूर सोने का पेन जिसे कहा जाता था, दरअसल वह पार्कर पेन ही था। इसे उस समय बतौर गिफ्ट दिया जाता था। विदेशों में इससे जूलरी भी बनाई जाती है।
∆...मिलावट और रेट का खेल...!
न्यू यॉर्क मार्किट में इस समय प्रति औंस गोल्ड 920 यूएस डॉलर है।
इरीडियम प्रति औंस 425 यूएस डॉलर है।
रूथेनियम प्रति औंस 85 यूएस डॉलर है।
    यह बहुत साफ है कि रेट की वजह से इसकी मिलावट गोल्ड में की जाती है। क्योंकि प्योर गोल्ड के मुकाबले अगर किसी जूलरी में गोल्ड के साथ इसे मिलाकर बनाई जाएगी तो जाहिर है कि लागत कम आएगी और प्रॉफिट मार्जिन ज्यादा होगा। शेयर करना चाहिए-विसोनी।