29 रुपए की रिश्वत का दाग मिटाने के लिए 19 साल तक लड़ी जंग
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29 रुपए की रिश्वत का दाग मिटाने के लिए 19 साल तक लड़ी जंग

     अहमदाबाद।। मात्र 29 रुपए की रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार हुए नाथालाल चासिया को उनके बेटे ने ही 19 साल कानूनी लड़ाई लड़कर न्याय दिलाया है। 1996 में लगे रिश्वत के कलंक से उन्हें गुजरात हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। पिता को न्याय दिलाने के लिए राजेश ने तय कर लिया कि वे खुद कानून की पढ़ाई करेंगे और पिता को इस कलंक से मुक्त कराएंगे। उन्हें मलाल इस बात का है कि न्याय की इस जीत देखने के लिए उनके पिता दुनिया में नहीं है। 2004 में राजेश के जन्मदिन 24 फरवरी को ही उनके पिता ने अंतिम सांस ली थी।
      निचली कोर्ट ने मार्च 1999 में नाथालाल को छह महीने कैद एवं एक हजार रुपए की सजा सुनाई थी। हालांकि 2500 रुपए के मुचलके पर उन्हें उसी दिन जमानत मिल गई थी। रिश्वत केस में सजा होने के चलते नाथालाल को सरकारी नौकरी में मिलने वाले सभी लाभ बंद हो गए। सेवा से निलंबित तो हो ही चुके थे। घर का गुजारा चलाना मुश्किल हो गया। समाज में बदनामी, आर्थिक तंगी आदि के तनाव के चलते वे लकवे का शिकार हो गए।
ये था मामला
    बात 29 जनवरी 1996 की है। नाथालाल चासिया मध्य गुजरात के महिज गांव में पटवारी थे। इसी साल हुई बारिश में बाबू रावल नामक ग्रामीण का मकान ढह गया। सरकारी मदद लेने के लिए रावल ग्राम पंचायत से सरकारी आंकलन प्रमाण पत्र की मांग की। नाथालाल ने आवेदक को बताया कि उन पर शासन के कर का 171 रुपया बकाया है। उसका भुगतान कर प्रमाण पत्र ले जाना। इस पर बाबूलाल ने एसीबी में 200 रुपए की रिश्वत मांगने की शिकायत कर दी। अगले दिन एसीबी के अधिकारी शिकायतकर्ता के साथ पहुंचे और पटवारी को 200 रुपए दिए। इस पर नाथालाल ने 171 रुपए खुले देने को कहा। तभी एसीबी पीआई ने रिश्वत लेने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया।