15 राज्यों के किसानों को सुभाष पालेकर सिखाएंगे शून्य लागत खेती
Headline News
Loading...

Ads Area

15 राज्यों के किसानों को सुभाष पालेकर सिखाएंगे शून्य लागत खेती

Image result for padmashri subhash palekarपद्मश्री सुभाष पालेकर किसानों को शून्य लागत में प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण देंगे। इस प्रशिक्षण शिविर में 15 राज्यों के किसान हिस्सा लेंगे
     लखनऊ। पद्मश्री सुभाष पालेकर किसानों को शून्य लागत में प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण देंगे। इस प्रशिक्षण शिविर में 15 राज्यों के किसान हिस्सा लेंगे। विदेशों से आये कृषक भी जीरो बजट की खेती सीखेंगे। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 20 दिसंबर से 25 दिसंबर तक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा। प्रशिक्षण शिविर में पद्मश्री सुभाष पालेकर किसानों को प्राकृतिक कृषि के साथ ही आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की भी ट्रेनिंग देंगे। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में किसानों को यह विशेष प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम आयोजित होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय और लोक भारती संस्था संयुक्त रूप से कर रही हैं।
सिखाये जायेंगे सस्ती खेती के तौर-तरीके
     इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के 15 राज्यों के किसान हिस्सा लेंगे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के सभी विकास खंडो से आये किसान इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होंगे। पाकिस्तान, नेपाल, मारीशस सहित कई अन्य देशों से आये किसान इस शिविर में सस्ती खेती के तौर तरीके सीखकर कर्ज के जंजाल से निकलकर फायदे की खेती की ओर बढ़ने के गुर सीखेंगे। लगभग 1500 किसानों को इस 6 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में खेती से जुड़े विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में खेती के सभी तरह के प्रयोगों से किसानों को अवगत कराने के साथ ही उपलब्ध बजट में खेती करने के तौर तरीके बताये जायेंगे।
बाजार पर निर्भरता कम करने की कवायद
      प्राकृतिक कृषि अभियान के समन्वयक और प्रस्तावित कार्यक्रम के संयोजक गोपाल उपाध्याय ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर का मकसद किसानों को फसलों में विविधता लाने के लिए प्रेरित करना है। किसान परंपरागत रूप से कुछ परम्परागत फसलें ही उगाने का काम करते हैं और अन्य उपयोग की वस्तुओं के लिए बाजार पर निर्भर रहते हैं। किसानों की बदहाली का यही सबसे बड़ा कारण है। किसानों को जरूरत में आने वाली अधिकतम चीजों को अपने ही खेतों में उगाने के लिए आगे बढ़ना होगा जिससे वह आत्मनिर्भर हो सके। किन भौगोलिक क्षेत्रों में किस तरह के फसलों का संयोग किया जा सकता है, यह भी इस प्रशिक्षण शिविर में विस्तार से बताया जाएगा।

Post a Comment

0 Comments