पौराणिक मान्यताओं में सूर्यपुत्र शनिदेव, महादेव के परम भक्त भी हैं।
शिव कृपा से ही शनि देव न्याय के देवता बने। इसलिए शनि उपासना का दिन
शनिवार शिव भक्ति को भी समर्पित है। इस दिन शिव का किसी भी रूप में स्मरण
विशेष कामनाओं को पूरा करने के साथ-साथ तन, मन और धन से जुड़े कई कष्टों का
अंत करने वाला माना गया है। यही नहीं, ज्योतिष मान्यताओं के मुताबिक इस
शुभ काल में शिव उपासना शनि दोष का शमन भी करती है।
शास्त्रों में भी ऐसी ही परेशानियों से निजात पाने के लिए शनिवार की शाम को शिव का स्मरण नीचे बताई मंत्र स्तुति से करना शनि पीड़ा, दाम्पत्य सुख का अभाव और शत्रु बाधा का फौरन अंत करने वाली मानी गई है।
यह मंत्र स्तुति, जो शिवाष्टक नाम से भी प्रसिद्ध है, बोलते वक्त शिवलिंग पर तिल काले या सफेद मिले गंगाजल या दूध की धारा अर्पित करते रहें-
तस्मै नम: परमकारणकारणाय, दिप्तोज्ज्वलज्ज्वलित पिङ्गललोचनाय।
नागेन्द्रहारकृतकुण्डलभूषणाय, ब्रह्मेन्द्रविष्णुवरदाय नम: शिवाय।1।
श्रीमत्प्रसन्नशशिपन्नगभूषणाय, शैलेन्द्रजावदनचुम्बितलोचनाय।
कैलासमन्दरमहेन्द्रनिकेतनाय, लोकत्रयार्तिहरणाय नम: शिवाय।2।
पद्मावदातमणिकुण्डलगोवृषाय, कृष्णागरुप्रचुरचन्दनचर्चिताय।
भस्मानुषक्तविकचोत्पलमल्लिकाय, नीलाब्जकण्ठसदृशाय नम: शिवाय ।3।
लम्बत्स पिङ्गल जटा मुकुटोत्कटाय, दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय।
व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय, त्रिलोकनाथनमिताय नम: शिवाय ।4।
दक्षप्रजापतिमहाखनाशनाय, क्षिप्रं महात्रिपुरदानवघातनाय।
ब्रह्मोर्जितोर्ध्वगक्रोटिनिकृंतनाय, योगाय योगनमिताय नम: शिवाय।5।
संसारसृष्टिघटनापरिवर्तनाय, रक्ष: पिशाचगणसिद्धसमाकुलाय।
सिद्धोरगग्रहगणेन्द्रनिषेविताय, शार्दूलचर्मवसनाय नम: शिवाय।6।
भस्माङ्गरागकृतरूपमनोहराय, सौम्यावदातवनमाश्रितमाश्रिताय।
गौरीकटाक्षनयनार्धनिरीक्षणाय, गोक्षीरधारधवलाय नम: शिवाय।7।
आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय, यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय।
ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय, गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय।8।
मंत्र स्तुति के बाद शनि से संबंधित सामग्रियों जैसे- लोहा़, तिल, काला वस्त्र, कंबल, तेल का यथाशक्ति दान भी करें।
शास्त्रों में भी ऐसी ही परेशानियों से निजात पाने के लिए शनिवार की शाम को शिव का स्मरण नीचे बताई मंत्र स्तुति से करना शनि पीड़ा, दाम्पत्य सुख का अभाव और शत्रु बाधा का फौरन अंत करने वाली मानी गई है।
यह मंत्र स्तुति, जो शिवाष्टक नाम से भी प्रसिद्ध है, बोलते वक्त शिवलिंग पर तिल काले या सफेद मिले गंगाजल या दूध की धारा अर्पित करते रहें-
तस्मै नम: परमकारणकारणाय, दिप्तोज्ज्वलज्ज्वलित पिङ्गललोचनाय।
नागेन्द्रहारकृतकुण्डलभूषणाय, ब्रह्मेन्द्रविष्णुवरदाय नम: शिवाय।1।
श्रीमत्प्रसन्नशशिपन्नगभूषणाय, शैलेन्द्रजावदनचुम्बितलोचनाय।
कैलासमन्दरमहेन्द्रनिकेतनाय, लोकत्रयार्तिहरणाय नम: शिवाय।2।
पद्मावदातमणिकुण्डलगोवृषाय, कृष्णागरुप्रचुरचन्दनचर्चिताय।
भस्मानुषक्तविकचोत्पलमल्लिकाय, नीलाब्जकण्ठसदृशाय नम: शिवाय ।3।
लम्बत्स पिङ्गल जटा मुकुटोत्कटाय, दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय।
व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय, त्रिलोकनाथनमिताय नम: शिवाय ।4।
दक्षप्रजापतिमहाखनाशनाय, क्षिप्रं महात्रिपुरदानवघातनाय।
ब्रह्मोर्जितोर्ध्वगक्रोटिनिकृंतनाय, योगाय योगनमिताय नम: शिवाय।5।
संसारसृष्टिघटनापरिवर्तनाय, रक्ष: पिशाचगणसिद्धसमाकुलाय।
सिद्धोरगग्रहगणेन्द्रनिषेविताय, शार्दूलचर्मवसनाय नम: शिवाय।6।
भस्माङ्गरागकृतरूपमनोहराय, सौम्यावदातवनमाश्रितमाश्रिताय।
गौरीकटाक्षनयनार्धनिरीक्षणाय, गोक्षीरधारधवलाय नम: शिवाय।7।
आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय, यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय।
ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय, गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय।8।
मंत्र स्तुति के बाद शनि से संबंधित सामग्रियों जैसे- लोहा़, तिल, काला वस्त्र, कंबल, तेल का यथाशक्ति दान भी करें।