ये हैं मनोज भार्गव, अमेरिका के रईस भारतीयों में इनकी गिनती होती है। साल 2010 से पहले कम लोग ही उन्हें जानते थे। 2012 में फोर्ब्स मैगजीन ने करोड़पतियों की लिस्ट में उनका नाम शामिल किया तब सबकी निगाहें उनकी तरफ गईं। मनोज भार्गव अपनी बिजली बनाने वाली साइकिल चलाते हुए।
मनोज को उत्तराखंड से बेहद लगाव है अपना बिजनेस शुरू करने से पहले यहां के कई मठों में साधु की तरह रहे। वह दिल्ली के हंसलोक आश्रम में करीब 12 साल तक रहे। मनोज इन दिनों भारत के करीब 20 लाख लोगों को फ्री बिजली देने वाले प्रोजेक्ट पर काम कर कर रहे हैं। इसकी शुरुआत अगले साल से उत्तराखंड के 20 गांवों से होने जा रही है।
साइकिल से बनेगी बिजली
- मनोज द्वारा बनाई गई साइकिल में एक घंटे पैडल मारने से पूरे दिनभर घरेलू उपकरण चलाने लायक बिजली आसानी से मिल सकती है।
- जहां बिजली नहीं है, वहां लोग इससे 25 एलईडी बल्ब जला सकते हैं। सेलफोन चार्ज कर सकते हैं। छोटा पंखा चला सकते हैं।
- मनोज भार्गव की प्रयोगशाला ने 2015 में मेकैनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रीकल एनर्जी में बदलने पर काम शुरू किया है।
मेकैनिकल एनर्जी को बदला इलेक्ट्रीकल में
साइकिल से बिजली बनने की तकनीक का उपयोग अभी तक सिर्फ साइकिल की लाइट जलाने तक ही सीमित रहा है। लेकिन मनोज ने इस तकनीक को विकसित करके भारत के उन घरों को रोशन करने का जिम्मा उठाया है जो आज भी बिजली से महरूम हैं।
अमेरिका के एनर्जी ड्रिंक व्यापारी मनोज भार्गव ने साइकिल पर आधारित एक मशीन तैयार की है। इसे कसरत करने वाली साइकिल भी कहा जा सकता है। भार्गव की इस मशीन से साइकिल से बिजली पैदा की जा सकती है। मेकैनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रीकल एनर्जी में बदलने की एक मशीन से एनर्जी को इकट्ठा किया जा सकता है और पूरे 24 घंटे इससे घर में बिजली रह सकती है।
साधारण साइकिल की तरह
भार्गव ने इस “फ्री इलेक्ट्रिक” बाइक का पेटेंट करवाया है। जल्द ही इसका बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन शुरू होने जा रहा है। भारत की कई बड़ी कंपनियां भार्गव के साथ काम करना चाहती हैं।
खास बात यह है कि इस साइकिल के 70 प्रतिशत पुर्जे सामान्य साइकिल जैसे ही हैं। भार्गव चाहते हैं कि मार्च 2016 में वे भारत में इसकी पहली उत्पादन इकाई स्थापित कर दें जहां रोजाना 1000 साइकिल बनाई जाएं।
क्यों है जरूरत
- अभी भारत के 32000 से ज्यादा गांवों में बिजली नहीं है। 10 लाख से ज्यादा परिवार अंधेरे में रहते हैं।
- एक साइकिल की कीमत 12,000 रुपए के करीब रहेगी।
- पहले चरण में उत्तराखंड में काम होगा।
लखनऊ में हुआ था जन्म
मनोज भार्गव का जन्म 1952 में लखनऊ में हुआ। जब उनके पिता 1967 में अमेरिका में अपनी पीएचडी करने गए तो उन्हें साथ ले गए। वह पढऩे में तेज थे, लेकिन उन्होंने पढऩे से ज्यादा अपने सपनों को अपनी तरह साकार करना सही समझा।
उन्होंने अमेरिका के मशहूर प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में गणित में ग्रैजुएशन के लिए एडमिशन लिया, लेकिन पहले साल पढ़ाई करने के बाद यूनिवर्सिटी छोड़ दी।
5 Hour Energy ड्रिंक की खोज
एक बार मनोज नई टेक्नालॉजी की खोज में किसी व्यापार मेले गए हुए थे। सुबह से लगातार कई मीटिंग करने के कारण वो काफी थक गए।
जिन लोगों के साथ अगली मीटिंग थी उनसे मनोज ने कुछ पीने के लिए मांगा ताकि थोड़ी एनर्जी आ सके। उन्हें गिलास में कुछ पीने ले लिए दिया गया। इसे पीने के बाद वे अगले 7-8 घंटे तक तरोताजा रहे और बड़ी आसानी से अपना काम कर पाए।
मनोज ने मन ही मन सोचा ये शानदार है, मैं इसे बेच सकता हूं। और फिर अगले 30 दिनों में उन्होंने अपने एनर्जी ड्रिंक का फार्मूला तैयार किया जिसका नाम, “5-hour Energy” रखा गया। बाजार में उनका एनर्जी ड्रिंक आते ही थोड़े दिनों बाद ही अमेरिका में सबसे ज्यादा बिकने वाला एनर्जी ड्रिंक बन गया।