आवाजाही में रेलवे ट्रैक की बाधा से परेशान शहर के 12 साल के बच्चे नयन सिन्हा ने सीधे प्रधानमंत्री की कुंडी खटखटा दी। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी उसका भरोसा नहीं तोड़ा और उसकी चिट्ठी पर रेल विभाग को निर्देश जारी कर दिए।
कुछ ही दिनों में बालक को रेलवे के डिवीजनल इंजीनियर की चिट्ठी मिली। इसमें उसकी समस्या के समाधान का भरोसा दिया गया है। बच्चे के इस प्रयास से मनोहर नगर के बाशिंदों को राहत की उम्मीद बंधी। वे नयन की तारीफ करते नहीं अघा रहे हैं।
आवास विकास कालोनी के पीछे मोहल्ला मनोहर नगर के सामने ट्रैक है। इससे यहां लोगों को तो आवाजाही में दिक्कत होती ही थी, स्कूल आने-जाने में आशुतोष सिन्हा का पुत्र नयन(12) और उसके साथी भी दुश्वारी झेलते थे।
एक बार ट्रैक पार करते समय ट्रेन आ जाने से नयन के दोस्त की तो जान पर ही बन आई। इस घटना ने नयन को भीतर तक झकझोरा। वह अक्सर अखबारों में प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय की सक्रियता की खबरें पढ़ता था।
टीवी पर भी ऐसी न्यूज देखीं, जिसमें पीएमओ ने लोगों की पुकार सुनी। बस कक्षा सात में पढ़ने वाले नयन ने भी ठान ली कि इस समस्या पर प्रधानमंत्री की ड्योढ़ी पर दस्तक देगा।
उसने 10 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री के नाम चिट्ठी भेजी। इसमें लिखा कि मोहल्ले में क्रासिंग नहीं होने से लोगों को डेढ़ किलोमीटर का चक्कर लगाकर राजेपुर क्रासिंग से आना-जाना पड़ता है। स्कूल जाने में दिक्कत होती है।
उसकी चिट्ठी पर पीएमओ ने पूरी गंभीरता दिखाई। वहां से निर्देश मिलने पर रेल महकमे में भी हलचल मची और 28 जनवरी 2016 को रेलवे के डिवीजनल इंजीनियर रंजीत कुमार का पत्र नयन सिन्हा के घर पहुंच गया।
पत्र में डीई ने कहा है कि उन्नाव-लखनऊ रेलमार्ग पर मनोहर नगर के सामने रेलवे ट्रैक के दोनों ओर मिट्टी डालकर और इंटर लॉक ब्रिक बिछाकर रास्ता समतल किया जाएगा।
सीनियर डिवीजन कामर्शियल मैनेजर एके सिन्हा ने सर्वे भी करा लिया है। अधिकारियों का कहना है कि मनोहर नगर के पास क्रासिंग बनने में कुछ अड़चन है, क्योंकि जिस स्थान पर क्रासिंग की मांग की है, वहां से 334 मीटर की दूरी पर ही राजेपुर रेलवे क्रासिंग है। फिर भी उच्चाधिकारियों को बता आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सीएम के चाहने से निकलेगा रास्ता
नयन सिन्हा के स्कूल जाने की समस्या पीएम नहीं बल्कि सीएम के चाहने से दूर हो सकती है। उन्नाव का नयन सातवीं का वही छात्र है, जिसने बीते सितंबर में पीएम को पत्र लिखकर घर के पास स्थित ट्रैक से गुजरने का रास्ता बनाने की मांग की थी।
इस संबंध में पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद लखनऊ डिवीजन के अफसरों ने सर्वे कराया तो पता चला कि यहां ओवरब्रिज या अंडर पास बनना तब तक संभव नहीं, जब तक राज्य सरकार इसमें हस्तक्षेप न करे।
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि नयन के घर के नजदीक रेलवे ट्रैक पर लेवल क्रॉसिंग बनवाना संभव नहीं। यदि राज्य सरकार की ओर से यहां ओवरब्रिज या अंडरब्रिज बनाने संबंधी प्रस्ताव आएगा, तो बोर्ड के स्तर पर कार्रवाई संभव है।
नयन के घर के नजदीक अंडर ब्रिज बनाने में लगभग 5 करोड़ का खर्च आएगा, जबकि ओवरब्रिज बनाने में ज्यादा पैसा लगेगा। यह तभी संभव है जब राज्य सरकार इसके लिए रेल मंत्रालय को पत्र भेजे।
कुछ ही दिनों में बालक को रेलवे के डिवीजनल इंजीनियर की चिट्ठी मिली। इसमें उसकी समस्या के समाधान का भरोसा दिया गया है। बच्चे के इस प्रयास से मनोहर नगर के बाशिंदों को राहत की उम्मीद बंधी। वे नयन की तारीफ करते नहीं अघा रहे हैं।
आवास विकास कालोनी के पीछे मोहल्ला मनोहर नगर के सामने ट्रैक है। इससे यहां लोगों को तो आवाजाही में दिक्कत होती ही थी, स्कूल आने-जाने में आशुतोष सिन्हा का पुत्र नयन(12) और उसके साथी भी दुश्वारी झेलते थे।
एक बार ट्रैक पार करते समय ट्रेन आ जाने से नयन के दोस्त की तो जान पर ही बन आई। इस घटना ने नयन को भीतर तक झकझोरा। वह अक्सर अखबारों में प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय की सक्रियता की खबरें पढ़ता था।
टीवी पर भी ऐसी न्यूज देखीं, जिसमें पीएमओ ने लोगों की पुकार सुनी। बस कक्षा सात में पढ़ने वाले नयन ने भी ठान ली कि इस समस्या पर प्रधानमंत्री की ड्योढ़ी पर दस्तक देगा।
उसने 10 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री के नाम चिट्ठी भेजी। इसमें लिखा कि मोहल्ले में क्रासिंग नहीं होने से लोगों को डेढ़ किलोमीटर का चक्कर लगाकर राजेपुर क्रासिंग से आना-जाना पड़ता है। स्कूल जाने में दिक्कत होती है।
उसकी चिट्ठी पर पीएमओ ने पूरी गंभीरता दिखाई। वहां से निर्देश मिलने पर रेल महकमे में भी हलचल मची और 28 जनवरी 2016 को रेलवे के डिवीजनल इंजीनियर रंजीत कुमार का पत्र नयन सिन्हा के घर पहुंच गया।
पत्र में डीई ने कहा है कि उन्नाव-लखनऊ रेलमार्ग पर मनोहर नगर के सामने रेलवे ट्रैक के दोनों ओर मिट्टी डालकर और इंटर लॉक ब्रिक बिछाकर रास्ता समतल किया जाएगा।
सीनियर डिवीजन कामर्शियल मैनेजर एके सिन्हा ने सर्वे भी करा लिया है। अधिकारियों का कहना है कि मनोहर नगर के पास क्रासिंग बनने में कुछ अड़चन है, क्योंकि जिस स्थान पर क्रासिंग की मांग की है, वहां से 334 मीटर की दूरी पर ही राजेपुर रेलवे क्रासिंग है। फिर भी उच्चाधिकारियों को बता आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सीएम के चाहने से निकलेगा रास्ता
नयन सिन्हा के स्कूल जाने की समस्या पीएम नहीं बल्कि सीएम के चाहने से दूर हो सकती है। उन्नाव का नयन सातवीं का वही छात्र है, जिसने बीते सितंबर में पीएम को पत्र लिखकर घर के पास स्थित ट्रैक से गुजरने का रास्ता बनाने की मांग की थी।
इस संबंध में पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद लखनऊ डिवीजन के अफसरों ने सर्वे कराया तो पता चला कि यहां ओवरब्रिज या अंडर पास बनना तब तक संभव नहीं, जब तक राज्य सरकार इसमें हस्तक्षेप न करे।
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि नयन के घर के नजदीक रेलवे ट्रैक पर लेवल क्रॉसिंग बनवाना संभव नहीं। यदि राज्य सरकार की ओर से यहां ओवरब्रिज या अंडरब्रिज बनाने संबंधी प्रस्ताव आएगा, तो बोर्ड के स्तर पर कार्रवाई संभव है।
नयन के घर के नजदीक अंडर ब्रिज बनाने में लगभग 5 करोड़ का खर्च आएगा, जबकि ओवरब्रिज बनाने में ज्यादा पैसा लगेगा। यह तभी संभव है जब राज्य सरकार इसके लिए रेल मंत्रालय को पत्र भेजे।