90 वर्ष उम्र के श्रीपत कभी आजाद हिन्द फौज में सिपाही हुआ करते थे, लेकिन आज वक्त ने ऐसी पल्टी मारी है कि वह भीख मांगने को मजबूर हैं।
झांसी में रहने वाले सात एकड़ जमीन के मालिक श्रीपत के बेटे तुलसिया ने नशे और जुए की लत की वजह से सबकुछ बेच डाला। उनके पास एक लाइसेन्सी बन्दूक भी थी।
वह फिलहाल अपनी पत्नी के साथ हंसारी इलाके में रहते हैं और भीख मांग कर किसी तरह अपना जीवन-यापन कर रहे हैं।
श्रीपत अपने युवावस्था के दौरान ही क्रान्तिकारियों के संपर्क में आ गए थे। उसी दौरान उन्हें पता चला कि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस झांसी आ रहे हैं। वह उनसे मिलने झांसी आए और उनके भाषण से बहुत प्रभावित हुए।
नेताजी के नारों से प्रभावित होकर श्रीपत आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए और बन्दूक का लाइसेन्स बनवाया। लेकिन वह फौज की तरफ से लड़ने के लिए वर्मा नहीं जा सके, क्योंकि तब तक नेताजी के निधन की सूचना आ गई थी।
इस बीच, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता भानू सहाय ने इस बात की पुष्टि की है कि श्रीपत आजाद हिन्द फौज के सैनिक रहे हैं। श्रीपत जहां नेताजी से मिले थे, उस स्थान को आज सुभाषगंज के नाम से जाना जाता है।
झांसी में रहने वाले सात एकड़ जमीन के मालिक श्रीपत के बेटे तुलसिया ने नशे और जुए की लत की वजह से सबकुछ बेच डाला। उनके पास एक लाइसेन्सी बन्दूक भी थी।
वह फिलहाल अपनी पत्नी के साथ हंसारी इलाके में रहते हैं और भीख मांग कर किसी तरह अपना जीवन-यापन कर रहे हैं।
श्रीपत अपने युवावस्था के दौरान ही क्रान्तिकारियों के संपर्क में आ गए थे। उसी दौरान उन्हें पता चला कि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस झांसी आ रहे हैं। वह उनसे मिलने झांसी आए और उनके भाषण से बहुत प्रभावित हुए।
नेताजी के नारों से प्रभावित होकर श्रीपत आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए और बन्दूक का लाइसेन्स बनवाया। लेकिन वह फौज की तरफ से लड़ने के लिए वर्मा नहीं जा सके, क्योंकि तब तक नेताजी के निधन की सूचना आ गई थी।
इस बीच, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता भानू सहाय ने इस बात की पुष्टि की है कि श्रीपत आजाद हिन्द फौज के सैनिक रहे हैं। श्रीपत जहां नेताजी से मिले थे, उस स्थान को आज सुभाषगंज के नाम से जाना जाता है।