नासा ने तो अब बताया पर हनुमान चालीसा ने तो कब से बता दिया था यह
Headline News
Loading...

Ads Area

नासा ने तो अब बताया पर हनुमान चालीसा ने तो कब से बता दिया था यह

नासा ने अब बताया – हनुमान चालीसा ने कब बता दिया था सच – आप भी जान लो
   धर्म और विज्ञान की आज तक बन नहीं पाई है. विज्ञान कहता है कि धर्म अब पीछे रह गया है तो धर्म कहता है कि विज्ञान अभी वहां तक नहीं पहुँच पाया है जहाँ तक धर्म स्थापित है.
      वैसे इस लड़ाई को हम पूर्व को पश्चिम की लड़ाई भी बोल सकते हैं. पश्चिम में विज्ञान ही सबकुछ है तो पूर्व की जड़ें आज भी धर्म से ही जुड़ी हुई है. 
     अब आप एक छोटे से वाक्या को ही देख लीजिये, नासा ने हाल की के दशकों में यह बताया है कि सूर्य और पृथ्वी के बीच कितनी दूरी है. सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 149,600,000 किलो मीटर है. यह आकलन करने के बाद हमारा विज्ञान अपने ऊपर इठलाने लगा था. वैज्ञानिक शोर मचा रहे थे.
तो अब आइये आपको धर्म का विज्ञान समझाते हैं.
    प्राचीन समय में ही गोस्वामी तुलसीदास ने बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है.
   यह बात किसी आश्चर्य से कम नहीं है. आखिर कैसे तुलसीदास जी ने यह आकलन किया था. और वह भी पूरी तरह से सही है. तो क्या ऐसा संभव है कि विज्ञान ने धर्म की कॉपी की हो. आइये देखते हैं कैसे हनुमान चालीसा का मन्त्र बता रहा है यह दुरी - हनुमान चालीसा में एक दोहा है:
जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु. लील्यो ताहि मधुर फल जानू..
इस दोहे का सरल अर्थ यह है कि हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था.
हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था.
एक युग = 12000 वर्ष
एक सहस्त्र = 1000
एक योजन = 8 मील
युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु
12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील
एक मील = 1.6 किमी
96000000 x 1.6 = 153600000 किमी
    इस गणित के आधार गोस्वामी तुलसीदास ने प्राचीन समय में ही बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है.
     इस गणित में युग बताया गया है कि एक युग कितने वर्ष का होता है, फिर सहस्त्र और अंत में योजन, सभी का कुल जोड़ कर जब उसे किलोमीटर से गुना किया जाता है तब यह दूरी सूर्य और पृथ्वी के बीच की दुरी के बराबर ही निकलती है.
आखिर कैसे हो सका है यह?
    अब इसे आज का मानव कोई संयोग भी बोल सकता है या बोल दे कि यह तुक्का ही है. लेकिन धर्म के जानकर बताते हैं कि हनुमान जी ने बचपन में ही यह दूरी तय कर ली थी. जब वह सूर्य को फल समझकर खाने के लिए पृथ्वी से ही सूर्य पर पहुँच गये थे.
   अब इस सच को आप मानें या ना मानें यह तो आपके ऊपर निर्भर करता है लेकिन इससे यह तो सिद्ध हो जाता है कि आज भी धर्म, विज्ञान से कहीं आगे है. धर्म कहता है कि ब्रह्माण्ड में एक नहीं हजारों सूरज, चन्द्रमा हैं. विज्ञान आज यह घोषणा करके खुश हो जाता है कि एक और चंद्रमा खोज लिया गया है.