हरदा।। कहते हैं अगर हौसला हो तो मंजिल को पाने से कोई रोक नहीं सकता। इसी हौसले की मध्यप्रदेश के हरदा जिले के छीपानेर गांव में देखने को मिली है। जहां बिना किसी इंजीनियर की मदद से युवाओं ने एक अनोखा काम किया है।
हरदा से 32 किलोमीटर दूर छीपानेर गांव से किसी दूसरे गांव में जाने के लिए नर्मदा नदी को पार करना पड़ता था। नदी को पार करने के लिए डीजल नाव ही सहारा था, लेकिन जब यहां के युवाओं ने देखा कि नाव चलने की वजह से नदी में प्रदूषण फैल रहा है तो उन्होंने इस पर पुल बनाने को ठानी।
3 महीने में पानी पर पुल तैयार
गांव के युवा सोच ने नर्मदा नदी पर पुल बनाने की पहल की। 25 नौजवानों ने मिलकर सबसे पहले जनपद पंचायत से पुल बनाने की अनुमति ली। उसके बाद रकम इक्ट्ठा किया गया। बैंक से लोन और लोगों की मदद से 40 लाख रुपए का इंतजाम किया गया। फिर शुरू हुआ बिना इंजीनियर के पुल का निर्माण। तीन महीने में युवाओं ने मिलकर नर्मदा नदी पर नावों से नावों को जोड़कर बेहतरीन पुल का निर्माण कर दिया।
लोगों से लिया जाएगा पुल टैक्स
गांव के लोग पुल बनने से खुश बेहद खुश है। इसके साथ ही वो पुल निर्माण में लगे लागत को निकालने के लिए पुल टैक्स भी देंगे। लोगों जब नाव पार करते थे तो एक तय रकम देते थे। उसी तरह अब पुल से गुजरने के लिए रकम देना होगा।
हरदा से 32 किलोमीटर दूर छीपानेर गांव से किसी दूसरे गांव में जाने के लिए नर्मदा नदी को पार करना पड़ता था। नदी को पार करने के लिए डीजल नाव ही सहारा था, लेकिन जब यहां के युवाओं ने देखा कि नाव चलने की वजह से नदी में प्रदूषण फैल रहा है तो उन्होंने इस पर पुल बनाने को ठानी।
3 महीने में पानी पर पुल तैयार
गांव के युवा सोच ने नर्मदा नदी पर पुल बनाने की पहल की। 25 नौजवानों ने मिलकर सबसे पहले जनपद पंचायत से पुल बनाने की अनुमति ली। उसके बाद रकम इक्ट्ठा किया गया। बैंक से लोन और लोगों की मदद से 40 लाख रुपए का इंतजाम किया गया। फिर शुरू हुआ बिना इंजीनियर के पुल का निर्माण। तीन महीने में युवाओं ने मिलकर नर्मदा नदी पर नावों से नावों को जोड़कर बेहतरीन पुल का निर्माण कर दिया।
लोगों से लिया जाएगा पुल टैक्स
गांव के लोग पुल बनने से खुश बेहद खुश है। इसके साथ ही वो पुल निर्माण में लगे लागत को निकालने के लिए पुल टैक्स भी देंगे। लोगों जब नाव पार करते थे तो एक तय रकम देते थे। उसी तरह अब पुल से गुजरने के लिए रकम देना होगा।