नई दिल्ली।। आम आदमी पार्टी का कहना है की दिल्ली सरकार 91000 करोड़ केंद्र को सालाना दे रही और केंद्र से दिल्ली सरकार को सिर्फ 325 करोड़ सालाना मिलता है, जबकि पुरे 91000 करोड़ पर दिल्ली की जनता का हक है और दिल्ली के विकास पर ही खर्च होनी चाहिये ये राशि।
अब समझो👉👉👉 केजरीनौमिक्स :
दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तब दिल्ली का कुल बजट था 32000 करोड़ रुपए था। जब टैक्स लगाने की बारी आई तो आम आदमी पार्टी सरकार ने सभी चीजों पर टैक्स या तो पुराना चालू रखा या कम कर दिया।
अब समझो👉👉👉 केजरीनौमिक्स :
दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तब दिल्ली का कुल बजट था 32000 करोड़ रुपए था। जब टैक्स लगाने की बारी आई तो आम आदमी पार्टी सरकार ने सभी चीजों पर टैक्स या तो पुराना चालू रखा या कम कर दिया।
किसी भी वस्तु पर टैक्स बढ़ाया नहीं गया। कुछेक वस्तुओं पर तो टैक्स 12 परसेंट से घटाकर सीधा 5 परसेंट तक कर दिया गया।
पिछले 2 साल में जितने भी बजट आए उन सभी बजट में एक भी बजट ऐसा नहीं था जिसमें केजरीवाल सरकार ने टैक्स की दरें बढ़ाई हो।
टैक्स कम करने के बावजूद आज केजरीवाल सरकार का बजट 32000 करोड़ से कहीं बढ़कर 48 हजार करोड़ रुपए पहुंच गया है।
यह कमाल है अरविंद केजरीवाल की अद्भुत अर्थव्यवस्था की समझ का। आज तक की सरकारें अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए जनता पर टैक्स का बोझ लाद कर, जनता को चूस-चूस कर खुद मोटा होने का प्लान करते आई है।
देश की लगभग सभी सरकारें इसी फार्मूला को मानती है कि अगर आमदनी बढ़ानी है तो जनता पर टैक्स बढ़ाना पड़ेगा। लेकिन केजरी नो मिक्स इस से बिल्कुल विपरीत है।
जब जनता पर टैक्स बढ़ाया जाता है तो जनता टैक्स की चोरी करने लगती है नतीजन टैक्स का कलेक्शन उल्टा कम हो जाता है। लेकिन अगर जनता पर टैक्स का बोझ कम कर दिया जाता है तो ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स देने लगते हैं और यह टैक्स देना उनके लिए कोई बड़ी बात भी नहीं रह जाती इसलिए टैक्स चोरी रुक जाती है।
यह कोई किताबी थ्योरी नहीं है केजरीनोमिक्स एक आजमाया गया हुआ सच है जो कि आप दिल्ली में देख रहे हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में टैक्स की दरें कम की और फिर भी उन्होंने सरकार की आमदनी में बेतहाशा बढ़ोतरी करके दिखाई।
पिछले 2 साल में जितने भी बजट आए उन सभी बजट में एक भी बजट ऐसा नहीं था जिसमें केजरीवाल सरकार ने टैक्स की दरें बढ़ाई हो।
टैक्स कम करने के बावजूद आज केजरीवाल सरकार का बजट 32000 करोड़ से कहीं बढ़कर 48 हजार करोड़ रुपए पहुंच गया है।
यह कमाल है अरविंद केजरीवाल की अद्भुत अर्थव्यवस्था की समझ का। आज तक की सरकारें अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए जनता पर टैक्स का बोझ लाद कर, जनता को चूस-चूस कर खुद मोटा होने का प्लान करते आई है।
देश की लगभग सभी सरकारें इसी फार्मूला को मानती है कि अगर आमदनी बढ़ानी है तो जनता पर टैक्स बढ़ाना पड़ेगा। लेकिन केजरी नो मिक्स इस से बिल्कुल विपरीत है।
जब जनता पर टैक्स बढ़ाया जाता है तो जनता टैक्स की चोरी करने लगती है नतीजन टैक्स का कलेक्शन उल्टा कम हो जाता है। लेकिन अगर जनता पर टैक्स का बोझ कम कर दिया जाता है तो ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स देने लगते हैं और यह टैक्स देना उनके लिए कोई बड़ी बात भी नहीं रह जाती इसलिए टैक्स चोरी रुक जाती है।
यह कोई किताबी थ्योरी नहीं है केजरीनोमिक्स एक आजमाया गया हुआ सच है जो कि आप दिल्ली में देख रहे हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में टैक्स की दरें कम की और फिर भी उन्होंने सरकार की आमदनी में बेतहाशा बढ़ोतरी करके दिखाई।