अयोध्या राम मंदिर के मुद्दे को लेकर एक किताब ने नया खुलासा किया है। मलयालम में लिखी किताब- न्यान एन्ना भारतीयन (मैं एक भारतीय) में यह बताया गया है कि एएसआइ को विवादित ढांचे में मिले केवल 14 स्तंभ ही नहीं, अन्य कई पुरातात्विक साक्ष्य भी यह गवाही दे रहे हैं कि अयोध्या में मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाई गई। इस किताब के लेखक हभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग के उत्तरी क्षेत्र के निदेशक रहे डॉ. केके मुहम्मद हैं।
डॉ. मुहम्मद ने एक हिंदी अखबार को बताया कि एएसआइ ने पहली बार 1976-77 में प्रो. बीबी लाल के नेतृत्व में विवादित ढांचे का निरीक्षण किया था। फिर 2002-2003 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर विवादित ढांचा वाले स्थान के आसपास उत्खनन कराया। तब 50 के करीब वैसे चबूतरे मिले जैसे विवादित ढांचे के अंदर थे। इस उत्खनन में कई मुस्लिम अधिकारी और कर्मचारी भी खास तौर पर शामिल किए गए थे।
डॉ. मुहम्मद के मुताबिक उत्खनन में मंदिरों के ऊपर बने कलश के नीचे लगाया जाने वाला अमलका (गोल पत्थर) मिला। अमलका केवल मंदिर में ही लगाया जाता है। इसी प्रकार जलाभिषेक के बाद जल का प्रवाह करने वाली मगरप्रणाली (मगरमच्छ के आकार वाली) भी मिली। मगरप्रणाली भी केवल मंदिरों में ही बनाई जाती है। इसके अलावा टेराकोटा की बहुत सी छोटी-छोटी मूर्तियां मिलीं थीं।
डॉ. मुहम्मद ने बताया कि एएसआई की टीम ने विवादित ढांचा तोड़े जाने के समय मिले एक शिलालेख का भी अध्ययन किया था। विष्णुहरि शिलालेख में राम को बाली और दस सिरों वाले अर्थात रावण का वध करने वाले भगवान विष्णु के अवतार के रूप में संबोधित किया गया था। यह लेख नागरी लिपि में था। इस शिलालेख को भारत सरकार के एपीग्राफी निदेशक डॉ. केबी रमेश और नागपुर यूनीवर्सिटी के प्रो.शास्त्री ने पढ़ा था।
नागरी भाषा 11वीं-12वीं शताब्दी में प्रचलन में थी। डॉ बीबी लाल की टीम के सदस्य रहे डॉ मुहम्मद ने बताया कि ये सारे पुरातात्विक साक्ष्य यही बताते हैं कि विवादित स्थल पर राम मंदिर था। डॉ. मुहम्मद ने बताया कि एएसआइ को विवादित ढांचे के निरीक्षण के दौरान 14 खंभे पाए थे वे ब्लैक बसाल्ट (काला पत्थर) के थे। इन खंभों पर ही विवादित ढांचा खड़ा था।
डॉ. मुहम्मद ने बताया कि अयोध्या के विवादित ढांचे में जैसे स्तंभ पाए गए थे वे 11वी-12 वीं सदी के समय बने मंदिरों जैसे थे और दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुतुबु इस्लाम मस्जिद में लगे खंभों से मिलते जुलते थे। डॉ. मुहम्मद ने कहा कि इस मस्जिद का निर्माण मंदिरों को तोड़कर किया गया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा कि ताजमहल के नीचे मंदिर है। सच तो ये है कि ऐसा दावा करने वाले के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की थी।
डॉ. मुहम्मद ने एक हिंदी अखबार को बताया कि एएसआइ ने पहली बार 1976-77 में प्रो. बीबी लाल के नेतृत्व में विवादित ढांचे का निरीक्षण किया था। फिर 2002-2003 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर विवादित ढांचा वाले स्थान के आसपास उत्खनन कराया। तब 50 के करीब वैसे चबूतरे मिले जैसे विवादित ढांचे के अंदर थे। इस उत्खनन में कई मुस्लिम अधिकारी और कर्मचारी भी खास तौर पर शामिल किए गए थे।
डॉ. मुहम्मद के मुताबिक उत्खनन में मंदिरों के ऊपर बने कलश के नीचे लगाया जाने वाला अमलका (गोल पत्थर) मिला। अमलका केवल मंदिर में ही लगाया जाता है। इसी प्रकार जलाभिषेक के बाद जल का प्रवाह करने वाली मगरप्रणाली (मगरमच्छ के आकार वाली) भी मिली। मगरप्रणाली भी केवल मंदिरों में ही बनाई जाती है। इसके अलावा टेराकोटा की बहुत सी छोटी-छोटी मूर्तियां मिलीं थीं।
डॉ. मुहम्मद ने बताया कि एएसआई की टीम ने विवादित ढांचा तोड़े जाने के समय मिले एक शिलालेख का भी अध्ययन किया था। विष्णुहरि शिलालेख में राम को बाली और दस सिरों वाले अर्थात रावण का वध करने वाले भगवान विष्णु के अवतार के रूप में संबोधित किया गया था। यह लेख नागरी लिपि में था। इस शिलालेख को भारत सरकार के एपीग्राफी निदेशक डॉ. केबी रमेश और नागपुर यूनीवर्सिटी के प्रो.शास्त्री ने पढ़ा था।
नागरी भाषा 11वीं-12वीं शताब्दी में प्रचलन में थी। डॉ बीबी लाल की टीम के सदस्य रहे डॉ मुहम्मद ने बताया कि ये सारे पुरातात्विक साक्ष्य यही बताते हैं कि विवादित स्थल पर राम मंदिर था। डॉ. मुहम्मद ने बताया कि एएसआइ को विवादित ढांचे के निरीक्षण के दौरान 14 खंभे पाए थे वे ब्लैक बसाल्ट (काला पत्थर) के थे। इन खंभों पर ही विवादित ढांचा खड़ा था।
डॉ. मुहम्मद ने बताया कि अयोध्या के विवादित ढांचे में जैसे स्तंभ पाए गए थे वे 11वी-12 वीं सदी के समय बने मंदिरों जैसे थे और दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुतुबु इस्लाम मस्जिद में लगे खंभों से मिलते जुलते थे। डॉ. मुहम्मद ने कहा कि इस मस्जिद का निर्माण मंदिरों को तोड़कर किया गया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा कि ताजमहल के नीचे मंदिर है। सच तो ये है कि ऐसा दावा करने वाले के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की थी।