रायसेन।। गाय पालना और उसका ध्यान रखना एक गांव के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं हुआ है। गौ-पालन से इस गांव के लोगों की ज़िंदगी मे काफी बदलाव आ गया है। यहां के लोग गौ-धन के जरिये आय अर्जित कर रहे हैं। साथ ही वे गौ-धन से औषधि बनाना भी सीख रहे हैं। आसपास के गांव के लोग भी औषधि बनाने के तरीके को सीखने के लिए यहां आ रहे हैं।
भोपाल के गायत्री पीठ द्वारा रायसेन जिले के इमलिया गौंडी गांव के जंगल में गौशाला स्थापित की गई है। जो की गांव के लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी बन गया है। साथ ही गांव के जिस परिवार के पास गाय नहीं है, उन्हें गायत्री पीठ द्वारा नि:शुल्क गाय वितरित की गयी है। जिससे उन परिवारों को भी रोजगार मिला है. जिनके पास रोजगार उपलब्ध नहीं था।
22 एकड़ में फैली है गौशाला
गौशाला का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे डॉ. शंकरलाल पाटीदार ने बताया की गौशाला मे अलग-अलग प्रजाति की 350 गाय है। यह गौशाला 22 एकड़ मे फैली हुई है। ग्रामीणों को गौशाला में 44 प्रकार की औषधि बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही गरीब किसानों को नि:शुल्क खाद और एक गाय भी दी जाती है। गाय ग्रामीणों को दूध देने के साथ-साथ उनके परिवार को आय का साधन उपलब्ध करा रही है। ग्रामीण गोबर और गौमूत्र के अर्क से औषधीय बनाकर आय अर्जित कर रहे हैं। ग्रामीण जैविक खाद बनाकर अपना खेती भी करते हैं और उसे बेचते भी हैं।
गौशाला द्वारा अब तक इस गांव में 150 गाय वितरित की जा चुकी है। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रणव पाण्डेय का कहना है कि गौ-पालन, गौ-संवर्धन और गौ-रक्षण हमारा परम कर्तव्य है। जिसका पालन हम सभी को समान रूप से करना चाहिए।
नशा मुक्ति में सहयोग
गौ-पालन से गांव के लोगों को सिर्फ रोजगार का जरिया ही नहीं मिला है, बल्कि गाय की सौगंध खाकर लोग नशा न करने का संकल्प भी ले रहे हैं। इसका असर इतना ज्यादा है की गांव के अधिकांश लोग इसका अनुसरण करने लगे हैं। आलम यह है की 95 प्रतिशत लोगों ने नशा करना छोड़ दिया है और गाय पालन कर कुछ पैसे कमाने में लग गए हैं।
इस गांव में आते ही आपके आंखों के सामने ‘गौ-संवर्धन गांव’ की छवि उभरने लगेगी। भोपाल स्थित गायत्री शक्तिपीठ ने इस गांव के जंगल में गौशाला स्थापित की है। उनलोगों को गाय दिया जा रहा है, जिनके पास इतने पैसे नहीं है की वह कोई गाय खरीद सके। 2500 की आबादी वाले इस गांव में लगभग 450 घर है। जिसमें अब तक 150 लोगों को गौशाला की ओर गाय दी जा चुकी है।
भोपाल के गायत्री पीठ द्वारा रायसेन जिले के इमलिया गौंडी गांव के जंगल में गौशाला स्थापित की गई है। जो की गांव के लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी बन गया है। साथ ही गांव के जिस परिवार के पास गाय नहीं है, उन्हें गायत्री पीठ द्वारा नि:शुल्क गाय वितरित की गयी है। जिससे उन परिवारों को भी रोजगार मिला है. जिनके पास रोजगार उपलब्ध नहीं था।
22 एकड़ में फैली है गौशाला
गौशाला का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे डॉ. शंकरलाल पाटीदार ने बताया की गौशाला मे अलग-अलग प्रजाति की 350 गाय है। यह गौशाला 22 एकड़ मे फैली हुई है। ग्रामीणों को गौशाला में 44 प्रकार की औषधि बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही गरीब किसानों को नि:शुल्क खाद और एक गाय भी दी जाती है। गाय ग्रामीणों को दूध देने के साथ-साथ उनके परिवार को आय का साधन उपलब्ध करा रही है। ग्रामीण गोबर और गौमूत्र के अर्क से औषधीय बनाकर आय अर्जित कर रहे हैं। ग्रामीण जैविक खाद बनाकर अपना खेती भी करते हैं और उसे बेचते भी हैं।
गौशाला द्वारा अब तक इस गांव में 150 गाय वितरित की जा चुकी है। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रणव पाण्डेय का कहना है कि गौ-पालन, गौ-संवर्धन और गौ-रक्षण हमारा परम कर्तव्य है। जिसका पालन हम सभी को समान रूप से करना चाहिए।
नशा मुक्ति में सहयोग
गौ-पालन से गांव के लोगों को सिर्फ रोजगार का जरिया ही नहीं मिला है, बल्कि गाय की सौगंध खाकर लोग नशा न करने का संकल्प भी ले रहे हैं। इसका असर इतना ज्यादा है की गांव के अधिकांश लोग इसका अनुसरण करने लगे हैं। आलम यह है की 95 प्रतिशत लोगों ने नशा करना छोड़ दिया है और गाय पालन कर कुछ पैसे कमाने में लग गए हैं।
इस गांव में आते ही आपके आंखों के सामने ‘गौ-संवर्धन गांव’ की छवि उभरने लगेगी। भोपाल स्थित गायत्री शक्तिपीठ ने इस गांव के जंगल में गौशाला स्थापित की है। उनलोगों को गाय दिया जा रहा है, जिनके पास इतने पैसे नहीं है की वह कोई गाय खरीद सके। 2500 की आबादी वाले इस गांव में लगभग 450 घर है। जिसमें अब तक 150 लोगों को गौशाला की ओर गाय दी जा चुकी है।