खदीजा खातून की उम्र 21 साल है और चेहरे की जगह उनके माथे से सिर्फ मांस का एक लोथड़ा लटका हुआ है। न तो आंखें हैं और न ही नाक। चेहरे पर इन अंगों की जगह सिर्फ छोटे से निशान नजर आते हैं।
खदीजा अपनी पूरी जिन्दगी इसी तरह बिताने के लिए मजबूर हैं। डॉक्टरों ने उन्हें साफ कह दिया है कि सर्जरी से उनकी जान भी जा सकती है। उन्हें आशंका है कि ये कोई ट्यूमर है।
उनके माता-पिता का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी की इस हालत के बारे में कुछ खास पता नहीं था। लेकिन पैदा होने के दो महीने के बाद भी जब वो अपनी आंखें नहीं खोल पायी तब जाकर उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला।
राशिद मुल्ला और अमीना बीबी का कहना है डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वे कुछ भी नहीं कर सकते और अगर सर्जरी करने की कोशिश की गई तो खदीजा की मौत भी हो सकती है। खदीजा की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है क्योंकि उसके चेहरे का मांस बढ़ता ही जा रहा है।
बड़े होने के बाद खदीजा ने भी वही फैसला किया जो उसके माता-पिता ने उसके लिए लिया थ।. खदीजा न तो स्कूल गईं और न ही उनका कोई दोस्त है।
खदीजा कहती हैं कि उनका परिवार ही उनके लिए सबकुछ है। वो ही उनके सबसे अच्छे दोस्त हैं और वो उनसे बेपनाह मुहब्बत करती हैं। खदीजा की जगह शायद कोई और होता तो दुख मनाता लेकिन वो कहती हैं कि वो अपनी इस स्थिति से भी खुश हैं।
मिरर की खबर के अनुसार, कोलकाता के एक गांव में गरीब परिवार में जन्मीं खदीजा के माता-पिता उसे उच्च-स्तरीय चिकित्सा नहीं दे सकते। हालांकि खदीजा के समर्थन में और उन्हें सहयोग देने के लिए कई लोग आगे आए हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से खदीजा की कहानी औरों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। खदीजा को neurofibromatosis होने की आशंका है।
खदीजा अपनी पूरी जिन्दगी इसी तरह बिताने के लिए मजबूर हैं। डॉक्टरों ने उन्हें साफ कह दिया है कि सर्जरी से उनकी जान भी जा सकती है। उन्हें आशंका है कि ये कोई ट्यूमर है।
उनके माता-पिता का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी की इस हालत के बारे में कुछ खास पता नहीं था। लेकिन पैदा होने के दो महीने के बाद भी जब वो अपनी आंखें नहीं खोल पायी तब जाकर उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला।
राशिद मुल्ला और अमीना बीबी का कहना है डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वे कुछ भी नहीं कर सकते और अगर सर्जरी करने की कोशिश की गई तो खदीजा की मौत भी हो सकती है। खदीजा की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है क्योंकि उसके चेहरे का मांस बढ़ता ही जा रहा है।
बड़े होने के बाद खदीजा ने भी वही फैसला किया जो उसके माता-पिता ने उसके लिए लिया थ।. खदीजा न तो स्कूल गईं और न ही उनका कोई दोस्त है।
खदीजा कहती हैं कि उनका परिवार ही उनके लिए सबकुछ है। वो ही उनके सबसे अच्छे दोस्त हैं और वो उनसे बेपनाह मुहब्बत करती हैं। खदीजा की जगह शायद कोई और होता तो दुख मनाता लेकिन वो कहती हैं कि वो अपनी इस स्थिति से भी खुश हैं।
मिरर की खबर के अनुसार, कोलकाता के एक गांव में गरीब परिवार में जन्मीं खदीजा के माता-पिता उसे उच्च-स्तरीय चिकित्सा नहीं दे सकते। हालांकि खदीजा के समर्थन में और उन्हें सहयोग देने के लिए कई लोग आगे आए हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से खदीजा की कहानी औरों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। खदीजा को neurofibromatosis होने की आशंका है।