सपा सरकार ने भी किया सीबीआई जांच का विरोध..मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात रहे स्वजातीय एक सचिव स्तर के अधिकारी ( तत्कालीन डीएम सोनभद्र) का बचाने का प्रयास...रु. २५० करोड़ के घुटाले का इल्जाम !!
कैसी-कैसी लूट
- गोंडा में 2007-08 में एक करोड़ रुपये के खिलौने, 1.09 करोड़ के टेंट, 50 लाख रुपये की पानी की टंकियां, दो करोड़ के गैंती-फावड़े, तसला की खरीद में गड़बड़ियां मिलीं।
- महोबा में 2008-09 में लखनऊ की फर्म से 51 लाख रुपये के टेंट खरीदे गए और 50 लाख का भुगतान भी हो गया। जांच में न सामान मिला और न फर्म को खोजा जा सका।
- बलरामपुर में वर्ष 2007-08 के दौरान डेढ़ लाख रुपये के कैलेंडर, डायरी, 80 लाख के टेंट और सात लाख के फर्स्ट एड बॉक्स खरीद लिए गए। छह लाख रुपये क ी पानी की टंकी खरीदी गई।
30 लाख की फर्नीचर की खरीद
- कुशीनगर में कई पंचायतों ने राजेश नाम के व्यक्ति को 50 लाख रुपये तक के चेक दे दिए। वहां 20 लाख के फर्स्ट एड बॉक्स, 75 लाख के फावड़े, 25 लाख की पानी की टंकियों की फर्जी खरीद का मामला भी सामने आया। 30 लाख रुपये की फर्नीचर की खरीद भी दिखाई गई।
- मिर्जापुर: बिना मानकों को पूरा किए मनरेगा फंड से सामान खरीदे गए। जांच में लगभग चार करोड़ रुपये के दुरुपयोग का मामला सामने आया।
- पंधारी यादव डीएम के कार्यकाल में सोनभद्र में 2009-10 में मनरेगा के नाम पर 250 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। एक ही तालाब कई-कई बार खुदवाया गया। राजनीतिक हस्तियों व आईएएस अधिकारियों के रिश्तेदारों के नाम से बनी फर्जी फर्मों से 150 करोड़ रुपये की फर्जी खरीद सामने आई।
कानपुर देहात में ऐसे लोगों को बीज खरीदकर बांट दिए जिनके पास खेत तक नहीं थे। 80 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत वाले धनिया के बीज 584 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदे गए।
- सुल्तानपुर, मथुरा एवं चित्रकूट में नियम विरुद्ध उत्तर प्रदेश सहकारी निर्माण एवं विकास संघ लि. को करोड़ों रुपये के काम आवंटित कर दिए गए।
- चित्रकूट में लगभग 50 लाख रुपये से 700 डिजिटल कैमरों की खरीद।
- सीतापुर में तालाबों के निर्माण में लाखों का घपला।
- औरैया में 56 लाख 21 हजार 560 रुपये से ट्री गार्डों की खरीद।
- बांदा में दो करोड़ रुपये की मेज-कुर्सी की खरीद।
-सिद्धार्थनगर में 1210 ग्राम पंचायतों में 15 लाख रुपये से शिकायत पेटिकाओं की खरीद।
-महराजगंज में स्वयंसेवी संस्था को 50 लाख रुपये का प्रचार-प्रसार कार्य आवंटित।
- संतकबीर नगर: यहां के ब्लॉक सांथा में राजनीतिक संरक्षण पाए बाहुबलियों ने हर काम पर कब्जा किया। तत्कालीन स्थानीय विधायक के गठजोड़ से सरकारी धन की लूट की बात सामने आई।
कैसी-कैसी लूट
- गोंडा में 2007-08 में एक करोड़ रुपये के खिलौने, 1.09 करोड़ के टेंट, 50 लाख रुपये की पानी की टंकियां, दो करोड़ के गैंती-फावड़े, तसला की खरीद में गड़बड़ियां मिलीं।
- महोबा में 2008-09 में लखनऊ की फर्म से 51 लाख रुपये के टेंट खरीदे गए और 50 लाख का भुगतान भी हो गया। जांच में न सामान मिला और न फर्म को खोजा जा सका।
- बलरामपुर में वर्ष 2007-08 के दौरान डेढ़ लाख रुपये के कैलेंडर, डायरी, 80 लाख के टेंट और सात लाख के फर्स्ट एड बॉक्स खरीद लिए गए। छह लाख रुपये क ी पानी की टंकी खरीदी गई।
30 लाख की फर्नीचर की खरीद
- कुशीनगर में कई पंचायतों ने राजेश नाम के व्यक्ति को 50 लाख रुपये तक के चेक दे दिए। वहां 20 लाख के फर्स्ट एड बॉक्स, 75 लाख के फावड़े, 25 लाख की पानी की टंकियों की फर्जी खरीद का मामला भी सामने आया। 30 लाख रुपये की फर्नीचर की खरीद भी दिखाई गई।
- मिर्जापुर: बिना मानकों को पूरा किए मनरेगा फंड से सामान खरीदे गए। जांच में लगभग चार करोड़ रुपये के दुरुपयोग का मामला सामने आया।
- पंधारी यादव डीएम के कार्यकाल में सोनभद्र में 2009-10 में मनरेगा के नाम पर 250 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। एक ही तालाब कई-कई बार खुदवाया गया। राजनीतिक हस्तियों व आईएएस अधिकारियों के रिश्तेदारों के नाम से बनी फर्जी फर्मों से 150 करोड़ रुपये की फर्जी खरीद सामने आई।
कानपुर देहात में ऐसे लोगों को बीज खरीदकर बांट दिए जिनके पास खेत तक नहीं थे। 80 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत वाले धनिया के बीज 584 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदे गए।
- सुल्तानपुर, मथुरा एवं चित्रकूट में नियम विरुद्ध उत्तर प्रदेश सहकारी निर्माण एवं विकास संघ लि. को करोड़ों रुपये के काम आवंटित कर दिए गए।
- चित्रकूट में लगभग 50 लाख रुपये से 700 डिजिटल कैमरों की खरीद।
- सीतापुर में तालाबों के निर्माण में लाखों का घपला।
- औरैया में 56 लाख 21 हजार 560 रुपये से ट्री गार्डों की खरीद।
- बांदा में दो करोड़ रुपये की मेज-कुर्सी की खरीद।
-सिद्धार्थनगर में 1210 ग्राम पंचायतों में 15 लाख रुपये से शिकायत पेटिकाओं की खरीद।
-महराजगंज में स्वयंसेवी संस्था को 50 लाख रुपये का प्रचार-प्रसार कार्य आवंटित।
- संतकबीर नगर: यहां के ब्लॉक सांथा में राजनीतिक संरक्षण पाए बाहुबलियों ने हर काम पर कब्जा किया। तत्कालीन स्थानीय विधायक के गठजोड़ से सरकारी धन की लूट की बात सामने आई।