बक्सर।। छह साल की बच्ची दस साल पहले लापता हो गयी थी। उस समय पुलिस ने इनके लापता होने का मामला जर्द किया था। जब दो वर्ष तक पता नहीं चला तो केश अपहरण में तब्दील हो गया। आगे चलकर वह फाइल भी बंद कर दी गयी। अब दस साल बाद मनीषा नाम की वह लापता बच्ची मिल गयी है। उसकी बरामदगी उत्तर प्रदेश के सपा विधायक के घर से हुई है। उसकी बरामदगी का करण बना उस बच्ची का नाम। क्योंकि मनीषा एक मुस्लिम परिवार में पल बढ़ रही थी। पुलिस को फाइल फिर खोलनी पड़ी है। उसे पिछले शनिवार को न्यायालय में जज के सामने प्रस्तुत किया गया। पर वह बच्ची अचानक हुए इस बदलाव से हतप्रभ थी। पहले तो वह अपने माता-पिता के जाने को तैयार ही नहीं हो रही थी। पर जब उसने पूरी बात जानी तो घर जाने को तैयार हो गयी।
लापता हो गए थे भाई बहन
छह साल की मनीषा अपने दस के भाई यश के साथ मामा गांव गयी थी। यह घटना 7 जुलाई 2006 को हुई। दोनों बच्चे अपने ननिहाल डुमरांव थाना के सिकठा से लापता हुए। इस लिए डुमरांव थाने में 9.7.2006 को सहना दर्ज हुआ।
सनहा बना अपहरण
दो साल तक इन दोनों बच्चों का पता नहीं चला तो डुमरांव पुलिस ने 25 अगस्त 2008 को अपहरण का केश बना प्राथमिकी दर्ज की। मामला कुछ समय चला। फिर फाइल बंद कर दी गयी।
सहारनपुर के विधायक के यहां से हुई बरामद
मनीषा की बरामदगी सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के समाजवादी पार्टी के विधायक वसीम अहमद के यहां से हुई। वहां पहुंची डुमरांव पुलिस ने उसे बरामद कर 30 जनवरी को सीजेएम के न्यायालय में प्रस्तुत किया। जहां लड़की पहले तो एक बार अपने घर जाने को तैयार ही नहीं हुई। पर जब उसे पूरी बात पता चली तो वह अपने माता-पिता के साथ जाने को तैयार हुई।
सहारनपुर के लोगों ने पहुंचाई बात
मनीषा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जहां रह रही थी। आस-पास की महिलाओं और बच्चों से उसका मिलना जुलना होता रहता था। लोग इस बात से हैरान होते कि मुस्लिम परिवार में मनीषा कहां से आ गयी। बातचीत के क्रम में उसने बताया कि उसे कुछ कुछ याद आता है। वह बक्सर जिले के अहिरौली की रहने वाली है। यह बात हिंदू परिवार की महिलाओं को पता चली तो उन लोगों ने पुरुष सदस्यों की मदद से यह बात अहिरौली पहुंचाई। जब परिवार वालों को पता चला तो उन लोगों ने पुलिस को संपर्क में लिया। तब जाकर उसकी बरामदगी हो सकी।
छह साल तक करती रही नौकरानी का काम
मनीषा को जब कोर्ट में पेश किया तो उसने कई चौकाने वाली बातें कहीं। उसका भाई यश ही उसे यहां से ले गया था। वे लोग दिल्ली के शाहपुर इलाके में अपने मामा के यहां जाना चाहते थे। पर वे किसी बिल्लू मियां के हाथ लग गए। वह उन दोनों को अपने यहां ले गया। उनको एक महिला की देखरेख का जिम्मा दिया गया। कुछ माह बाद उसका भाई वहां से भाग गया। वह अकेली वहां पांच-छह साल तक रही। फिर उसे वहां से बिल्लू मियां ने सहारनपुर में वसीम अहमद के यहां भेज दिया। जहां अब वह परिवार के साथ घुलमिल गयी थी। उसे वहां बेटी की तरह रखा जा रहा था। उसे उन लोगों से कोई शिकायत नहीं है।
अभी भी लापता है बडा भाई, दिल्ली जाएगी पुलिस
मनीषा के साथ उसका भाई यश भी गायब हुआ था। उसकी तलाश में डुमरांव पुलिस दिल्ली के शाहपुर जाएगी। पुलिस की माने तो वह इस घटना से पहले भी एक बार अपने घर से गायब हुआ था। तब उसे नई दिल्ली स्टेशन से चाइल्ड लाइन दिल्ली की टीम ने बरामद किया था। पुलिस उसका पला लगाने में जुटी है।
लापता हो गए थे भाई बहन
छह साल की मनीषा अपने दस के भाई यश के साथ मामा गांव गयी थी। यह घटना 7 जुलाई 2006 को हुई। दोनों बच्चे अपने ननिहाल डुमरांव थाना के सिकठा से लापता हुए। इस लिए डुमरांव थाने में 9.7.2006 को सहना दर्ज हुआ।
सनहा बना अपहरण
दो साल तक इन दोनों बच्चों का पता नहीं चला तो डुमरांव पुलिस ने 25 अगस्त 2008 को अपहरण का केश बना प्राथमिकी दर्ज की। मामला कुछ समय चला। फिर फाइल बंद कर दी गयी।
सहारनपुर के विधायक के यहां से हुई बरामद
मनीषा की बरामदगी सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के समाजवादी पार्टी के विधायक वसीम अहमद के यहां से हुई। वहां पहुंची डुमरांव पुलिस ने उसे बरामद कर 30 जनवरी को सीजेएम के न्यायालय में प्रस्तुत किया। जहां लड़की पहले तो एक बार अपने घर जाने को तैयार ही नहीं हुई। पर जब उसे पूरी बात पता चली तो वह अपने माता-पिता के साथ जाने को तैयार हुई।
सहारनपुर के लोगों ने पहुंचाई बात
मनीषा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जहां रह रही थी। आस-पास की महिलाओं और बच्चों से उसका मिलना जुलना होता रहता था। लोग इस बात से हैरान होते कि मुस्लिम परिवार में मनीषा कहां से आ गयी। बातचीत के क्रम में उसने बताया कि उसे कुछ कुछ याद आता है। वह बक्सर जिले के अहिरौली की रहने वाली है। यह बात हिंदू परिवार की महिलाओं को पता चली तो उन लोगों ने पुरुष सदस्यों की मदद से यह बात अहिरौली पहुंचाई। जब परिवार वालों को पता चला तो उन लोगों ने पुलिस को संपर्क में लिया। तब जाकर उसकी बरामदगी हो सकी।
छह साल तक करती रही नौकरानी का काम
मनीषा को जब कोर्ट में पेश किया तो उसने कई चौकाने वाली बातें कहीं। उसका भाई यश ही उसे यहां से ले गया था। वे लोग दिल्ली के शाहपुर इलाके में अपने मामा के यहां जाना चाहते थे। पर वे किसी बिल्लू मियां के हाथ लग गए। वह उन दोनों को अपने यहां ले गया। उनको एक महिला की देखरेख का जिम्मा दिया गया। कुछ माह बाद उसका भाई वहां से भाग गया। वह अकेली वहां पांच-छह साल तक रही। फिर उसे वहां से बिल्लू मियां ने सहारनपुर में वसीम अहमद के यहां भेज दिया। जहां अब वह परिवार के साथ घुलमिल गयी थी। उसे वहां बेटी की तरह रखा जा रहा था। उसे उन लोगों से कोई शिकायत नहीं है।
अभी भी लापता है बडा भाई, दिल्ली जाएगी पुलिस
मनीषा के साथ उसका भाई यश भी गायब हुआ था। उसकी तलाश में डुमरांव पुलिस दिल्ली के शाहपुर जाएगी। पुलिस की माने तो वह इस घटना से पहले भी एक बार अपने घर से गायब हुआ था। तब उसे नई दिल्ली स्टेशन से चाइल्ड लाइन दिल्ली की टीम ने बरामद किया था। पुलिस उसका पला लगाने में जुटी है।