टाइगर जिंदा है हर तरफ हो रहा है परंतु बनारस के संतोष मूरत सिंह सन 2003 से अब तक जिंदा होने के बावजूद सरकारी कागजातों में उन्हें मृत घोषित कर उनका सारा सम्पत्ति करीब 12 एकड़ जमीन हड़प लिया गया है।
दरअसल सन 2000 में फ़िल्म अभिनेता नाना पाटेकर वाराणसी आये थे तब वे सन्तोष जी को बतौर कुक अपने साथ मुम्बई ले गए थे। मौके का फायदा उठाकर उनके चाचा ताऊ ने उनको मुम्बई बम ब्लास्ट में मृतक बता कर तेहरवीं करके करीब बारह एकड़ जमीन हड़प ली।
सन 2003 से खुद को जिंदा साबित करने के लिए इन्होंने जिला मुख्यालय वाराणसी, लखनऊ से लेकर दिल्ली तक खूब संघर्ष किया। दिल्ली के जंतर मंतर पर ये सन 2012 से अनिश्चितकालीन धरने पर थे पिछले दिनों इनको दिल्ली प्रशासन द्वारा वहाँ से भी हटा दिया गया। खुद को जिंदा साबित करने के लिये इन्होंने क्या कुछ नही किया वाराणसी के शिवपुर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ा, राष्ट्रपति के चुनाव में पर्चा दाखिल किया साथ ही पन्द्रह दिन तिहाड़ जेल में धरना देने के जुर्म में बिताया परंतु इनको आज तक इंसाफ नही मिला। ये सब देखकर लगता है कि कानून गरीबो के लिए नही बल्कि अमीरों के लिए ही है।
सन्तोष जी की जीर्ण शीर्ण हालात को देखते हुए तत्कालीन डीएम वाराणसी श्री प्रांजल यादव जी ने इनको शिवपुर में गरीबो के लिए बने काशीराम आवास में रहने के लिए कमरा दिलवाया था जो शासन द्वारा इनको बिना सूचना दिए एक महीने पहले सीज कर दिया गया जिसमें इनके सामान व संघर्ष के जरूरी कागजात भी कमरे में ही बंद है। ये किसी काम से बाहर गए थे जब घर लौटे तो देखा की निवास पर सरकारी ताला व नोटिस चिपका हुआ है।
यह व्यक्ति किस तरीके से सड़क पर रहकर अपने बीवी बच्चो के साथ संघर्ष कर रहे है शायद यह सब आपके आंखों में आँसु आ जाय।
सन 2003 से खुद को जिंदा साबित करने के लिए इन्होंने जिला मुख्यालय वाराणसी, लखनऊ से लेकर दिल्ली तक खूब संघर्ष किया। दिल्ली के जंतर मंतर पर ये सन 2012 से अनिश्चितकालीन धरने पर थे पिछले दिनों इनको दिल्ली प्रशासन द्वारा वहाँ से भी हटा दिया गया। खुद को जिंदा साबित करने के लिये इन्होंने क्या कुछ नही किया वाराणसी के शिवपुर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ा, राष्ट्रपति के चुनाव में पर्चा दाखिल किया साथ ही पन्द्रह दिन तिहाड़ जेल में धरना देने के जुर्म में बिताया परंतु इनको आज तक इंसाफ नही मिला। ये सब देखकर लगता है कि कानून गरीबो के लिए नही बल्कि अमीरों के लिए ही है।
सन्तोष जी की जीर्ण शीर्ण हालात को देखते हुए तत्कालीन डीएम वाराणसी श्री प्रांजल यादव जी ने इनको शिवपुर में गरीबो के लिए बने काशीराम आवास में रहने के लिए कमरा दिलवाया था जो शासन द्वारा इनको बिना सूचना दिए एक महीने पहले सीज कर दिया गया जिसमें इनके सामान व संघर्ष के जरूरी कागजात भी कमरे में ही बंद है। ये किसी काम से बाहर गए थे जब घर लौटे तो देखा की निवास पर सरकारी ताला व नोटिस चिपका हुआ है।
यह व्यक्ति किस तरीके से सड़क पर रहकर अपने बीवी बच्चो के साथ संघर्ष कर रहे है शायद यह सब आपके आंखों में आँसु आ जाय।