कानून व्यवस्था के मामले में फिसड्डी यू पी सरकार ने एक पत्रकार की जान के बदले 10 लाख की कीमत लगाते हुए आज पूरे पत्रकार समाज के मुँह पर एक जोरदार तमाचा मारा है जिस पर समाज का सबसे बुद्धजीवी माने जाने वाले वर्ग मीडिया का एक बड़ा धड़ा चुप है, वजह चाहे जो भी रहा हो पर सुल्तानपुर में जन सन्देश टाइम्स के पत्रकार करुण मिश्र की दिन दहाड़े हुई हत्या के मामले में दुसाहसिक घटना को अंजाम देकर फरार होने वाले बेख़ौफ़ अपराधियो को पकड़ने की बजाय सरकार दिवंगत पत्रकार के परिजनों को कागज के चन्द नोटो के बदले एक और पत्रकार के जान की कीमत लगाते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डालने में तुली हुई है और हमारे लखनऊ दिल्ली सहित देश के बड़े आकाओ मठाधीश पत्रकारो को एक साथी की मौत का कोई अफ़सोस नही होता दिख रहा है।
शर्म की बात है कि हम कैंडल मार्च, भावभीनी श्रधांजलि के अलावा मृत्यु के शिकार अपने दिवंगत साथी की आत्मा को शान्ति दिलाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना तो करते है पर इस तरह के मामलो में अब तक कोई ठोस विरोध न होने के चलते एक तरफ जहां अपराधियो के हौसले बुलन्द है वहीँ सरकार भी ऐसे मामलो में अपनी खाना पूर्ती कार्यवाई कर मामले से पल्ला झाड़ लेती है।
शर्म की बात है कि हम कैंडल मार्च, भावभीनी श्रधांजलि के अलावा मृत्यु के शिकार अपने दिवंगत साथी की आत्मा को शान्ति दिलाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना तो करते है पर इस तरह के मामलो में अब तक कोई ठोस विरोध न होने के चलते एक तरफ जहां अपराधियो के हौसले बुलन्द है वहीँ सरकार भी ऐसे मामलो में अपनी खाना पूर्ती कार्यवाई कर मामले से पल्ला झाड़ लेती है।