सपा सरकार के कच्चे मकान में रहने वाले लाल बत्ती राज्य मंत्री हैं विधायक बंशीधर बौद्ध
Headline News
Loading...

Ads Area

सपा सरकार के कच्चे मकान में रहने वाले लाल बत्ती राज्य मंत्री हैं विधायक बंशीधर बौद्ध


    लखनऊ।। यहाँ जो देखने जा रहे है, उसे देख दंग रहे जायेगे क्या अब कोई नेता ऐसा हो सकता है जी हा उत्तर प्रदेश सरकार में अपनी सादगी से सपा नेतृत्व को प्रभावित करने वाले बलहा विधायक बंशीधर बौद्ध राज्यमंत्री बने पर कच्चे मकान को पक्का करने का उनका सपना शायद ही कभी पूरा हो। कारण है वन विभाग के नियम कानून।राज्यमंत्री का गांव वनग्राम के अंतर्गत आता है और वनग्रामों में पक्के निर्माण पर प्रतिबंध है। आलम यह है कि मिहींपुरवा के नईबस्ती टेडिय़ा गांव स्थित उनके कच्चे घर के सामने एक टिनशेड के नीचे लाल बत्ती गाड़ी खड़ी करने का इंतजाम किया गया है। ;आवास के बाहर खड़ी राज्यमंत्री बंशीधर की कार। गौरतलब हो कि राज्यमंत्री बंशीधर बौद्ध का परिवार वर्ष १९७० में बलिया से बहराइच आया था। परिवार के लोगों ने घाघरा नदी के किनारे शरण ली थी। १९७४ की बाढ़ में सब कुछ तबाह होने के बाद बिछिया बाजार से दो किलोमीटर की दूरी पर कटान और बाढ़ पीडि़तों की नई बस्ती बसी। इसमें राज्यमंत्री का परिवार भी शामिल है। संयोग और समय के बदलाव के साथ बंशीधर ने वह मुकाम हासिल कर लिया है जो लोगों के लिए सपना होता है लेकिन यहां पक्के घर का सपना पूरा करना बड़ा मुश्किल लगता है। ;खेतों पर काम करते बंशीधर बौद्घ। साल से अधिक निवास करने वालों को जारी होते हैं कब्जे वन अधिनियम की बात करें तो अधिनियम के तहत जिन लोगों के पूर्वज ७५ साल पहले आकर जंगल क्षेत्र में बसे थेए उन्हें पट्टे जारी होते हैं।इसी आधार पर वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में तब्दील करने की भी कवायद शुरू हुई। लेकिन राज्यमंत्री का नईबस्ती टेडिय़ा गांव बसे हुए ही अधिकतम ३५ साल हुए हैं। ऐसे में यह गांव वन अधिकार अधिनियम के दायरे में भी नहीं आता। नियम का करूंगा पालन रू बंशीधर राज्यमंत्री बंशीधर बौद्ध से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के जो भी दिशा निर्देश हैंए इसका वह अक्षरशरू पालन करेंगे। क्या जिला मुख्यालय या राजधानी में आवास का निर्माण कराएंगेए इस सवाल पर बोले समय आने पर देखा जाएगा। ऐसे बन सकता पक्का मकान संरक्षित वन क्षेत्र के एक अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरकार अगर चाहे तो संरक्षित वन क्षेत्र में बसे गांवों को भी राजस्व ग्राम घोषित कर सकती है लेकिन इसके लिए लंबी प्रक्रिया है।सरकार को नेशनल वाइल्ड लाइफ अथार्टी और सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। साथ हीए जिस गांव को राजस्व ग्राम घोषित करना हैए उस ग्राम जितनी जमीन दूसरी जगह पर वन विभाग को मुहैया कराए तब राजस्व ग्राम की कवायद शुरू हो सकती है विधायक बंशीधर का परिवार।