नई दिल्ली।। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का नाम भारतीय संस्कृति में रचा-बसा हुआ है। देशवासी भगवान राम को आराध्य के रूप में पूजते हैं और उनके दिलों में भगवान राम निवास करते हैं। भारतीय मुद्रा यानी रुपयों पर अशोक स्तंभ और महात्मा गांधी को तो जगह मिली, लेकिन भगवान इस रेस में पीछे रह गए। भारत में भले ही भगवान राम को नोटों पर जगह न मिली हो, लेकिन दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां राम नाम की मुद्रा प्रचलित है।
राम राज्य की बात तो भारत में होती है, लेकिन राम नाम की मुद्रा चलती है यूरोपीय देश नीदरलैंड्स में। इस मुद्रा को महर्षि महेश योगी की संस्था 'द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस' ने वर्ष 2002 में जारी किया था। यह एक नॉन प्रॉफिट संस्था है और मेडिटेशन, शिक्षा व दुनियाभर के शहरों में शांति के प्रसार के लिए काम करती है। इसी संस्था ने 'राम' नाम की मुद्रा जारी की थी और इसके नेता थे न्यूरोलॉजिस्ट टॉनी नाडर। वर्ष 2002 में जीसीडब्ल्यूपी ने अमेरिका के आईओवा स्थित महर्षि वेदिक सिटी में अपना हेडक्वार्टर बनाया। तीसरी दुनिया के देशों में कृषि प्रोजेक्ट के विकास, गरीबी को मिटाने के लिए इस 'राम' नाम की मुद्रा छापी गई। साल 2003 तक कुछ यूरोपीय व अमेरिकी शहरों में इस मुद्रा का इस्तेमाल शुरू हो चुका था।
'राम' नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों का इस्तेमाल किया गया है। राम मुद्रा के एक, पांच और दस के नोट उपलब्ध हैं। इन नोटों पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की फोटो भी लगी है। नोटों पर राम राज्य मुद्रा भी लिखा हुआ है। इस मुद्रा पर कामधेनु गाय के साथ-साथ कल्पवृक्ष की तस्वीर भी बनी है। बता दें कि अमेरिका के 35 शहरों में राम नाम के बांड चलते हैं।
नीदरलैंड में तीस गांवों और शहरों की सौ से अधिक दुकानों में ये नोट चल रहे हैं. यहां 'राम' मुद्रा का उपयोग कानून का उल्लंघन नहीं हैं। नीदरलैंड की डच दुकानों में एक 'राम' के बदले दस यूरो मिल सकते हैं। इस वक्त लगभग एक लाख 'राम' नोट चल रहे हैं। लोग इसे बैंक में जाकर भुना भी सकते हैं। नीदरलैंड्स में सैंकड़ों दुकानों और गांवों व शहरों में 10 यूरो प्रति 'राम' पर यह मुद्रा चल रही है। इस मुद्रा के नोट 1 राम, 5 राम और 10 राम के रूप में छपी है।
महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1917 को मौजूदा छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव में हुआ था। 40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरु से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे। साठ के दशक में मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों के साथ ही वे कई बड़ी हस्तियों के आध्यात्मिक गुरु हुए और दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गए। पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था, महर्षि महेश योगी ने अनुभवातीत ध्यान के जरिए दुनियाभर में अपने लाखों अनुयायी बनाए। कहा जाता है कि दुनियाभर में महर्षि महेश योगी के करीब 60 लाख अनुयायी हैं। योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुंचाने वाले आध्यात्मिक गुरु महर्षि महेश योगी का नीदरलैंड्स स्थित उनके घर में, 91 वर्ष की आयु में 5 फरवरी 2008 को निधन हो गया।