वाराणसी की मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक के खिलाफ गुरुवार को लोकसभा में पेश किए गए बिल का जहां समर्थन किया वहीं बिल का विरोध करने वाले एआईएआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी का पुतला जला आक्रोश व्यक्त किया। तीन तलाक पर कानून को मुस्लिम महिलाओं की आजादी का दिन बताया।
लोकसभा में जिस समय विधेयक पेश किया जा रहा था उस समय वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं की कचहरी बैठी। मुस्लिम महिला फाउंडेशन व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले कचहरी में जुटी मुस्लिम महिलाओं ने एक स्वर से विधेयक का समर्थन किया।
उन्होंने सजा का प्रावधान तीन के बजाए सात साल किए जाने और पति की सम्पत्ति में आधा हिस्सा दिए जाने की मांग की।
कचहरी में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि हलाला को रेप की श्रेणी में रख मुकदमा दर्ज किया जाए और ऐसा करने के लिए बाध्य करने वालों को रेप के दोषियों के समान सजा मिले।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आलोचना करते हुए महिलाओं ने कहा कि बोर्ड महिला अधिकारों के खिलाफ काम कर रहा है। बोर्ड को पहले यह बताना चाहिए कि जो शरियत का कानून नहीं मानेगा, उसे बोर्ड क्या और किस आधार पर सजा देगा?
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदर नाजनीन अंसारी ने कहा, 'तीन तलाक का खत्म होना ऐतिहासिक कदम है। अब मुस्लिम महिलाएं पुरुषों के आतंक से बच सकती हैं। तीन तलाक देने वालों को कोई अपनी लड़की न दे। जो राजनीतिक दल तीन तलाक के पक्ष में खड़े हैं,
वे हलाला और बहुविवाह को कायम रखकर औरतों की जिंदगी और शरीर के साथ खिलवाड़ करना चाहते हैं। ऐसे दल और उसके नेताओं को मुस्लिम महिलाओं के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ेगा।
लोकसभा में जिस समय विधेयक पेश किया जा रहा था उस समय वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं की कचहरी बैठी। मुस्लिम महिला फाउंडेशन व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले कचहरी में जुटी मुस्लिम महिलाओं ने एक स्वर से विधेयक का समर्थन किया।
उन्होंने सजा का प्रावधान तीन के बजाए सात साल किए जाने और पति की सम्पत्ति में आधा हिस्सा दिए जाने की मांग की।
कचहरी में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि हलाला को रेप की श्रेणी में रख मुकदमा दर्ज किया जाए और ऐसा करने के लिए बाध्य करने वालों को रेप के दोषियों के समान सजा मिले।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आलोचना करते हुए महिलाओं ने कहा कि बोर्ड महिला अधिकारों के खिलाफ काम कर रहा है। बोर्ड को पहले यह बताना चाहिए कि जो शरियत का कानून नहीं मानेगा, उसे बोर्ड क्या और किस आधार पर सजा देगा?
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदर नाजनीन अंसारी ने कहा, 'तीन तलाक का खत्म होना ऐतिहासिक कदम है। अब मुस्लिम महिलाएं पुरुषों के आतंक से बच सकती हैं। तीन तलाक देने वालों को कोई अपनी लड़की न दे। जो राजनीतिक दल तीन तलाक के पक्ष में खड़े हैं,
वे हलाला और बहुविवाह को कायम रखकर औरतों की जिंदगी और शरीर के साथ खिलवाड़ करना चाहते हैं। ऐसे दल और उसके नेताओं को मुस्लिम महिलाओं के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ेगा।