आगरा।। शहर आए कवि गोपाल दास नीरज ने साहित्यकारों के पुरस्कार लौटाने को लेकर कहा कि साहित्यकार नरेंद्र मोदी के साथ राजनीति कर रहे हैं। जिन साहित्यकारों को कांग्रेस राज में पुरस्कार मिला था, अब वह साहित्यकारों से विरोध का काम करवा रहे हैं। जिन साहित्यकारों ने पुरस्कार लौटाने वालों में से कुछ ने ही राशि लौटाई है। अन्य सभी क्यों नहीं राशि लौटा देते हैं। ऐसे लोगों ने आखिर पेंशन भी क्यों नहीं लौटाया।
पद्म विभूषण से सम्मानित कवि नीरज ने कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए, सारे विवाद खत्म हो जाएंगे। कवि गोपाल दास नीरज ने कहा कि पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकार झूठ बोल रहे हैं।
कवि नीरज मोदी का पक्ष लेते हुए कहा कि आखिर बेचारे मोदी ने क्या दोष किया है। वह तो सबको साथ लेकर चलने की बात कर रहे हैं। साहित्य की उपासना करना सत्य की उपासना है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
साहित्यकारों को चाहिए कि अगर उन्हें किसी मामले का विरोध करना है तो कविता लिखें, कथा लिखें। नीरज ने यह भी कहा कि अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए।
गोपाल दास नीरज ने सवाल उठाया कि आखिर सांप्रदायिकता कहां है। मोदी ने अपने मुंह से सांप्रदायिक बातों तो नहीं की हैं। उन्होंने भी इमरजेंसी के दौरान सत्ता का विरोध किया था, लेकिन उस वक्त उन्होंने कविताएं और गीत लिखे थे। इससे से समाज को एक संदेश दिया था।
मुंबई में शिवसैनिकों के भाजपा के पूर्व नेता सुधींद्र कुलकर्णी पर कालिख पोते जाने के बाद पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों ने कहा कि देश का मुंह काला हो गया। उन्होंने कहा कि वह कहते हैं कि जब शिवसेना ने मना किया था, तो ऐसा काम ही क्यों किया, जिससे कालिख पोती गई।
पद्म विभूषण से सम्मानित कवि नीरज ने कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए, सारे विवाद खत्म हो जाएंगे। कवि गोपाल दास नीरज ने कहा कि पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकार झूठ बोल रहे हैं।
कवि नीरज मोदी का पक्ष लेते हुए कहा कि आखिर बेचारे मोदी ने क्या दोष किया है। वह तो सबको साथ लेकर चलने की बात कर रहे हैं। साहित्य की उपासना करना सत्य की उपासना है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
साहित्यकारों को चाहिए कि अगर उन्हें किसी मामले का विरोध करना है तो कविता लिखें, कथा लिखें। नीरज ने यह भी कहा कि अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए।
गोपाल दास नीरज ने सवाल उठाया कि आखिर सांप्रदायिकता कहां है। मोदी ने अपने मुंह से सांप्रदायिक बातों तो नहीं की हैं। उन्होंने भी इमरजेंसी के दौरान सत्ता का विरोध किया था, लेकिन उस वक्त उन्होंने कविताएं और गीत लिखे थे। इससे से समाज को एक संदेश दिया था।
मुंबई में शिवसैनिकों के भाजपा के पूर्व नेता सुधींद्र कुलकर्णी पर कालिख पोते जाने के बाद पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों ने कहा कि देश का मुंह काला हो गया। उन्होंने कहा कि वह कहते हैं कि जब शिवसेना ने मना किया था, तो ऐसा काम ही क्यों किया, जिससे कालिख पोती गई।