
इसे भारत की जीवनरेखा भारतीय रेल के लिए राहत भरा फैसला कहा जा रहा है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद रेलवे उच्च स्तरीय वेतन पर 40,000 करोड़ रुपए के अतिरिक्त भार से दबा हुआ है। रेलवे को 35,000 करोड़ रुपए का सब्सिडी बोझ भी उठाना पड़ता है।
कैबिनेट के फैसले के बाद रेलवे एक विभाग बन जाएगा जो व्यापारिक उपक्रम चलाता है, हालांकि इसकी अलग पहचान और काफी हद तक वित्तीय स्वायत्ता बनी रहेगी। अन्य उपक्रमों से रेलवे को अलग करने वाले प्रावधानों को खत्म कर दिया जाएगा। रेलवे को पूंजी खर्च करने के लिए आम बजट से बजटीय सहायता मिलती रहेगी।