इस बकरमुंह से मिलिए, नाम है इसका हाजी सादिक, उम्र 85 साल. ये मुसलमानों का छोटा वाला आसाराम बापू है. जो इंग्लैण्ड में कार्डिफ मस्जिद का इमाम भी रहा है और कुरआन पढ़ाने का पेशा भी करता था. जानकारी अनुसार इन्हे 13 साल से कम उम्र की 4 बच्चियों के यौन शोषण के मामले में 13 बरस की जेल हुई है.
पश्चिम में अक्सर इसाई एवं मुस्लिम गुरु बाल यौन शोषण की ख़बरों में सुर्खियाँ बनाते हैं. ऐसा इसलिए है कि पश्चिमी समाज में वह सामाजिक दिक्कते नहीं कि पीड़ित अपने दुःख को छिपा जाए. यदि ये सामाजिक दबाव एशिया के समाजो से नदारद हो जाए तो मुस्लिम बिरादरी को इतनी सजाएँ मिले कि जेले कम पड़ जाएँ.
लोग मज़हबी अकीदे के चलते इन्हें घर पर बुलाकर अपने बच्चे पढवाते है.
एक अदद अच्छा मौलवी - हाफिज ढूँढना इतना ही मुश्किल है जैसे भूसे के ढेर में सूईं को टटोलना है. बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ ब्रिटेन में क़ुरान पढ़ाने वाले एक पूर्व शिक्षक को बच्चियों के साथ यौन शोषण के आरोप में 13 साल की सज़ा दी गई है.
कार्डिफ़
के 81 वर्षीय हाजी सादिक़ ने 30 सालों तक कार्डिफ़ मदीना मस्जिद में
इस्लाम की तालीम दी और इस दौरान सज़ा के नाम पर चार बच्चियों का यौन शोषण
किया. अदालत में सुनवाई के दौरान तर्क दिया गया कि सादिक़ ने अपने पद का फ़ायदा उठाया.
उन्हें 13 साल से कम उम्र की बच्चियों को छूने के आठ यौन अपराधों का दोषी पाया गया जबकि छह अश्लील हरकतों के आरोपों में दोषी पाया गया. सादिक़ ने सभी आरोपों को नकारते हुए इसके पीछे मस्जिद में चल रही राजनीति को बताया है.
लेकिन उन्हें सज़ा सुनाते हुए जज स्टीफ़न हॉपकिंस ने कहा, "बच्चियाँ आपको सम्मान से चाचा कहती थीं. मेरी समझ में आप बहुत चालाक आदमी हैं." जज ने कहा, "आपकी लिबास के पीछे एक काला पक्ष भी है. "सादिक़ ने 1996 से 2006 के बीच वुडविले रोड मस्जिद में अंशकालिक इमाम रहते हुए 13 साल से कम उम्र की दो बच्चियों को ग़लत तरीके से छूकर शोषण किया.
लड़कियों के क़ुरान पढ़ने में ग़लती करने पर उनका शोषण किया जाता और उन्हें छड़ी से मारा भी जाता. कुछ पीड़ित लड़कियों का कहना है कि शोषण की वजह से उन्हें मस्जिद जाते हुए डर लगता था. एक पीड़ित ने ये भी कहा है कि शोषण के कारण उसने अपनी जान लेने की कोशिश भी की थी.
एक पीड़िता ने अदालत में कहा कि मस्जिद में जो हो रहा था वो उसके बारे में बात करने उसकी संस्कृति में अस्वीकार्य था. वेल्स की मुस्लिम परिषद की प्रवक्ता ने कहा, "हम उन युवतियों के साहस और हौसले को सलाम करते हैं जिन्होंने मामले को अंजाम तक पहुंचाया और न्याय हासिल किया." भारत में आसाराम जैसे भले ही गलत काम कर के क़ानूनी हथकंडों के दम पर बच जाते हो लेकिन विदेशों में ऐसा होना संभव नहीं है।
उन्हें 13 साल से कम उम्र की बच्चियों को छूने के आठ यौन अपराधों का दोषी पाया गया जबकि छह अश्लील हरकतों के आरोपों में दोषी पाया गया. सादिक़ ने सभी आरोपों को नकारते हुए इसके पीछे मस्जिद में चल रही राजनीति को बताया है.
लेकिन उन्हें सज़ा सुनाते हुए जज स्टीफ़न हॉपकिंस ने कहा, "बच्चियाँ आपको सम्मान से चाचा कहती थीं. मेरी समझ में आप बहुत चालाक आदमी हैं." जज ने कहा, "आपकी लिबास के पीछे एक काला पक्ष भी है. "सादिक़ ने 1996 से 2006 के बीच वुडविले रोड मस्जिद में अंशकालिक इमाम रहते हुए 13 साल से कम उम्र की दो बच्चियों को ग़लत तरीके से छूकर शोषण किया.
लड़कियों के क़ुरान पढ़ने में ग़लती करने पर उनका शोषण किया जाता और उन्हें छड़ी से मारा भी जाता. कुछ पीड़ित लड़कियों का कहना है कि शोषण की वजह से उन्हें मस्जिद जाते हुए डर लगता था. एक पीड़ित ने ये भी कहा है कि शोषण के कारण उसने अपनी जान लेने की कोशिश भी की थी.
एक पीड़िता ने अदालत में कहा कि मस्जिद में जो हो रहा था वो उसके बारे में बात करने उसकी संस्कृति में अस्वीकार्य था. वेल्स की मुस्लिम परिषद की प्रवक्ता ने कहा, "हम उन युवतियों के साहस और हौसले को सलाम करते हैं जिन्होंने मामले को अंजाम तक पहुंचाया और न्याय हासिल किया." भारत में आसाराम जैसे भले ही गलत काम कर के क़ानूनी हथकंडों के दम पर बच जाते हो लेकिन विदेशों में ऐसा होना संभव नहीं है।