क्या इस देश के राष्ट्रभक्त इन देशद्रोहियों का पर्दाफाश नहीं करेंगे?
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क्या इस देश के राष्ट्रभक्त इन देशद्रोहियों का पर्दाफाश नहीं करेंगे?

उमर खालिद के पिता के जमाते इस्लामी से क्या रिश्ते हैं?
     अब इस बात की पूरी तरह से पुष्टि हो गई है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पाकिस्तान जिन्दाबाद और कश्मीर की आजादी और भारत की बर्बादी के नारे लगाने वाले देशद्रोही उमर खालिद के पिता डाॅ. सैयद कासिम इल्यासी रसूल के कट्टरवादी अतिवादी इस्लामी संगठन जमाते इस्लामी से गहरे संबंध रहे हैं।
    जमाते इस्लामी जो कि सांस्कृतिक इस्लामी संगठन होने का दावा करती है उसने एक साल पहले अपना राजनीतिक संगइन वेलफेयर आॅफ पार्टी बनाया था और इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष उमर खालिद के पिता डाॅ. इल्यासी को बनाया गया।
    जमाते इस्लामी की स्थापना सन् 1926 में मौलाना मादूदी नामक एक अतिवादी मुस्लिम नेता ने की थी। इसका लक्ष्य भारत में निजाम-ए-मुस्तफा (इस्लामी शासन) स्थापित करना है। कभी प्रतिबंधित संगठन सिमी जमाते इस्लामी का अभिन्न अंग हुआ करता था मगर एक रणनीति के तहत जमाते इस्लामी ने सिमी को अपने संगठन से अलग घोषित कर दिया। ताकि सिमी आतंकवादी संगठनों से अपना सीधा नाता जोड़ सके। भारत सरकार तीन बार जमाते इस्लामी को अवैध संगठन घोषित कर चुकी है। जमाते इस्लामी के तार विश्व के अनेक अन्य इस्लामी संगठनों से जुड़े हुए हैं। इनमें मुतम्बर-ए-इस्लामी, मुस्लिम ब्रदरहुड, बोको हराम और तालिबान व अलकायदा प्रमुख हैं।
     डाॅ. इल्यासी सिमी के पदाधिकारी रहे हैं। मगर बाद में एक रणनीति के तहत उन्होंने सिमी से संबंध विच्छेद करने की घोषणा कर दी थी। सिमी के डेढ़ सौ से अधिक कार्यकर्ता आतंकवादी गतिविधियों के आरोप में जेलों में बंद हैं। इल्यासी के तार अमेरिका में सक्रिय मुस्लिम संगठनों से जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि उनकी एक पुत्री अमेरिका में इस्लामिक केन्द्र में काम कर रही है।
     इल्यासी और खालिद के अमेरिका से सम्पर्क होने के कारण ही दो सौ से अधिक अमेरिकी और अन्य बुद्धिजीवियों ने एक अपील जारी करके कन्हैया कुमार और उमर खालिद का डटकर समर्थन किया है और कश्मीर को आजाद घोषित करने की मांग की है।
     प्रश्न यह पैदा होता है कि अगर देशद्रोह के आरोप में किसी भारतीय नागरिक को सरकार गिरफ्तार करती है तो अमेरिका में बैठे इन बुद्धिजीवियों के पेट में क्यों दर्द होने लगा है? क्या इन बुद्धिजीवियों को इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के अत्याचार नजर नहीं आए? क्या आज तक उन्होंने इसकी निंदा की है और एक शब्द भी कहा?
     पांच राज्यों के आने वाले चुनाव में कांग्रेस माक्र्सवादी पार्टी के साथ चुनावी गठजोड़ के चक्कर में है। माक्र्सवादी पार्टी इन चुनाव में मुसलमानों के वोट प्राप्त करना चाहती है। इसलिए वो जानबूझकर कश्मीर, कन्हैया कुमार और उमर खालिद जैसे गद्दारों के मुद्दों को उछाल रहा है। उनका समर्थन कर रहे हैं देश के उग्रवादी इस्लामी संगठन। जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं उनमें असम, पश्चिम बंगाल और केरल में मुस्लिम मतदाता की निर्णायक भूमिका है। यही कारण है कि माक्र्सवादी मुस्लिम संगठनों से हाथ मिलाने के लिए बेताब हो रहे हैं। क्या इस देश के राष्ट्रभक्त इन देशद्रोहियों का पर्दाफाश नहीं करेंगे?
 
 
(Aditi Gupta)