गरीब की झोंपड़ी और महंगे केसरोल की रोटी ..... क्या बात है ?
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गरीब की झोंपड़ी और महंगे केसरोल की रोटी ..... क्या बात है ?

    अशोकनगर।। कांग्रेसियों के महाराज और कथित गरीबों के मसीहा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया अब राहुल गांधी की तर्ज पर गरीबों की झोंपड़ी में उनकी सुध लेने निकल पड़े हैं।
     सांसद सिंधिया के गरीबों की झोंपड़ी में पहुंचने और रोटी खाने की खबरें देश के बड़े अखबारों में अपनी गिनती कराने वाले अखबार और टीवी न्यूज चैनलों ने खूब बघार लगा-लगा कर प्रदर्शित की। पर स्वयं-भू महाराज सांसद ज्योतिरादित्य के गरीबों की झोपड़ी में पहुंचने की असली हकीकत को ये वयां नहीं कर पाये।
     जी हां खबर के मुताबिक सांसद ज्योतिरादित्य गत सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र शिवपुरी के विभिन्न गांवों में निकले, जिनमें पाली गांव की गरीब आदिवासी भूरीबाई के यहां पहुंचकर ज्योतिरादित्य ने चने की भाजी से रोटी खाई, और रोटी खाकर भूरीबाई को आत्मीयता से अपने गले भी लगाया। यहां खास वाकिया यह है कि जिस भूरीबाई की झोंपड़ी में सिंधिया किसी थाली, प्लेट की जगह हाथ में लेकर रोटी खा रहे हैं, वहीं रोटियां गरीब की झोंपड़ी में सिल्वर फाईल और प्लास्टिक के महंगे केसरोल में रखी हुई स्पष्ट दिखाई दे रहीं हैं। इतना ही नहीं वहीं स्वयं-भू महाराज के बगल से बैठा एक उनका भक्त अपने मोबाइल से रोटियों की फोटो भी ले रहा है, जैसे इसने पहली बार ही रोटियां देखी हों?
    प्रादेशिक एक न्यूज चैनल के दृश्य के अनुसार यहां ज्योतिरादित्य आदिवासी भूरीबाई के रोटी खाते बेटे से पूंछ रहे हैं कि क्यों अच्छा है? यानी खाना अच्छा है, जैसे कि वो गरीब का बेटा भी शायद उनके आने पर पहली बार ही रोटी खा रहा हो। खबरों के मुताबिक ज्योतिरादित्य को एक कथित देश का बड़ा अखबार अपनी खबर में ज्वार की रोटी खाते बता रहा है तो एक न्यूज चैनल सांसद को मका की रोटी खाते दिखा रहा है। वहीं गरीब आदिवासी भूरीबाई की झोंपड़ी में जहां केसरोल में रखी रोटियां नजर आईं तो लजीज पापड़ रखे हुए भी नजर आये।
    अब आप क्या कहेंगे अपने सांसद के बारे में क्या वास्तव में वे गरीबों के मसीहा बनकर उभर रहे हैं, सच्ची हमदर्दी या पाखण्डगिरी ?