जी हां यूपी में प्रमुख से लेकर जिला पंचायत चुनावों में धनबल, बाहुबल व सत्ता के जोर पर जिस तरह पदों को हथियाया गया है। मासूमों सहित कई प्रधानों, बीडीसी व जिला पंचायत सदस्यों को मौत के घाट उतारा गया है, वह जगजाहिर है। मतलब साफ है यूपी में कानून का राज खत्म हो गया है। लाॅ एंड आर्डर मेंटेन करने की उम्मीद पर पुलिस खरी नहीं उतर रही। ऐसे में सवाल है यही है कि 2017 में विधानसभा चुनाव में गुंडाराज के खात्मे के बाद क्या यूपी की कमान संभालनें वाले मुख्यमंत्री इन पदों पर काबिज हो चुके सपाई गुंडे व माफियाओं को बेदखल कर फिर से चुनाव करा पायेंगे या यबकुछ यूं ही छोड़ दिया जायेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मायावती अपने मुख्यमंत्रीकाल में कई सपाई माफियाओं को न सिर्फ हटाया था बल्कि बाहुबलि विधायक विजय मिश्रा व राजा भैया जैसे लोगों को उनके असल ठेकाने तक पहुंचा दिया था
बेशक, मुजफ्फरनगर के शामली में ब्लाक प्रमुख चुनाव में जीते प्रत्याशी के साथ सैकड़ों सपाई गुंडो व माफियाओं द्वारा खुलेआम न सिर्फ असलहा प्रदर्शन किया गया बल्कि चलाई गोली से आठ वर्षीय एक बच्चे मौत हो गयी। यह वाकया तो एक बानगीभर है, ऐसा नग्न तांडव और जिला प्रशासन की निगरानी में ब्लाक व जिला पंचायत चुनाव में खुल्लमखुल्ला गुंडई, असलहा प्रदर्शन करीब-करीब यूपी के हर जिले में लोकतंत्र का जमकर माखौल उड़ता दिखा। कहने को इस लोकतंत्र में इस तरीके का हंगामा है, इस तरीके की बेचैनी है, इस तरीके की बदहवासी है कि लोग सड़क पर सुरक्षित नहीं है। खुलेआम सपाई गुंडों द्वारा खून की होली खेली जा रही है। ऐसा लग रहा है जैसे इन दिनों यूपी में सिर्फ और सिर्फ गुंडो व माफियाओं का राज है, जहां जुबान की जगह बंदूके तड़तडा रही है और सड़कों पर लाशे बिछ रही है। बदायूं, मुरादाबाद, गोरखपुर, फैजाबाद, वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर, इलाहाबाद, जौनपुर, सहारनपुर, आगरा, फिरोजाबाद, मेरठ, कोशांबी, लखनउदेवरियां, गोंडा आदि जिलों में कही बीडीसी सदस्यों का अपहरण कर लिया गया तो कहीं भारी-भरकम राशि देकर उन्हें खरीद लिया गया और जो नहीं बिके उनका वोट यह कहकर डलवा लिया गया कि अगर वोट नहीं मिला तो फर्जी मुकदमें में जेल भेजवा दूंगा या पूरे परिवार की हत्या कर दी जायेगी। खास बात यह रहा कि गुंडई के बूते इन पदों को हथियाने के बाद कुनबे के आकाओं ने दावा किया कि पूरे प्रदेश में सपा का वर्चस्व है, 80 फीसदों इलाकों में उनका कब्जा है। सपा के खिलाफ जुबान खोलने वाली की हत्या करा दिया जायेगा या घर-गृहस्थी लूट लिया जायेगा। इतना ही नहीं मंत्री, विधायक से लेकर खुद सपा के आकाओं द्वारा लोगों को खुलेआम धमकी देते काल रिकार्ड हो रहे है। ऐसे में सवाल यही है कि क्या यूपी का होने वाला अगला मुख्यमंत्री जबरन हथियाएं गए इन पदों पर काबिज हो चुके सपाई गुंडो से निजात दिला पायेगा या सबकुछ यूं ही चलता रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्ष 2017 में यह सवाल भी एक चुनावी मुद्दा होगा। अब देखना होगा कौन सी राजनीतिक दल इसे अपना मुद्दा बनाते है। लेकिन मायावती का ऐलान हो चुका है सत्ता में आने पर पहला काम गुंडों, माफियाओं, बलातकारियों व बाहुबलियों को उनके असल ठेकाने तक पहुंचाना होगा। ऐसा वह अपने पूर्व के कार्यकालों में भी कर चुकी है।
बता दें, मुजफ्फरनगर शामली जिले के कैराना कस्बे में रविवार को सपा कार्यकर्ताओं द्वारा चलाई गई गोली से एक बच्चे की मौत हो गई। कार्यकर्ता स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी उम्मीदवार नफीसा की जीत पर सैकड़ों की संख्या में खुलेआम असलहों को लहराते व फायरिंग करते हुए चल रहे थे। इसी बीच एक कार्यकर्ता ने रिक्शे से गुजर रही दंपत्ति पर फायरिंग कर दी। दंपत्ति तो किसी तरह बच गए लेकिन बच्चे को गोली लगने से मौत हो गयी। लड़के की मौत से गुस्साए स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन के लिए खातिमा-पानीपत राजमार्ग जाम कर दिया। लेकिन पुलिसबल ने लाठी के जोर पर उन्हें खदेड़ दिया। कुछ इसी अंदाज में भदोही के सुरियावा में एक क्षेत्र पंचायत सदस्य की हत्या करने के बाद शव को रेलवे पटरी पर फेंक दिया गया। परिजनों ने चक्का जाम किया लेकिन पुलिस ने लाठी भांजकर खदेड़ दिया। मृत युवक क्षेत्र के पट्टेबेजांव गांव के समीप क्षेत्र छनौरा गांव निवासी बीडीसी सदस्य दिनेश बिंद है। सुबह शव रेलवे पटरी पर मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गयी। परिजनों का आरोप है कि बीडीसी सदस्य दिनेश बिंद की हत्या कर उसके शव को रेलवे पटरी पर फेंक दिया गया है। इसे लेकर क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त है। आक्रोशित ग्रामीणों ने पुलिस की बाइक को आग के हवाले कर दिया है। प्रधान पद के चुनाव के दौरान व बाद में कई प्रधानों व उनके समर्थकों की सेकड़ों हत्याएं पहले ही हो चुकी है। पुलिस इन मामलों में भी सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति ही की है।
महिलाओं व युवतियों के साथ गैंगरेप कर हत्या के बाद शव को पेड़ से लटकाने सिलसिला जारी है। मउ, इटावा, गोरखपुर, बलिया, बरेली, महोबा, फर्रुखाबाद, इलाहाबाद, भदोही, बनारस, अलीगढ़ आदि जनपदों में किशोरियों संग हुई सामूहिक गैंगरेप की घटना ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दी है। हर रोज औसतन 15 हत्या, 12 बलात्कार, 10 डकैती, 200 से अधिक चोरी, 1000 से अधिक फर्जी मुकदमें दर्ज कर अवैध वसूली व प्रताड़ना आदि घटनाओं से डरी-सहमी आमजनमानस अब अपने बेडरुम में भी असुरक्षित महसूस करने लगी है। यह सब पुलिस की घोर संवेदनहीनता, लापरवाही व संलिप्तता के चलते हो रही है। बलातकार की बढ़ती घटनाएं राज्य की शासन व्यवस्था की पोल खोल रही है, तो सूबे बिजली कटौती, जर्जर सड़कों से रोज हो रही दुर्घटनाओं, डग्गामार बसें, उटपटांग बयानबाजी, गुंडागर्दी, योजनाओं में बंदरबांट आदि से पता चलता है कि आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर सरकार का क्या रवैया है। दो साल के अपने कार्यकाल में अखिलेश सरकार अभी तक बिजली-पानी-सड़क जैसे जरुरी आवश्यकताओं की रोडमैप तक नहीं तैयार करा सकी। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना कन्या विद्याधन का हाल यह है कि लक्ष्य के सापेक्ष सिर्फ 42 फीसदी ही लाभार्थियों को धन बांटा जा सका है। 28 जिले ऐसे है, जहां एक भी बालिका को धन नसीब नहीं हो सका। लैपटाप योजना का सच किसी से छिपा नहीं, जबकि ये विभाग खुद सीएम के हाथों में है। सपा के अपराधी व अधिकारी खुलेआम मनमानी कर रहे है। विकास की बड़ी-बड़ी बातें कर जनता के साथ सिर्फ मजाक किया जा रहा है। पीड़ितों की जांच के नाम पर झूठी आश्वासन या आरोपित पुलिसकर्मियों से ही जांच कराकर झूठी रिपोर्ट देकर मामले को रफा-दफा करना, दूषित पेयजलापूर्ति, योजनाओं में बंदरबांट आदि से पता चलता है कि आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर सरकार का क्या रवैया है।
बेशक, मुजफ्फरनगर के शामली में ब्लाक प्रमुख चुनाव में जीते प्रत्याशी के साथ सैकड़ों सपाई गुंडो व माफियाओं द्वारा खुलेआम न सिर्फ असलहा प्रदर्शन किया गया बल्कि चलाई गोली से आठ वर्षीय एक बच्चे मौत हो गयी। यह वाकया तो एक बानगीभर है, ऐसा नग्न तांडव और जिला प्रशासन की निगरानी में ब्लाक व जिला पंचायत चुनाव में खुल्लमखुल्ला गुंडई, असलहा प्रदर्शन करीब-करीब यूपी के हर जिले में लोकतंत्र का जमकर माखौल उड़ता दिखा। कहने को इस लोकतंत्र में इस तरीके का हंगामा है, इस तरीके की बेचैनी है, इस तरीके की बदहवासी है कि लोग सड़क पर सुरक्षित नहीं है। खुलेआम सपाई गुंडों द्वारा खून की होली खेली जा रही है। ऐसा लग रहा है जैसे इन दिनों यूपी में सिर्फ और सिर्फ गुंडो व माफियाओं का राज है, जहां जुबान की जगह बंदूके तड़तडा रही है और सड़कों पर लाशे बिछ रही है। बदायूं, मुरादाबाद, गोरखपुर, फैजाबाद, वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर, इलाहाबाद, जौनपुर, सहारनपुर, आगरा, फिरोजाबाद, मेरठ, कोशांबी, लखनउदेवरियां, गोंडा आदि जिलों में कही बीडीसी सदस्यों का अपहरण कर लिया गया तो कहीं भारी-भरकम राशि देकर उन्हें खरीद लिया गया और जो नहीं बिके उनका वोट यह कहकर डलवा लिया गया कि अगर वोट नहीं मिला तो फर्जी मुकदमें में जेल भेजवा दूंगा या पूरे परिवार की हत्या कर दी जायेगी। खास बात यह रहा कि गुंडई के बूते इन पदों को हथियाने के बाद कुनबे के आकाओं ने दावा किया कि पूरे प्रदेश में सपा का वर्चस्व है, 80 फीसदों इलाकों में उनका कब्जा है। सपा के खिलाफ जुबान खोलने वाली की हत्या करा दिया जायेगा या घर-गृहस्थी लूट लिया जायेगा। इतना ही नहीं मंत्री, विधायक से लेकर खुद सपा के आकाओं द्वारा लोगों को खुलेआम धमकी देते काल रिकार्ड हो रहे है। ऐसे में सवाल यही है कि क्या यूपी का होने वाला अगला मुख्यमंत्री जबरन हथियाएं गए इन पदों पर काबिज हो चुके सपाई गुंडो से निजात दिला पायेगा या सबकुछ यूं ही चलता रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्ष 2017 में यह सवाल भी एक चुनावी मुद्दा होगा। अब देखना होगा कौन सी राजनीतिक दल इसे अपना मुद्दा बनाते है। लेकिन मायावती का ऐलान हो चुका है सत्ता में आने पर पहला काम गुंडों, माफियाओं, बलातकारियों व बाहुबलियों को उनके असल ठेकाने तक पहुंचाना होगा। ऐसा वह अपने पूर्व के कार्यकालों में भी कर चुकी है।
बता दें, मुजफ्फरनगर शामली जिले के कैराना कस्बे में रविवार को सपा कार्यकर्ताओं द्वारा चलाई गई गोली से एक बच्चे की मौत हो गई। कार्यकर्ता स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी उम्मीदवार नफीसा की जीत पर सैकड़ों की संख्या में खुलेआम असलहों को लहराते व फायरिंग करते हुए चल रहे थे। इसी बीच एक कार्यकर्ता ने रिक्शे से गुजर रही दंपत्ति पर फायरिंग कर दी। दंपत्ति तो किसी तरह बच गए लेकिन बच्चे को गोली लगने से मौत हो गयी। लड़के की मौत से गुस्साए स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन के लिए खातिमा-पानीपत राजमार्ग जाम कर दिया। लेकिन पुलिसबल ने लाठी के जोर पर उन्हें खदेड़ दिया। कुछ इसी अंदाज में भदोही के सुरियावा में एक क्षेत्र पंचायत सदस्य की हत्या करने के बाद शव को रेलवे पटरी पर फेंक दिया गया। परिजनों ने चक्का जाम किया लेकिन पुलिस ने लाठी भांजकर खदेड़ दिया। मृत युवक क्षेत्र के पट्टेबेजांव गांव के समीप क्षेत्र छनौरा गांव निवासी बीडीसी सदस्य दिनेश बिंद है। सुबह शव रेलवे पटरी पर मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गयी। परिजनों का आरोप है कि बीडीसी सदस्य दिनेश बिंद की हत्या कर उसके शव को रेलवे पटरी पर फेंक दिया गया है। इसे लेकर क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त है। आक्रोशित ग्रामीणों ने पुलिस की बाइक को आग के हवाले कर दिया है। प्रधान पद के चुनाव के दौरान व बाद में कई प्रधानों व उनके समर्थकों की सेकड़ों हत्याएं पहले ही हो चुकी है। पुलिस इन मामलों में भी सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति ही की है।
महिलाओं व युवतियों के साथ गैंगरेप कर हत्या के बाद शव को पेड़ से लटकाने सिलसिला जारी है। मउ, इटावा, गोरखपुर, बलिया, बरेली, महोबा, फर्रुखाबाद, इलाहाबाद, भदोही, बनारस, अलीगढ़ आदि जनपदों में किशोरियों संग हुई सामूहिक गैंगरेप की घटना ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दी है। हर रोज औसतन 15 हत्या, 12 बलात्कार, 10 डकैती, 200 से अधिक चोरी, 1000 से अधिक फर्जी मुकदमें दर्ज कर अवैध वसूली व प्रताड़ना आदि घटनाओं से डरी-सहमी आमजनमानस अब अपने बेडरुम में भी असुरक्षित महसूस करने लगी है। यह सब पुलिस की घोर संवेदनहीनता, लापरवाही व संलिप्तता के चलते हो रही है। बलातकार की बढ़ती घटनाएं राज्य की शासन व्यवस्था की पोल खोल रही है, तो सूबे बिजली कटौती, जर्जर सड़कों से रोज हो रही दुर्घटनाओं, डग्गामार बसें, उटपटांग बयानबाजी, गुंडागर्दी, योजनाओं में बंदरबांट आदि से पता चलता है कि आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर सरकार का क्या रवैया है। दो साल के अपने कार्यकाल में अखिलेश सरकार अभी तक बिजली-पानी-सड़क जैसे जरुरी आवश्यकताओं की रोडमैप तक नहीं तैयार करा सकी। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना कन्या विद्याधन का हाल यह है कि लक्ष्य के सापेक्ष सिर्फ 42 फीसदी ही लाभार्थियों को धन बांटा जा सका है। 28 जिले ऐसे है, जहां एक भी बालिका को धन नसीब नहीं हो सका। लैपटाप योजना का सच किसी से छिपा नहीं, जबकि ये विभाग खुद सीएम के हाथों में है। सपा के अपराधी व अधिकारी खुलेआम मनमानी कर रहे है। विकास की बड़ी-बड़ी बातें कर जनता के साथ सिर्फ मजाक किया जा रहा है। पीड़ितों की जांच के नाम पर झूठी आश्वासन या आरोपित पुलिसकर्मियों से ही जांच कराकर झूठी रिपोर्ट देकर मामले को रफा-दफा करना, दूषित पेयजलापूर्ति, योजनाओं में बंदरबांट आदि से पता चलता है कि आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर सरकार का क्या रवैया है।
(सुरेश गांधी)