इस सृष्टि की रचना ईश्वर ने की है इसलिए कण-कण में वह विराजमान है। मानो तो भगवान, न मानो तो पत्थर। इन वाक्यों को सत्य करने वाले छत्तीसगढ में रहते हैं। दशकों पहले छत्तीसगढ़ के जमगहन में रामनामी समाज को मंदिर में जाने से रोक दिया गया था। इस बाबत अपना विरोध दर्ज कराते हुए एक व्यक्ति का अनोखा तरीका सामने आया।
इस समुदाय के लोगों ने अपने पूरे शरीर पर राम नाम गुदवा डाला। देखते ही देखते विरोध का ये तरीका छत्तिसगढ़ के अन्य कई गांवों में फैल गया।
गांव के लोगों का कहना है कि राम नाम को शरीर में गुथवाने की प्रथा को अब एक सदी से ज्यादा हो गया है। उस दौरान गांव की कुछ पिछड़ी जातियों को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी घई थी। इसके विरोध में लोगों ने अपने शरीर में राम नाम को गुथवा लिया था।
इसके बाद से इस समुदाय को 'रामनामी' के नाम से जाना जाने लगा। इस समुदाय का ऐसा करने का उद्देश्य था कि भगवान का वास कण-कण में होता है। मान्यता है कि राम हर मनुष्य के अंदर बसे हैं। शरीर के अंग-अंग में राम का वास है। ऐसे में क्यों न राम नाम के प्रति श्रद्धा को शरीर में राम नाम लिख कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाए।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस समुदाय के लोगों ने अपने शरीर के हर अंग में राम नाम ही नहीं लिखवाया, बल्कि इन लोगों ने शराब, सिगरेट, बीड़ी, गुटका, तंबाकू जैसे नशीले पदार्थों को त्याग कर इंसानियत की राह पर चलने का संकल्प लेते हैं।
आपको यह भी जानकर अचंभा होगा कि यहां कई लोगों ने 2 साल की उम्र में ही राम नाम को अपने शरीर में हर जगह गुदवा लिया था।
इस समुदाय के लोगों ने अपने पूरे शरीर पर राम नाम गुदवा डाला। देखते ही देखते विरोध का ये तरीका छत्तिसगढ़ के अन्य कई गांवों में फैल गया।
गांव के लोगों का कहना है कि राम नाम को शरीर में गुथवाने की प्रथा को अब एक सदी से ज्यादा हो गया है। उस दौरान गांव की कुछ पिछड़ी जातियों को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी घई थी। इसके विरोध में लोगों ने अपने शरीर में राम नाम को गुथवा लिया था।
इसके बाद से इस समुदाय को 'रामनामी' के नाम से जाना जाने लगा। इस समुदाय का ऐसा करने का उद्देश्य था कि भगवान का वास कण-कण में होता है। मान्यता है कि राम हर मनुष्य के अंदर बसे हैं। शरीर के अंग-अंग में राम का वास है। ऐसे में क्यों न राम नाम के प्रति श्रद्धा को शरीर में राम नाम लिख कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाए।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस समुदाय के लोगों ने अपने शरीर के हर अंग में राम नाम ही नहीं लिखवाया, बल्कि इन लोगों ने शराब, सिगरेट, बीड़ी, गुटका, तंबाकू जैसे नशीले पदार्थों को त्याग कर इंसानियत की राह पर चलने का संकल्प लेते हैं।
आपको यह भी जानकर अचंभा होगा कि यहां कई लोगों ने 2 साल की उम्र में ही राम नाम को अपने शरीर में हर जगह गुदवा लिया था।