शिमला का सबसे वेहला इंसान।
सरबजीत सिंह ( बॉबी )
न तो इसको घर पे कोई काम है और न दूकान पर। कभी एंबुलेंस लेकर मरीजों को आई जी एम सी छोड़ने जा रहा होता है तो कभी मृत लावारिस लाशो को शमशान ले जाता है। शाम को लोग /पर्यटक जब माल रोड पर घूमते हुए मौसम का आनंद ले रहे होते है ये वेहला सरदार कैंसर हस्पताल में मरीजों को खिचड़ी का लंगर लगा के खिला रहा होता है। सवेरे सवेरे उठकर लोग सैर पे निकलते है और ये सरदार मरीजों को बिस्कुट खिला रहा होता है। रविवार को भी इसको चैन नही होता माल रोड पर ब्लड कैंप लगा कर लोगो का खून निकाल रहा होता है। ऐसा है ये वेहला इंसान।
वाहगुरु ऐसे वेहला मेरे शहर में भी पैदा करो जी। इंसानियत को सुबकने से बचाते है ऐसे वेहला लोग। गरीबो के आंसू नही टपकने देते ऐसे वेहले लोग। वैसे भी आजकल कोई वेहला नही जो दुसरो के लिए थोड़ा वक़्त निकाल सके। और दुसरो के बारे में सोच सके उनकी तकलीफों को अपना सके।
सरबजीत सिंह ( बॉबी )
न तो इसको घर पे कोई काम है और न दूकान पर। कभी एंबुलेंस लेकर मरीजों को आई जी एम सी छोड़ने जा रहा होता है तो कभी मृत लावारिस लाशो को शमशान ले जाता है। शाम को लोग /पर्यटक जब माल रोड पर घूमते हुए मौसम का आनंद ले रहे होते है ये वेहला सरदार कैंसर हस्पताल में मरीजों को खिचड़ी का लंगर लगा के खिला रहा होता है। सवेरे सवेरे उठकर लोग सैर पे निकलते है और ये सरदार मरीजों को बिस्कुट खिला रहा होता है। रविवार को भी इसको चैन नही होता माल रोड पर ब्लड कैंप लगा कर लोगो का खून निकाल रहा होता है। ऐसा है ये वेहला इंसान।
वाहगुरु ऐसे वेहला मेरे शहर में भी पैदा करो जी। इंसानियत को सुबकने से बचाते है ऐसे वेहला लोग। गरीबो के आंसू नही टपकने देते ऐसे वेहले लोग। वैसे भी आजकल कोई वेहला नही जो दुसरो के लिए थोड़ा वक़्त निकाल सके। और दुसरो के बारे में सोच सके उनकी तकलीफों को अपना सके।
ओ वेहले बन्दे बॉबी। .!! मेरे शहर में क्यों नही पैदा हुआ ?
मेरे शहर में भी मरीज है, उन्हें कोई हाथ भी नही लगाता। वहां भी लावारिस लाशें लावारिस ही पड़ी रहती है भाई जी। वहां पर भी मरीजों को चाय बिस्कुट खिलाने वाला कोई तेरे जैसा वेहला बंदा चाहिए।
विनय शर्मा जी के इन् शब्दों को लिखते हुए मेरी आँखें नम है।
ऐसी ही नमी आपकी जिंदगी का मकसद तय करती है।
मुझे याद है शायद 2001 की बात है जब बॉबी वीर जी के साथ कुछ हुड़दंगियों ने बदतमीजी करने की कोशिश की थी तब पूरा शहर बॉबी भाई के साथ खड़ा हो गया था और उन लोगो की अच्छी खासी सेवा की थी। एक लड़के का ब्यान था " बॉबी वीर वो इंसान है जो रोड किनारे मरे कुत्ते को भी दफ़नाने के लिए अपनी दूकान बंद करके जाते है , हम उनके लिए अपनी जान भी दे सकते है "
9418061000 वीर सरबजीत सिंघ जी का नंबर है। आओ इस मुहीम को और आगे ले जाएं एक साथ मिलकर। सरबजीत सिंघ बॉबी ( गुरु का सच्चा सिख और सिंघ ) को सलाम।
मेरे शहर में भी मरीज है, उन्हें कोई हाथ भी नही लगाता। वहां भी लावारिस लाशें लावारिस ही पड़ी रहती है भाई जी। वहां पर भी मरीजों को चाय बिस्कुट खिलाने वाला कोई तेरे जैसा वेहला बंदा चाहिए।
विनय शर्मा जी के इन् शब्दों को लिखते हुए मेरी आँखें नम है।
ऐसी ही नमी आपकी जिंदगी का मकसद तय करती है।
मुझे याद है शायद 2001 की बात है जब बॉबी वीर जी के साथ कुछ हुड़दंगियों ने बदतमीजी करने की कोशिश की थी तब पूरा शहर बॉबी भाई के साथ खड़ा हो गया था और उन लोगो की अच्छी खासी सेवा की थी। एक लड़के का ब्यान था " बॉबी वीर वो इंसान है जो रोड किनारे मरे कुत्ते को भी दफ़नाने के लिए अपनी दूकान बंद करके जाते है , हम उनके लिए अपनी जान भी दे सकते है "
9418061000 वीर सरबजीत सिंघ जी का नंबर है। आओ इस मुहीम को और आगे ले जाएं एक साथ मिलकर। सरबजीत सिंघ बॉबी ( गुरु का सच्चा सिख और सिंघ ) को सलाम।